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Moradabad News: मुरादाबाद में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल: गर्भवती महिला को रात में इलाज से किया इनकार
Moradabad News: पीड़िता के पति नसीम मियाँ जो कि मुरादाबाद के मुगलपुरा इलाके के निवासी है, ने आरोप लगाया है कि रात में जब उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई, तो वह जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां मौजूद डॉक्टर्स और स्टाफ ने न केवल इलाज से इनकार किया बल्कि खुले तौर पर डर दिखाकर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराने का दबाव बनाया।
Moradabad News: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही का एक शर्मनाक मामला सामने आया है। जिसमें जिला महिला अस्पताल में इमरजेंसी के दौरान पहुंचे एक गर्भवती महिला के परिजनों को वहां मौजूद डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कह दिया कि यहाँ रात में डिलीवरी नहीं होती है। हमारे यहां रात को डिलीवरी का कोई प्राविधान नहीं है, प्राइवेट अस्पताल लेकर जाइए। इस अमानवीय रवैये की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है, जिससे जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ गई है।
पीड़िता के पति नसीम मियाँ जो कि मुरादाबाद के मुगलपुरा इलाके के निवासी है, ने आरोप लगाया है कि रात में जब उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई, तो वह जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां मौजूद डॉक्टर्स और स्टाफ ने न केवल इलाज से इनकार किया बल्कि खुले तौर पर डर दिखाकर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराने का दबाव बनाया। हमने सोचा सरकारी अस्पताल है यहाँ मदद मिलेगी लेकिन यहाँ तो हमें कहा गया कि डिलीवरी रात में नहीं होती। यह सुनकर हमारे होश उड़ गए।
अस्पताल में रात को पर्याप्त सुविधाएँ नहीं
पीड़ित परिवार का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने यह भी कहा कि अस्पताल में रात को पर्याप्त सुविधाएँ नहीं हैं इसलिए उन्हें बाहर शिफ्ट कर लें, वरना महिला और बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। यह बयान अपने आप में सवाल खड़ा करता है कि अगर सरकारी अस्पतालों में रात में डिलीवरी नहीं हो सकती तो इमरजेंसी के दौरान गरीब मरीज कहाँ जाएँ?
अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया
इस मामले में अस्पताल प्रशासन की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है। जब मीडिया ने संपर्क करने की कोशिश की तो अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इस लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल से यह कहकर लौटाया जाना कि रात में इलाज नहीं होता न सिर्फ गैर जिम्मेदाराना है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर विफलता को उजागर करता है। पीड़ित परिवार का मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किया गया है ताकि जिला प्रशासन और मीडिया इस मामले की सच्चाई जान सके और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई हो अब सवाल यह है क्या गरीब जनता का सरकारी अस्पतालों में कोई सहारा नहीं बचा?
अगर रात में इमरजेंसी डिलीवरी नहीं की जाती तो सरकारी अस्पताल का अस्तित्व किस काम का? अब समय है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस तरह की लापरवाहियों पर सख्त कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि गरीब और जरूरतमंद मरीजों को उनके अधिकार से वंचित न किया जाये।
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