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कहीं आप भी PCOS या PCOD से ग्रस्त तो नहीं? जानें अनियमित मासिक धर्म के लक्षण, कारण और इलाज
What is PCOS & PCOD: आज की जीवनशैली और खान-पान के बदलते पैटर्न के कारण PCOS और PCOD जैसी समस्याएँ बहुत आम हो गई हैं।
What is PCOS and PCOD Symptoms Treatment
PCOS & PCOD Kya Hai: आजकल हर दस में से नौ लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अक्सर मासिक धर्म असामान्य हो जाता है, जैसे कि अनियमित होना, बहुत ज्यादा या बहुत कम होना, या दर्द और थकान होना। ये समस्याएँ उनकी पढ़ाई, काम और रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालती हैं। इन परेशानियों के पीछे अक्सर PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) और PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज) जैसी स्वास्थ्य स्थितियाँ होती हैं। इसलिए महिलाओं के लिए इस विषय को समझना और समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है। इस लेख में हम आसान भाषा में बताएँगे कि PCOS और PCOD क्या हैं, इनके लक्षण कैसे पहचानें और क्यों यह स्वास्थ्य के लिए गंभीर हो सकते हैं।
PCOS और PCOD क्या हैं?
PCOD - PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज) एक हार्मोनल समस्या है, जिसमें अंडाशय में कई छोटे तरल से भरे सिस्ट बन जाते हैं। इसके कारण अंडाशय सामान्य से बड़े हो जाते हैं और अंडे अनियमित रूप से रिलीज होते हैं या कभी-कभी ही अंडोत्सर्ग होता है। PCOD आमतौर पर गंभीर नहीं माना जाता और इसका असर मुख्य रूप से अंडाशय तक ही रहता है। हालांकि, इसके कारण मासिक धर्म असामान्य हो सकता है, वजन बढ़ सकता है और कभी-कभी बालों की समस्याएँ भी हो सकती हैं। इस कारण इसे समय पर पहचानकर सही देखभाल करना जरूरी है।
PCOS - PCOS यानि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम केवल अंडाशय की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक हार्मोनल सिंड्रोम है जो पूरे शरीर के हार्मोन सिस्टम को प्रभावित करता है। इसमें हार्मोन असंतुलन के कारण मासिक धर्म अनियमित हो सकता है, प्रजनन क्षमता कम हो सकती है और शरीर में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए चेहरे या शरीर पर अधिक बाल आना (हिर्सुटिज्म), मुँहासे, वजन बढ़ना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। PCOS से प्रभावित महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा रहता है। इसलिए यह एक गंभीर स्थिति है और इसे समय पर समझना और सही इलाज कराना बहुत जरूरी है।
PCOS/PCOD के लक्षण
PCOS और PCOD के लक्षण महिलाओं में अलग-अलग तरह से प्रकट हो सकते हैं। कुछ आम लक्षण हैं:
अनियमित मासिक धर्म (महीने में बार-बार या बहुत देर से पीरियड आना)।
अंडाशय में सिस्ट बनना, जो अल्ट्रासाउंड से दिखता है।
वजन बढ़ना या मोटापा, खासकर पेट के आसपास।
चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल (हिर्सुटिज़्म)।
त्वचा संबंधी समस्याएं, जैसे मुंहासे, डार्क स्पॉट्स, तेलीय त्वचा।
बाल झड़ना या पतला होना।
थकान, मानसिक अस्थिरता, तनाव, डिप्रेशन और चिंता।
संतान संबंधी समस्याएं जैसे गर्भधारण में कठिनाई।
PCOS और PCOD के कारण
PCOS और PCOD होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, हार्मोनल असंतुलन इसमें मुख्य भूमिका निभाता है जिसमें एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मासिक चक्र अनियमित हो सकता है और अंडाशय में सिस्ट बन सकते हैं।
इसके अलावा इंसुलिन प्रतिरोध भी एक कारण है। यानी शरीर इंसुलिन को सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाता, जिससे रक्त में शुगर बढ़ जाती है और हार्मोनल असंतुलन बढ़ता है।
गलत जीवनशैली और खान-पान जैसे अधिक तला-भुना, शक्कर वाला या तेल वाला खाना, कम व्यायाम और मोटापा भी इस समस्या को बढ़ाते हैं।
मानसिक तनाव और नींद की कमी हार्मोनल स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालती हैं।
इसके अलावा अगर परिवार में किसी को PCOS या PCOD रहा है, तो इसका खतरा बढ़ जाता है।
