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DU Seminar on Cow: गाय पर चर्चा! डीयू के इस कॉलेज के सेमिनार में हुआ 'गाय' और 'गोबर के लेप' की महिमा का बखान, जाने गोबर-गोमूत्र से बने वैदिक प्लास्टर का कमाल
DU Seminar on Cow: डीयू के लक्ष्मीबाई कॉलेज में 'स्वदेशी गाय: जैव-अर्थव्यवस्था और सतत विकास में एक उत्प्रेरक' पर आयोजित सेमिनार में गाय को बताया सतत विकास का सुपरस्टार।
DU Seminar on Cow: डीयू के लक्ष्मीबाई कॉलेज में एक अनोखे सेमिनार का आयोजन किया गया। गाय से होने वाले लाभों का महिमामंडन करने वाला ये सेमिनार काफी चर्चा में है। 20 से 23 जून 2025 तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के लक्ष्मीबाई कॉलेज में 'स्वदेशी गाय: जैव-अर्थव्यवस्था और सतत विकास में एक उत्प्रेरक' पर हुए सेमिनार में गाय की उपयोगिता की गराई से व्याख्या की गयी। "गाय सिर्फ जानवर नहीं ,ये हमारी संस्कृति और पर्यावरण की धड़कन है।" इन्हीं बेहतरीन शब्दों के साथ श्रीमद जगद्गुरु माधवाचार्य गोविज्ञान केंद्रम के संस्थापक कृषि वड्डी ने देसी गाय और गाय के गोबर की उपयोगिता का वर्णन किया। बता दें कि इससे पहले भी डीयू के इस कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. प्रत्यूष वत्सला सोशल मीडिया पर गोबर का लेप लगाने को लेकर काफी चर्चा में थीं। उन्होंने कॉलेज के पोर्टा केबिन में गर्मी से बचने के लिए गोबर का लेप करवाया था।
गोबर लेप पर ट्रोल हुईं तो करा डाला देसी गाय पर सेमिनार
कुछ महिने पहले डीयू के लक्ष्मीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. प्रत्यूष वत्सला ने कॉलेज के पोर्टा केबिन में गोबर का लेप लगवा कर गर्मी से बचने की देसी जुगाड़ की मिसाल पेश की थी। गर्मी से बचने की इस देसी जुगाड़ को लोगों के मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। किसी ने इसे सराहा और गर्मी से बचने का इनोवेशन बताया तो किसी ने इसे 'पिछड़पन' बताया। DUSU प्रेसिडेंट रोनक खत्री ने तो प्रिंसिपल के ऑफिस में गोबर पोतकर तहलका मचा दिया था. लेकिन प्रो. वत्सला ने इसके बाद शिक्षा मंत्रालय की नवाचार परिषद के साथ मिलकर देसी गाय पर दो दिन के सेमिनार का आयोजित कराया। इस सेमिनार में गाय को वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और आर्थिक नजरिए से सुपरहीरो की तरह प्रस्तुत किया गया।
सेमिनार का उद्देश्य
इस सेमिनार का उद्देश्य सिर्फ गाय की महिमा का बखान करना नहीं, बल्कि लोगों तक ये संदेश पहंचाना है कि देसी गया जैव-अर्थव्यवस्था और सतत विकास का आधार है।
गोबर-गोमूत्र से बने वैदिक प्लास्टर का कमाल
नावाचार की कई तकनीकों में गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। गाय से होने वाले तमाम लाभों में 'वैदिक प्लास्टर' का नाम भी शामिल है। सेमिनार में डॉ. शिव दर्शन मलिक ने वैदिक प्लास्टर का कमाल दिखाया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे गोबर-गोमूत्र के माध्यम से निर्माण सामग्री बनाई जाती है। वहीं कृषि वड्डी ने गाय को पारिस्थितिक सद्भाव का पवित्र संरक्षक बताया। सेमिनार के इसी सत्र में श्री अतुल जैन ने गौशालाओं को रोजगार का हब बनाने की बात कही जबकि डॉ. शुचि वर्मा ने महिलाओं को इस जैव-अर्थव्यवस्था का सशक्त एजेंट बताया। इसके आलावा डॉ. हर्षा भार्गवी ने गाय को क्रिएटिव इकोनॉमी का हिस्सा बनाकर हस्तशिल्प और पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही।
गाय दूध की मशीन नहीं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है
प्रो. वत्सला ने इस सेमिनार में उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष आचार्य श्याम बिहारी और और डीयू के शासी निकाय के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार अनेजा को आमंत्रित किया। आचार्य जी ने गाय को पंच तत्वों से जोड़कर बताया कि ये दूध देने की मशीन नहीं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ऐसे ही महंत राम मंगलादास ने रामायण के माध्यम से गाय की आध्यात्मिक महिमा को बयां किया।
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