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बुरी दांतों की सेहत, बड़ा ख़तरा: एम्स अध्ययन ने खराब मौखिक स्वच्छता को कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ा
Bad Dental Health: खराब मौखिक स्वच्छता (oral hygiene) कई प्रकार के कैंसर के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकती है।
Bad Dental Health (Image Credit-Social Media)
नई दिल्ली। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक क्रांतिकारी अध्ययन में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि खराब मौखिक स्वच्छता (oral hygiene) कई प्रकार के कैंसर के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकती है। यह शोध प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लांसेट रीजनल हेल्थ – साउथईस्ट एशिया में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि जिन लोगों को मसूड़ों की बीमारियाँ, टूथ लॉस (दांतों का गिरना), या बिना इलाज के दांतों से जुड़ी समस्याएँ हैं, उनमें पाचन तंत्र, प्रोस्टेट, स्तन, अग्न्याशय, ओरल/गले, गर्भाशय और फेफड़ों के कैंसर का खतरा कहीं अधिक होता है।
यह अध्ययन दक्षिण एशिया में अपने तरह का पहला और सबसे बड़ा अध्ययन है, जिसमें भारत के कई प्रमुख अस्पतालों और कैंसर उपचार केंद्रों से प्राप्त 20,000 से अधिक लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इनमें 8,000 सिर और गर्दन के कैंसर से ग्रस्त रोगी और 12,000 से अधिक स्वस्थ नियंत्रण समूह (control group) के लोग शामिल थे।
मौखिक स्वास्थ्य उपेक्षा और कैंसर के बीच चौंकाने वाला संबंध
एम्स की अनुसंधान टीम के अनुसार, यह प्रमाण मिलता है कि दांतों की उपेक्षा से पूरे शरीर की प्रणाली प्रभावित होती है। जो लोग लंबे समय से मसूड़ों की सूजन, पीरियोडोंटाइटिस, दंत संक्रमण या टूथ लॉस जैसी समस्याओं से ग्रस्त थे, उनमें खासकर ऊपरी पाचन तंत्र और आंतरिक अंगों से संबंधित कैंसर की संभावना अधिक पाई गई। अध्ययन के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. प्रवीण आहूजा ने बताया, “मुंह शरीर का प्रवेश द्वार है। यदि यहां संक्रमण या सूजन हो जाए, तो यह पूरे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की नींव बन सकती है।”
अध्ययन की प्रमुख खोजें
• जिन लोगों की मौखिक स्वच्छता खराब थी, उनमें सिर और गर्दन के कैंसर की संभावना सामान्य से 2.5 गुना अधिक पाई गई।
• आहार नली, पेट और बड़ी आंत के कैंसर से भी इनका गहरा संबंध सामने आया।
• जिन महिलाओं के दांतों की समस्याओं का इलाज नहीं हुआ, उनमें स्तन और गर्भाशय के कैंसर का जोखिम अधिक पाया गया।
• पुरुषों में प्रोस्टेट और अग्न्याशय के कैंसर से भी मध्यम लेकिन महत्वपूर्ण संबंध देखा गया।
• लंबे समय से मौखिक संक्रमण से ग्रस्त व्यक्तियों में फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी अधिक पाया गया।
मौखिक स्वास्थ्य कैसे बढ़ाता है कैंसर का खतरा?
शोधकर्ताओं ने इस संबंध के पीछे कई संभावित कारण बताए हैं:
• मसूड़ों की बीमारियों से उत्पन्न दीर्घकालिक सूजन डीएनए को नुकसान पहुंचाती है और ट्यूमर को बढ़ावा देती है।
• खराब मौखिक स्वच्छता मुंह के माइक्रोबायोम को बिगाड़ देती है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया (जैसे Fusobacterium nucleatum) बढ़ जाते हैं, जो कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़े पाए गए हैं।
• संक्रमण और सूजन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा देते हैं, जिससे वह प्रारंभिक कैंसर कोशिकाओं को पहचान नहीं पाती।
• दांतों की समस्या या दर्द की वजह से पोषण संबंधी कमियाँ और खराब आहार भी कैंसर के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं।
भारत में स्थिति और चेतावनी
भारत में ओरल डिजीज का वैश्विक बोझ सबसे अधिक है। हालांकि शहरी क्षेत्रों में डेंटल सेवाओं में सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण और कम आय वाले क्षेत्रों में आज भी मौलिक दंत चिकित्सा सेवाओं की भारी कमी है।
तत्काल चेतना की आवश्यकता
शोधकर्ताओं ने नीति-निर्माताओं से अपील की है कि:
• राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम कार्यक्रमों में ओरल हेल्थ स्क्रीनिंग को शामिल किया जाए।
• जनता को ब्रशिंग, फ्लॉसिंग और नियमित डेंटल चेकअप जैसी बुनियादी आदतों के बारे में जागरूक किया जाए।
• सस्ते दंत चिकित्सा की पहुंच को ग्रामीण और आदिवासी इलाकों तक बढ़ाया जाए।
• प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मियों को प्रारंभिक मौखिक समस्याओं की पहचान की ट्रेनिंग दी जाए, ताकि समय रहते गंभीर बीमारियों को रोका जा सके।
यह अध्ययन उस बढ़ती वैश्विक समझ को मजबूती देता है कि शरीर का स्वास्थ्य आपके मुंह की स्थिति का प्रतिबिंब है। भारत में जहां कैंसर और जीवनशैली संबंधी रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में दांतों और मसूड़ों की सेहत को नजरअंदाज करना अब एक बहुत बड़ा खतरा बन सकता है।
फैक्ट फाइल:
• भारत में 75% से अधिक लोग किसी न किसी मसूड़ों की बीमारी से पीड़ित हैं।
• भारत, दुनिया में ओरल कैंसर के मामलों में तीसरे नंबर पर है।
• नेशनल ओरल हेल्थ सर्वे के अनुसार, केवल 10 में से 1 भारतीय ही नियमित रूप से दंत चिकित्सक के पास जाता है।
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