TRENDING TAGS :
भीषण गर्मी में गर्भवती महिलाएं खतरे में! इन बातों को नजरअंदाज किया तो बढ़ेगा खतरा, यहां जानिए कैसे बचें हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन से...
Bheeshan Garmi Bada Bani Khatra: बढ़ते तापमान के कारण बाहर काम करने वाले लोग, किसान, जानवर, खेतों के हाल लगभग सभी विषयों पर खुलकर बातें होती हैं लेकिन आज हम इस लेख में विस्तार से जानेंगे कि भीषण गर्मी में गर्भवती महिलायें अपना काम-काज कैसे करती हैं और सबसे बड़ी चीज़ वो अपने स्वास्थ्य का ध्यान किस प्रकार रखती हैं।
Bheeshan Garmi Bada Bani Khatra (photo: social media)
Bheeshan Garmi Bada Bani Khatra: देश में बढ़ती गर्मी के प्रकोप से हर कोई डरा हुआ है। लोगों का बाहर जाकर काम करना दूभर होता जा रहा है। बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग भीषण गर्मी के कारण बेहाल हो चुके हैं। गर्मियों के मौसम से परेशान लोग जहां हर उम्र के लोगों की समस्याओं के बारे में बात करते हैं तो वहीं आज एक विषय पर लोग बात करना जैसे की भूल ही गए हैं। रोजाना सामने आ रही तमाम ख़बरों में भी इस विषय का जिक्र बहुत ही कम पाया जाता है। हम जिनकी बात कर रहे हैं वो हैं हमारे देश की गर्भवती महिलायें जो की अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ भीषण गर्मी की मार झेल रही हैं।
बढ़ते तापमान के कारण बाहर काम करने वाले लोग, किसान, जानवर, खेतों के हाल लगभग सभी विषयों पर खुलकर बातें होती हैं लेकिन आज हम इस लेख में विस्तार से जानेंगे कि भीषण गर्मी में गर्भवती महिलायें अपना काम-काज कैसे करती हैं और सबसे बड़ी चीज़ वो अपने स्वास्थ्य का ध्यान किस प्रकार रखती हैं। एक तरफ जहां स्वस्थ्य लोग गर्मी की मार नहीं झेल पा रहे हैं तो ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए गर्मी का मौसम कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
राजस्थान में गर्भवती महिलाओं का हाल
NDTV India की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की तेज गर्मी ने राजस्थान में गर्भवती महिलाओं के लिए बड़ा स्वास्थ्य का खतरा पैदा कर दिया है। राज्य के कई हिस्सों में तापमान 45°C से ऊपर पहुंच गया है, जिससे गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए जोखिम बढ़ गया है। राजस्थान में भीषण गर्मी और हीट वेव के कारण गर्भवती महिलाओं में पानी की कमी, चक्कर, कमजोरी और समय से पहले प्रसव जैसे खतरे बढ़ रहे हैं।
गर्भवती महिलाओं पर गर्मी का प्रभाव:
- गर्भपात और समय से पहले प्रसव का खतरा: तेज गर्मी की वजह से शरीर का तापमान बढ़ने लगता है जिससे गर्भपात, समय से पहले प्रसव और नवजात शिशु की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
- निर्जलीकरण और थकावट: भीषण गर्मी के कारण शरीर से ज्यादा पसीना निकलने और पानी की कमी से थकावट, चक्कर आना और बेहोशी जैसी समस्याएं हो उत्पन्न हो सकती हैं।
- गर्भ में बच्चे की वृद्धि पर प्रभाव: गर्मी के कारण गर्भाशय में रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिससे बच्चे को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता और उसके विकास पर गंभीर रूप से प्रभाव पड़ता है।
गर्मी के मौसम में गर्भवती महिलाओं को तमाम तरह की दिक्कतें होती है। शरीर में हार्मोनल बदलाव और बढ़ता वजन पहले ही शरीर पर गंभीर प्रभाव डालते हैं, ऐसे में तेज गर्मी कई समस्याएं और बढ़ा देची है जैसे कि:
1. डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) - गर्मी के मौसम में शरीर से पसीना अधिक निकलता है जिससे शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो सकती है। इससे थकान, चक्कर आना और लो ब्लड प्रेशर जैसी समस्या हो जाती है।
सूजन (Swelling/Edema)
1- हाथ-पैर, टखनों और चेहरे पर सूजन सामान्य से अधिक बढ़ सकती है।
2- ज्यादा देर तक खड़े रहने या कम पानी पीने से यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है।
3. हीट रैश और स्किन प्रॉब्लम्स - गर्मी और पसीने की वजह से स्किन में रैशेज, खुजली और इन्फेक्शन हो जाते हैं, खासकर पेट, स्तनों और जांघों के पास।
4. घबराहट और बेचैनी - ज्यादा गर्मी लगने से मानसिक बेचैनी, मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है।
5. ब्लड प्रेशर की समस्या - बढ़ते तापमान के कारण लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है, जिससे चक्कर आना या बेहोशी जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
6. अच्छे से नींद ना लगना - अक्सर गर्मी के मौसम में रात में अच्छी नींद नहीं आती जिससे शरीर में थकान और तनाव की समस्या बढ़ सकती है।
7. गैस्ट्रिक समस्या - तेज गर्मी की वजह से अक्सर लोगों को अपच, उल्टी और एसिडिटी जैसी तमाम समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
राजस्थान सरकार की तैयारी
राजस्थान सरकार ने इस भीषण गर्मी से लड़ने के लिए कुछ स्वास्थ्य सेवाओं को गठित किया है। राज्य के लगभग 30 जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की जांच की गई है, जिसमें एयर कंडीशनर, कूलर, साफ पानी, दवाइयों और एम्बुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
गर्मी के मौसम में गर्भवती महिलाओं को ये सावधानियां बरतने की है ज़रूरत:
- अधिक मात्रा में पानी पियें और साथ ही नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ अवश्य पिएं।
- धूप में ना जाएं।
- गर्मी में हमेशा ढीले और सूती कपड़े ही पहनें ताकि शरीर को आराम और ठंडक मिल सके।
- घर में ठंडी जगह पर ही रहें और पंखा/एसी का संतुलित इस्तेमाल करें।
- ज्यादा मसालेदार और तला भुना खाने से बचें।
- गर्मी के मौसम में व्यायाम करना आवश्यक हैं।
- डॉक्टर की सलाह के मुताबिक समय-समय पर जांच कराएं।
2025 के अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक:
- भारत की कुल जनसंख्या: तकरीबन 142 करोड़ है।
- प्रजनन आयु वाली महिलाएं (15-49 साल): लगभग 35-40 करोड़ हैं।
- औसतन हर साल भारत में तकरीबन 2.5-3 करोड़ महिलाएं गर्भवती होती हैं।
- इसका अर्थ है कि किसी भी समय भारत में तकरीबन 2 करोड़ महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं।
ध्यान देने योग्य : भारत में गर्मी के मौसम में गर्भवती महिलाओं की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं होती क्योंकि यह एक गतिशील आँकड़ा है जो समय, क्षेत्र और जनगणना डेटा के मुताबिक बदलता रहता है। एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक, चूंकि गर्मी का मौसम लगभग 4 महीने (मार्च से जून) तक रहता है और गर्भावस्था 9 महीने तक चलती है, इसलिए गर्मी के मौसम में भारत में लगभग 65-70 लाख गर्भवती महिलाएं हो सकती हैं।
भारत में हीट वेव के आंकड़े:
भारत में अबतक हीटवेव (गर्मी की लहर) के कारण कई मौतें हो चुकी हैं और यह हर साल एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। एक अध्ययन के मुताबिक, साल 2000 से 2019 के बीच, गर्मी के कारण भारत में तकरीबन 489,000 से ज्यादा मौतें हुई थीं।
सरकारी आकड़ें क्या बताते हैं ?
