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भारत पर 'महासंकट'.. कोरोना के बाद इस 'महामारी' का साया! ICMR की रिपोर्ट, इन बिमारियों पर सीधा वार

Excess Salt Consumption in India: WHO की सिफारिशों से कहीं ज्यादा नमक अपने खाने में नमक का सेवन कर रहे हैं, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।

Priya Singh Bisen
Published on: 15 July 2025 6:30 PM IST (Updated on: 15 July 2025 6:43 PM IST)
Excess Salt Consumption in India
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Excess Salt Consumption in India

Excess Salt Consumption in India: भारत में आवश्यकता से अधिक नमक का सेवन एक 'मूक महामारी' ('silent epidemic') के रूप में उभर रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के राष्ट्रीय महामारी विज्ञान संस्थान (NIE) की हाल ही की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के लोग विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिशों से कहीं ज्यादा नमक अपने खाने में नमक का सेवन कर रहे हैं, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।

भारत की स्थिति ?

WHO ने हर दिन प्रति व्यक्ति 5 ग्राम से कम नमक के सेवन की सलाह दी है। हालांकि, रिसर्च से पता चला है कि भारत में शहर में रहने वाले लोग कम से कम 9.2 ग्राम एक दिन में वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग 5.6 ग्राम नमक का सेवन कर रहे हैं। यह आंकड़ा बहुत ही चिंताजनक बनकर सामने आया है, क्योंकि ज्यादा सोडियम सेवन सीधे रक्तचाप और हृदय रोगों से जुड़ा हुआ है।

कम सोडियम नमक बना सकता है समाधान

NIE के एक वरिष्ठ के मुताबिक, इस बड़ी समस्या का एक समाधान भी है – कम सोडियम वाला नमक। यह ऐसा नमक होता है जिसमें सोडियम क्लोराइड की मात्रा कम बेहद कम मौजूद होती है और उसकी जगह पोटैशियम या मैग्नीशियम जैसे तत्व डाले जाते हैं। इससे न सिर्फ ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है, बल्कि इसके साथ ही हृदय को भी स्वस्थ रखा जा सकता है। इस रिसर्च से पता चला है कि सिर्फ कम सोडियम नमक का सेवन करने से ब्लड प्रेशर लगभग 7/4 mmHg तक कम हो जाता है।

'बदलाव के लिए एक चुटकी' अभियान की शुरुआत

पूरे देश में लोगों को कम नमक खाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से ICMR-NIE ने ‘बदलाव के लिए एक चुटकी’ नाम से सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है। इस कैंपेन में इन्फोग्राफिक्स, आसान जानकारी और छोटे संदेशों के माध्यम यह बताया जा रहा है कि नमक सिर्फ ऊपर से डाला हुआ ही नहीं होता, बल्कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और पैक्ड आइटम्स में छुपा होता है। इसका उद्देश्य लोगों को कम नमक वाले विकल्पों की तरफ ले जाना और हृदय स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना है।

जमीनी स्तर पर कोशिश जारी

NIE ने पंजाब और तेलंगाना जैसे राज्यों में एक सालों अध्ययन की शुरुआत की है, जिसमें हेल्थ वर्कर्स गांवों और शहरों में जाकर लोगों को कम नमक खाने की सलाह दे रहे हैं। इसका उद्देश्य यह देखना है कि क्या लोगों को सलाह देने से उनका बर्ताव वास्तव में बदलता है, विशेषकर हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में।

कम सोडियम नमक की उपलब्धता और कीमत एक बड़ी चुनौती

चेन्नई में किए गए एक सर्वे में खुलासा हुआ कि कम सोडियम नमक (Low Sodium Salt - LSS) सिर्फ 28% दुकानों में ही उपलब्ध है। सुपरमार्केट्स में यह उपलब्धता 52% थी, जबकि छोटे किराना दुकानों में यह मात्र 4% पर सिमट गई। इसके साथ ही, कीमत भी एक बड़ा कारण है जहां आम नमक 2.7 रुपये प्रति 100 ग्राम मिलता है, वहीं LSS की कीमत करीब 5.6 रुपये है, यानी दोगुने से अधिक। एक्सपर्ट का कहना है कि जब तक लोगों को इस नमक के फायदों की जानकारी नहीं होगी और यह आसानी से उपलब्ध नहीं होगा, तब तक इसे अपनाना मुश्किल होगा।

बता दे, भारत में तेजी से बढ़ रहे गैर-संक्रामक रोगों में ज्यादा नमक का सेवन करना सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ऐसे में ICMR और NIE की यह कोशिश न केवल प्रशंसनीय है बल्कि वक़्त की मांग भी है। यदि समय रहते पूरे देश में इस तरह के जागरूकता अभियान तेज़ी से लागू किए जाएं और लो-सोडियम विकल्पों को ज्यादा सरल और सस्ता किया जाए, तो यह करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है।

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