PCOS/PCOD का प्रभाव
अगर PCOS या PCOD का समय पर सही इलाज और ध्यान न दिया जाए, तो इसका असर सिर्फ मासिक धर्म तक नहीं रहता बल्कि महिलाओं के पूरे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसके कारण डायबिटीज़ और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। फर्टिलिटी यानी गर्भधारण में भी समस्याएँ हो सकती हैं। इसके अलावा, मूड स्विंग्स, मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ भी देखने को मिल सकती हैं। साथ ही त्वचा और बालों में भी परेशानियाँ हो सकती हैं जैसे मुँहासे और बाल झड़ना। इसलिए इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।
PCOS/PCOD का निदान
PCOS और PCOD का निदान करने के लिए डॉक्टर कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। सबसे पहले, शारीरिक जांच में वे वजन, शरीर पर बालों की वृद्धि और त्वचा की स्थिति जैसी चीज़ों को देखते हैं। इसके अलावा रक्त परीक्षण के जरिए हार्मोन स्तर जैसे एंड्रोजन, इंसुलिन और थायरॉइड हार्मोन की जांच की जाती है। अल्ट्रासाउंड स्कैन से अंडाशय में सिस्ट की संख्या और स्थिति का पता लगाया जाता है। साथ ही मेडिकल हिस्ट्री में मासिक धर्म का पैटर्न, वजन में बदलाव, परिवारिक इतिहास और जीवनशैली के बारे में जानकारी ली जाती है। ये सभी तरीके मिलकर डॉक्टर को PCOS या PCOD की पुष्टि करने और सही उपचार तय करने में मदद करते हैं।
PCOS/PCOD का उपचार
सही उपचार और जीवनशैली बदलाव से इन समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है।
डाइट और खान-पान - कम शुगर, कम वसा वाले भोजन का सेवन, हरी सब्जियाँ, फाइबर युक्त आहार और पर्याप्त पानी पीना उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
व्यायाम और योग - नियमित व्यायाम वजन को नियंत्रित करता है और योग तथा ध्यान मानसिक तनाव को कम करते हैं।
दवा और हार्मोनल थेरेपी - डॉक्टर की सलाह अनुसार हार्मोनल दवाएँ, पीरियड नियमित करने वाली दवाएँ और इंसुलिन नियंत्रित करने वाली दवाएँ दी जा सकती हैं।
सर्जिकल विकल्प - गंभीर मामलों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का विकल्प चुनना पड़ सकता है।
जीवनशैली में बदलाव
पर्याप्त नींद लेना हार्मोन तंत्र और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए आवश्यक है।
तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन और प्राणायाम बहुत सहायक होते हैं, जो मानसिक शांति और हार्मोन संतुलन में मदद करते हैं।
नियमित स्वास्थ्य जांच से बीमारी की प्रगति पर नजर रखी जा सकती है और समय पर इलाज संभव होता है।
मासिक धर्म की ट्रैकिंग से मासिक चक्र की अनियमितताओं को समझने और उनके सुधार में सहायता मिलती है।
PCOS/PCOD से जुड़ी भ्रांतियाँ
सिर्फ मोटापे वाली महिलाओं को होता है - केवल मोटापे वाली महिलाओं को PCOS/PCOD होता है यह गलत है। पतली महिलाओं में भी यह समस्या हो सकती है क्योंकि यह हार्मोनल असंतुलन और अन्य कारकों पर निर्भर करता है।
गर्भधारण में दिक्कते - समय पर सही उपचार और जीवनशैली में बदलाव से गर्भधारण संभव है।
अनियमित पीरियड सामान्य है, चिंता की जरूरत नहीं - अनियमित पीरियड्स सामान्य समस्या है लेकिन अगर यह लगातार बनी रहे तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
क्या कहते है आकड़े?
दुनिया भर में PCOS एक आम समस्या बनती जा रही है। 2019 में प्रजनन आयु की महिलाओं में इसके लगभग 63.3 मिलियन नए मामले दर्ज किए गए थे, जो 2021 तक बढ़कर लगभग 65.77 मिलियन हो गए। वैश्विक स्तर पर प्रजनन उम्र की महिलाओं में PCOS की दर लगभग 6% से 13% तक मानी जाती है। यह समस्या सबसे ज्यादा 15 - 29 साल की उम्र की महिलाओं में पाई जाती है। अलग-अलग क्षेत्रों में इसके मामले अलग हैं, जैसे उच्च - आय वाले एशिया पैसिफिक देशों में ज्यादा और मध्य या निम्न-आय वाले देशों में कम लेकिन बढ़ते हुए मामले देखे गए हैं। PCOS की बढ़ती संख्या को सामाजिक आर्थिक कारणों, बदलती जीवनशैली और बेहतर स्वास्थ्य जांच से जोड़ा गया है।
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