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एंटीबायोटिक्स फेल हो रही हैं! हर छह में से एक बैक्टीरियल संक्रमण अब सामान्य इलाज से प्रतिरोधी: डब्ल्
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, हर छह में से एक बैक्टीरियल संक्रमण अब सामान्य एंटीबायोटिक्स से ठीक नहीं हो रहा। E. coli और Klebsiella जैसे बैक्टीरिया थर्ड-जेनरेशन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बन चुके हैं। जानिए कैसे बढ़ रहा है एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) और क्यों यह भविष्य की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन सकता है।
WHO Antibiotic Resistance Report 2025 (Image Credit-Social Media)
WHO Antibiotic Resistance Report 2025: यह सचमुच एक चिंताजनक स्थिति है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि दुनिया भर में हर छह में से एक बैक्टीरियल संक्रमण अब सामान्य उपचारों के प्रति प्रतिरोधी हो गया है। इसका सीधा अर्थ है कि अब दुनिया में ऐसे संक्रमणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जो एंटीबायोटिक्स का जवाब नहीं दे रहे। इस घटना को एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (Antimicrobial Resistance - AMR) कहा जाता है। यह तब होता है जब बैक्टीरिया और अन्य रोगजनक (pathogens) — जो रक्त, आंत, मूत्र मार्ग या यौन संचारित संक्रमण जैसी बीमारियों के कारक होते हैं — इस हद तक विकसित हो जाते हैं कि सामान्य एंटीबायोटिक्स उन पर असर नहीं कर पातीं।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है ‘ग्लोबल एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस सर्विलांस रिपोर्ट 2025’, 104 देशों में किए गए 2.3 करोड़ से अधिक परीक्षणों के आंकड़ों पर आधारित है। यह डेटा डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस एंड यूज़ सर्विलांस सिस्टम (GLASS) से लिया गया है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले वर्षों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध में हर साल औसतन 5 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।
E. coli — सबसे बड़ा खतरा
ग्राम-निगेटिव बैक्टीरिया, जैसे Escherichia coli (E. coli) और Klebsiella pneumoniae, को इस रिपोर्ट में सबसे बड़ा खतरा बताया गया है। ये बैक्टीरिया विशेष रूप से रक्त संक्रमण (bloodstream infections) के मामलों में गंभीर साबित होते हैं, जो सेप्सिस (Sepsis) और मृत्यु का कारण बन सकते हैं।
वैश्विक स्तर पर 40 प्रतिशत से अधिक E. coli और 55 प्रतिशत से अधिक K. pneumoniae अब थर्ड जनरेशन सेफालोस्पोरिन्स (third-generation cephalosporins) — जो प्रमुख इलाज की दवाएं हैं — के प्रति प्रतिरोधी हो चुके हैं। अफ्रीका क्षेत्र में यह दर 70 प्रतिशत से भी अधिक है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि अन्य आवश्यक एंटीबायोटिक्स के प्रति भी प्रतिरोध बढ़ रहा है, जिसके कारण डॉक्टरों को अब महंगी “लास्ट-रिसॉर्ट” दवाओं पर निर्भर होना पड़ता है, जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों में आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्रों में स्थिति सबसे गंभीर है — यहाँ हर तीन में से एक संक्रमण एंटीबायोटिक प्रतिरोधी है।
गलती हमारी ही है
विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस को बढ़ाने में इंसान स्वयं जिम्मेदार है।
लोग अक्सर डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक कोर्स को बीच में ही रोक देते हैं।
दूसरा कारण है — डॉक्टरों द्वारा गलत बीमारियों के लिए एंटीबायोटिक लिख देना, जहाँ इन दवाओं की कोई आवश्यकता नहीं होती।
इसके अलावा, कृषि में एंटीबायोटिक के अत्यधिक उपयोग और संक्रमण नियंत्रण में लापरवाही ने भी इस संकट को बढ़ाया है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2019 में बैक्टीरियल रेसिस्टेंस ने सीधे 12.7 लाख मौतों का कारण बना, और लगभग 50 लाख अतिरिक्त मौतों में योगदान दिया। नवीनतम आकलन चेतावनी देते हैं कि 2050 तक मौतों में 70 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने कहा है कि —
“एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस आधुनिक चिकित्सा की प्रगति से तेज़ी से आगे बढ़ रही है और यह दुनिया भर में परिवारों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।”
उन्होंने एंटीबायोटिक्स के जिम्मेदार उपयोग, बेहतर डायग्नोस्टिक सुविधाओं और वैक्सीन की पहुँच में सुधार, तथा नई एंटीबायोटिक्स और रैपिड टेस्ट्स के विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि वैश्विक स्तर पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो सामान्य संक्रमण भी भविष्य में अइलाजयोग्य (untreatable) हो सकते हैं, जिससे दशकों की चिकित्सा प्रगति बेअसर हो जाएगी।
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