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Infertility Myths : भ्रम या सच्चाई... क्या बांझपन सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी?
Infertility Myths: क्या वाकई प्रेग्नेंसी न हो पाने की जिम्मेदारी सिर्फ महिला की होती है? या फिर समाज के द्वारा फैलाया गया यह सिर्फ भ्रम है। आइए यहां विस्तार से जानते हैं।
infertility myths busted male and female fertility facts (SOCIAL MEDIA)
Infertility Myths: भारत जैसे देश में आज भी प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health) और बांझपन (Infertility) जैसे विषयों पर खुलकर बात करना एक चुनौती बना हुआ है। जब कोई महिला गर्भधारण नहीं कर पाती, तो समाज और परिवार अक्सर उसे ही दोषी ठहराते हैं। हमेशा महिला की योग्यता पर सवाल उठाए जाते हैं। कई बार तो महिलाओं को मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित किया जाता है, लेकिन क्या वाकई प्रेग्नेंसी न हो पाने की जिम्मेदारी सिर्फ महिला की होती है? या फिर समाज के द्वारा फैलाया गया यह सिर्फ भ्रम है। आइए यहां विस्तार से जानते हैं।
क्या पुरुष भी हो सकते हैं बांझपन के लिए जिम्मेदार?
डॉ. कावेरी बनर्जी, जो एक जानी-मानी आईवीएफ विशेषज्ञ और एडवांस फर्टिलिटी एंड गायनेकोलॉजी सेंटर की संस्थापक हैं, कहती हैं कि मेडिकल रिसर्च के मुताबिक लगभग 50% मामलों में पुरुषों की वजह से भी गर्भधारण नहीं हो पाता। यानी कि जितना महिला का कारण हो सकता है, उतना ही पुरुष का भी। बावजूद इसके, समाज की सोच आज भी यही मानती है कि बच्चा न होना सिर्फ महिला की कमी है।
पुरुषों में बांझपन के कारण
पुरुषों में बांझपन की समस्या आजकल आम होती जा रही है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। अगर शुक्राणु काउंट कम हो या उनकी क्वालिटी खराब हो, तो गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है। हार्मोनल असंतुलन भी एक बड़ा कारण है। इसके अलावा धूम्रपान, शराब पीना और लगातार तनाव में रहना भी स्पर्म हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है। कुछ पुरुष लंबे समय तक लैपटॉप गोद में रखकर काम करते हैं, जिससे गर्मी के कारण स्पर्म को नुकसान होता है। ऐसे में जरूरी है कि समय पर जांच कराएं और अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करें।
मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियां
बांझपन को लेकर समाज में कई गलतफहमियां फैली हुई हैं। सबसे आम भ्रम यह है कि अगर कोई महिला गर्भधारण नहीं कर पा रही है, तो सिर्फ उसी में कमी होगी, जबकि हकीकत यह है कि पुरुष भी इसके लिए उतने ही जिम्मेदार हो सकते हैं। लोग यह भी मानते हैं कि पुरुष की उम्र से फर्टिलिटी पर असर नहीं पड़ता, जबकि 40 के बाद शुक्राणु की गुणवत्ता घट सकती है। अच्छा खान-पान और योग जरूर सहायक होते हैं, लेकिन मेडिकल जांच बेहद जरूरी है। मर्दानगी और फर्टिलिटी अलग-अलग चीजें हैं, इनका सीधा संबंध नहीं होता।
बांझपन से बचने के लिए क्या करें?
बांझपन की स्थिति में सबसे जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे का साथ दें और खुले मन से डॉक्टर से मिलकर सलाह लें। केवल महिला की जांच करवाना पर्याप्त नहीं होता, पुरुष की भी जांच जरूरी होती है। किसी एक को दोष देना गलत है, इससे तनाव और बढ़ता है। आजकल मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है। समय पर इलाज लेने से कई विकल्प मिलते हैं जैसे आईवीएफ, आईयूआई या डोनर स्पर्म की मदद से संतान सुख पाया जा सकता है। जरूरी है कि इस विषय पर शर्म या झिझक छोड़कर सही जानकारी और मदद ली जाए।
बांझपन सिर्फ महिला की नहीं, बल्कि दंपति दोनों की समस्या हो सकती है। इसे सामाजिक कलंक न बनाएं बल्कि समझदारी से समय पर डॉक्टर की मदद लें।
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