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बिहार की बनी बनाई सरकार का पलट जाएगा खेल, चुनाव में ये 'दस बिंदु' मुश्किल बना देंगे राह; संकट सभी पर

Bihar Politics: नेताओं के निजी विवाद, कानूनी पेंच और आपसी मतभेद राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकते हैं।

Snigdha Singh
Published on: 14 July 2025 9:35 AM IST
बिहार की बनी बनाई सरकार का पलट जाएगा खेल, चुनाव में ये दस बिंदु मुश्किल बना देंगे राह; संकट सभी पर
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Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही गठबंधन चुनावी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं, लेकिन अंदरूनी कलह उनके लिए बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है।

एनडीए में चिराग का अलग सुर

एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राह में कांटे बिछा दिए हैं। चिराग ने ऐलान किया है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिससे एनडीए की एकजुटता पर सवाल उठने लगे हैं।

महागठबंधन में मुकेश सहनी की शर्तें

उधर, महागठबंधन में वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सहनी ने साफ कर दिया है कि यदि उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया, तो तेजस्वी को सीएम बनने का सपना भी भूल जाना चाहिए।

तेजस्वी के सामने संकटों का पहाड़

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के लिए हालात दिन-ब-दिन चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। उनके भाई तेज प्रताप यादव का निजी जीवन एक नई मुसीबत बनकर सामने आया है। तेज प्रताप के सोशल मीडिया पोस्ट से उनके प्रेम संबंधों का खुलासा हुआ, जिसके बाद पार्टी और परिवार की छवि को नुकसान पहुंचा। इस विवाद के बाद लालू यादव ने तेज प्रताप को न सिर्फ पार्टी से, बल्कि परिवार से भी दूर कर दिया है। तेज प्रताप अब अपनी राजनीतिक राह अलग बनाने के संकेत दे चुके हैं और महुआ से फिर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं।

ऐश्वर्या राय का मोर्चा भी संभव

तेज प्रताप की पूर्व पत्नी और पूर्व सीएम दारोगा प्रसाद राय की पोती ऐश्वर्या राय भी चुनावी सियासत में एक नया मोर्चा खोल सकती हैं। तलाक का मामला अभी अदालत में लंबित है, लेकिन तेज प्रताप की नई प्रेम कहानी ने ऐश्वर्या को नाराज कर दिया है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर ऐश्वर्या चुनावी मंच से लालू परिवार के खिलाफ बोलती हैं, तो विपक्ष इसे हथियार बनाने में देर नहीं करेगा।

आरजेडी के भीतर विरोध के सुर

तेजस्वी के नेतृत्व पर अब उनकी ही पार्टी में सवाल उठने लगे हैं। नवादा से विधायक विभा देवी और रजौली के विधायक प्रकाश वीर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी नेतृत्व पर खुलकर नाराजगी जताई है। दोनों नेताओं ने कहा कि उन्हें जानबूझकर बदनाम किया जा रहा है, जबकि वे पार्टी के लिए पूरी निष्ठा से काम करते रहे हैं।

मुस्लिम वोट बैंक पर झटका

नीतीश कुमार के वक्फ कानून और बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर मुस्लिम समाज में असंतोष माना जा रहा था। लेकिन हाल ही में जेडीयू एमएलसी खालिद अनवर के नेतृत्व में 200 मुस्लिम युवकों का जेडीयू में शामिल होना तेजस्वी यादव के लिए करारा झटका है। यह महागठबंधन की मुस्लिम वोट बैंक की रणनीति को कमजोर कर सकता है।

‘लैंड फॉर जॉब’ मामला फिर चर्चा में

रेल मंत्री रहते लालू यादव पर लगे जमीन के बदले नौकरी देने के आरोप फिर से तूल पकड़ रहे हैं। तेजस्वी यादव पर भी आरोप हैं कि उन्होंने इस प्रक्रिया में संपत्ति का लाभ उठाया। तेजस्वी ने कहा है कि जब ये संपत्तियां उनके नाम पर आई थीं, वे नाबालिग थे। अगर मामले की जांच आगे बढ़ती है, तो उन्हें कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

कांग्रेस और सहयोगी दलों से सीट बंटवारे की खींचतान

महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर घमासान जारी है। वीआईपी 60 सीटें मांग रहा है, वहीं कांग्रेस 70 से कम पर तैयार नहीं है। आरजेडी को मजबूरन अपनी सीटें घटानी पड़ सकती हैं। कांग्रेस ने अब तक तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा मानने की सहमति नहीं दी है, जिससे गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

पप्पू यादव और कन्हैया कुमार से भी टकराव

बिहार बंद के दौरान पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को राहुल गांधी के साथ मंच साझा करने से रोका गया, जिससे दोनों नेता नाराज हो गए। माना जा रहा है कि वे तेजस्वी के इस व्यवहार से खफा हैं और जन सुराज से जुड़ सकते हैं। राहुल गांधी ने नाराजगी दूर करने के लिए कन्हैया को दिल्ली बुलाया है।

सवर्ण वोट पर नया संकट

आरजेडी प्रवक्ता द्वारा रणवीर सेना प्रमुख स्व. ब्रह्मेश्वर मुखिया को लेकर दिए गए बयान और ‘भूराबाल साफ करो’ के नारे के फिर से गूंजने से पार्टी को सवर्ण समाज की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। इससे पार्टी को चुनावी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन और एनडीए दोनों ही खेमों में अंदरूनी खींचतान, व्यक्तिगत विवाद और सीटों को लेकर तनातनी ने असमंजस की स्थिति बना दी है। नेताओं के निजी विवाद, कानूनी पेंच और आपसी मतभेद राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल सकते हैं। आने वाले दिनों में तस्वीर और साफ होगी कि कौन किसके साथ रहेगा और कौन बगावत की राह पकड़ेगा।

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