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक, साल 1992 से 2020 के बीच भारत में हीटवेव के कारण तकरीबन 25,692 मौतें हुईं थी।
- NCRB (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) के मुताबिक, साल 2009 से 2022 के बीच हीटस्ट्रोक के कारण कुल 15,020 मौतें हुईं थीं।
- NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के मुताबिक, साल 2009 से 2022 के बीच हीटवेव से संबंधित करीब 11,000 मौतें हुईं थी।
- एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में एक दिन की हीटवेव के कारण लगभग 3,400 ज्यादा मौतें होती हैं और हर पांच दिन की हीटवेव के कारण करीब 30,000 ज्यादा मौतें होती हैं।
- एक अन्य अध्ययन सामने आया कि साल 2015 से 2023 के बीच हीटवेव के कारण भारत में कुल मिलाकर लगभग 4057 लोगों की मौत हो चुकी हैं।
- हीटवॉच के मुताबिक, साल 2024 में, मार्च से लेकर जून महीने के बीच भारत के 17 राज्यों में हीटस्ट्रोक के कारण लगभग 733 मौतें हुई, जिनमें से सबसे ज्यादा 205 उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई थीं।
2025 की गर्मी की प्रमुख विशेषताएं:
1. तेज़ लू (Heatwaves) – उत्तर भारत, मध्य भारत और राजस्थान जैसे राज्यों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच सकता है।
2. शहरी इलाकों में हीट आइलैंड प्रभाव – शहरों में अह्दिक कंक्रीट और कम हरियाली के कारण गर्मी का असर ज्यादा महसूस होता है।
3. वर्षा में देरी – एल-नीनो के कारण मानसून में देरी हो सकती है, जिससे सूखा पड़ने की आशंका है।
1. ये स्वास्थ्य संबंधी हो सकती हैं समस्याएं:
हीट स्ट्रोक – बढ़ते तापमानके कारण शरीर का तापमान भी बिगड़ सकता है, जिससे आपकी जान को खतरा हो सकता है।
डिहाइड्रेशन – शरीर से पसीना ज्यादा निकलने से पानी और नमक की कमी हो जाती है।
त्वचा संबंधी रोग – गर्मी में सनबर्न, रैशेज और एलर्जी जैसी समस्याएं हो जाती है।
2. पानी की कमी
- ज्यादा गर्मी और मानसून में देरी के कारण जल स्रोत सूखने लगते हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।
3. बिजली संकट बढ़ने लगता है
- AC, कूलर और पंखों की ज्यादा से ज्यादा मांग बढ़ने के कारण बिजली की खपत बढ़ती है।
- कई क्षेत्रों में लोडशेडिंग और पावर कट की समस्या खड़ी होती है।
4. कृषि पर गभीर प्रभाव
- समय पर बरसात न होने से फसलें सूख सकती हैं।
- किसानों को सिंचाई में बड़ी समस्याएं उत्पन्न होती है जिससे उत्पादन घट सकता है।
5. जंगलों में आग लगना
- शुष्क मौसम और बढ़ते तापमान के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं अधिक बढ़ने की सम्भावना हैं।
बचाव के उपाय:
- दिन के समय विशेषकर दोपहर में 12 से 4 बजे तक घर से बाहर बिलकुल न निकलें।
- पानी ज्यादा मात्रा में पिएं।
- गर्मी में हल्के और ढीले कपड़े पहनें।
- घरों में पेड़-पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाएं और छाया बनाएं।
- बुजुर्गों और बच्चों का ख़ास ध्यान रखें।
- आवश्यक होने पर ORS या नमक-चीनी का घोल पिएं।
2025 की गर्मी का मौसम सामान्य से ज्यादा तीव्र और चुनौतीपूर्ण रहने का पूरा अनुमान है। मौसम विशेषज्ञों और तमाम रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल ग्लोबल वार्मिंग और एल-नीनो (El Niño) के प्रभाव के कारण भारत समेत विषभर के कई हिस्सों में भीषण गर्मी दर्ज की जा रही है। इसके कारण कई स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएं सामने आ सकती हैं।
गर्भवती महिलाओं कैसे रखें खुद को सुरक्षित ?
2025 की भीषण गर्मी गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकती है। बढ़ता तापमान न सिर्फ उनके सेहत पर असर डाल सकता है बल्कि गर्भस्थ शिशु की सेहत के लिए भी खतरे से भरा हो सकता है। ऐसे में खुद का खास तौर पर ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं जो गर्भवती महिलाएं इस भीषण गर्मी में अपना सकती हैं:
1. हाइड्रेटेड रहें (stay hydrated): दिन भर में ज्यादा से ज्यादा पानी पियें और इलेक्ट्रोलाइट्स लें।
2. ठंडी जगह पर रहें (stay in a cool place): जहां तक संभव हो, एयर कंडीशनर (AC) या कूलर वाले कमरे में रहें।
3. हल्के और ढीले कपड़े पहनें (Wear light and loose clothes): गर्मी के मौसम में हमेशा सूत या कॉटन के कपड़े पहनें जो पसीना सोख सकें।
4. भारी काम से बचें (avoid heavy work): गर्मी में खासतौर से दोपहर के समय बाहर जाने या भारी काम करने से बचें।
5. नियमित स्वास्थ्य जांच (regular health checkup): गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराते रहें।
Start Quiz
This Quiz helps us to increase our knowledge