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Microplastics Health Alert: माइक्रोप्लास्टिक अब शुक्राणु और अंडाशय तक पहुंच गए! प्रजनन क्षमता पर मंडराता नया खतरा?
Microplastics Reached Sperm and Ovaries: सूक्ष्म प्लास्टिक कण 5 मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं, लेकिन इनके प्रभाव मानव प्रजनन स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं।
Microplastics Reached Sperm and Ovaries (Image Credit-Social Media)
Microplastics Health Alert: नई दिल्ली। प्लास्टिक अब हर जगह घुस चुका है — और अब यह हमारे प्रजनन तंत्र तक पहुंच गया है! एक चौंकाने वाली और वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण खोज में वैज्ञानिकों ने इंसानी शुक्राणु (semen) और फॉलिक्युलर फ्लूइड (अंडाणु के चारों ओर की तरल परत) में माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए हैं। ये सूक्ष्म प्लास्टिक कण 5 मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं, लेकिन इनके प्रभाव मानव प्रजनन स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं।
यह अध्ययन 1 जुलाई 2025 को प्रतिष्ठित शोध पत्रिका ह्यूमन रिप्रोडक्शन में प्रकाशित हुआ और इसे यूरोपियन सोसायटी ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एम्ब्रायोलॉजी (ESHRE) की 41वीं वार्षिक बैठक में पेरिस में प्रस्तुत किया गया। इसमें बताया गया कि 25 महिलाओं से लिए गए फॉलिक्युलर फ्लूइड सैंपल्स में से 69%, और 18 पुरुषों के सैंपल्स में से 55% में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद थे। चूंकि ये दोनों तरल पदार्थ मानव प्रजनन प्रक्रिया के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं, इसलिए यह खोज और भी ज्यादा गंभीर हो जाती है।
यह शोध कैसे किया गया?
यह शोध स्पेन के नेक्स्ट फर्टिलिटी मर्सिया में, यूनिवर्सिटी ऑफ मर्सिया के डॉ. एमिलियो गोमेज़-सांचेज़ के नेतृत्व में किया गया। इसमें आईवीएफ प्रक्रियाओं के दौरान महिलाओं से अंडाणु निकालते समय और पुरुषों के शुक्राणु विश्लेषण के दौरान लिए गए नमूनों का परीक्षण किया गया।
माइक्रोस्कोपी और इन्फ्रारेड लेज़र तकनीक के मिश्रण से वैज्ञानिकों ने 9 प्रकार के माइक्रोप्लास्टिक पहचाने, जिनमें शामिल हैं:
• पॉलीएमाइड (नायलॉन)
• पॉलीयूरेथेन
• पॉलीएथिलीन
• पोलिटेट्राफ्लोरोएथिलीन (PTFE - नॉनस्टिक बर्तनों में प्रयुक्त)
• पॉलीएथिलीन टेरेफ्थेलेट (PET - प्लास्टिक बोतलों में प्रयुक्त)
फॉलिक्युलर फ्लूइड के 50% से अधिक सैंपल्स में पॉलीएमाइड, पॉलीयूरेथेन और पॉलीएथिलीन पाए गए, जबकि 56% शुक्राणु सैंपल्स में PTFE मिला। अधिकांश सैंपल्स में 1-2 कण थे, लेकिन कुछ में 5 तक भी पाए गए। विशेष बात यह रही कि फॉलिक्युलर फ्लूइड में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा शुक्राणु की तुलना में अधिक पाई गई।
हालाँकि, माइक्रोप्लास्टिक की तुलना में अन्य गैर-प्लास्टिक कणों की मात्रा और भी अधिक थी, लेकिन अध्ययन में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वे अन्य कण क्या थे।
अब कोई अंग सुरक्षित नहीं!
यह खोज पहले के अध्ययनों की कड़ी में एक और खतरनाक कड़ी जोड़ती है। एक 2024 के चीनी अध्ययन में 40 स्वस्थ पुरुषों के सभी शुक्राणु नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक पाए गए थे। एक इतालवी अध्ययन में भी 10 में से 6 नमूनों में ये कण मौजूद थे।
जानवरों पर हुए कई अध्ययनों में माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क से शुक्राणुओं की संख्या में गिरावट, शुक्राणु विकृति, और हार्मोनल असंतुलन देखा गया है, जिससे मानव प्रजनन पर भी खतरे की आशंका बढ़ जाती है।
हालाँकि डॉ. गोमेज़-सांचेज़ ने चेतावनी दी कि “माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी इसका मतलब नहीं कि उसका प्रभाव भी है।” उन्होंने कहा कि अभी यह साबित नहीं हुआ है कि ये कण अंडाणु या शुक्राणु की गुणवत्ता को नुकसान पहुँचा रहे हैं, इसलिए और शोध की आवश्यकता है।
माइक्रोप्लास्टिक के साथ ज़हरीले रसायनों का भी खतरा
इस अध्ययन में इस बात को भी रेखांकित किया गया कि बिस्फेनोल्स, फ्थेलेट्स और PFAs जैसे प्लास्टिक-जनित रसायन माइक्रोप्लास्टिक से रिसकर हमारे शरीर में जा सकते हैं। ये रसायन हार्मोन को बाधित करते हैं, और इससे कैंसर, सांस की बीमारियाँ, और त्वचा विकार जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
न्यू मैक्सिको विश्वविद्यालय के डॉ. जियाओझोंग यू ने कहा कि इन खतरों को लेकर अत्यंत सतर्क रहने की ज़रूरत है और यह जानना ज़रूरी है कि कितने स्तर पर ये रसायन हमारे शरीर को प्रभावित करने लगते हैं।
वहीं, ESHRE के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. कार्लोस काल्हाज़-जॉर्ज ने इस खोज को “हमारी दैनिक ज़िंदगी में प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग को रोकने के लिए एक और गंभीर चेतावनी” बताया।
हर जगह घुस चुका है माइक्रोप्लास्टिक
आज माइक्रोप्लास्टिक माउंट एवरेस्ट की चोटी से लेकर मारियाना ट्रेंच की गहराई तक हर जगह पाया गया है। ये खाने, पानी और हवा के ज़रिए हमारे शरीर में घुस रहे हैं। हाल के अध्ययनों में मांस, सब्जियाँ, स्तन दूध, रक्त, यहां तक कि मस्तिष्क के ऊतक तक में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी पाई गई है।
कैसे बचा जा सकता है?
विशेषज्ञ सुझाव देते हैं:
• प्लास्टिक के बर्तनों की जगह कांच के कंटेनरों का उपयोग करें
• प्लास्टिक को गर्म करने से बचें
• जैविक खाद्य उत्पाद (ऑर्गेनिक फूड) अपनाएं, ताकि प्लास्टिक आधारित कीटनाशकों से बचा जा सके।
यह खोज न केवल मानव प्रजनन प्रणाली में प्लास्टिक की घुसपैठ की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि हमारे पर्यावरण और जीवनशैली में प्लास्टिक के अनियंत्रित उपयोग पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। यह समय है जब हमें प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे — वरना शायद अगली पीढ़ी का अस्तित्व ही सवाल बन जाए।
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