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जंगलराज में 'वोट जुगाड़'! बिहार में बाहुबली पॉलिटिक्स, अनंत-ललन सिंह के भौकाल ने बदला सियासी समीकरण
Bihar Jungle Raj politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक बार फिर 'जंगलराज' बनाम 'सुशासन' की बहस तेज हो गई है। मोकामा और दानापुर सीटों पर ललन सिंह और लालू यादव के बाहुबली उम्मीदवारों के समर्थन ने बिहार की सियासत का पूरा समीकरण बदल दिया है।
Bihar Jungle Raj politics: बिहार विधानसभा चुनाव की जंग अब अपने चरम पर है और इस बार चुनावी मैदान में 'बाहुबली' फैक्टर खुलकर सामने आ गया है। मोकामा और दानापुर की सीटों पर जेडीयू और आरजेडी दोनों ही दलों के दिग्गज नेता अब सीधे तौर पर उन उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं जो आपराधिक मामलों के चलते सलाखों के पीछे हैं। इस राजनीतिक दाँवपेंच ने बिहार की दशकों पुरानी 'जंगलराज' बनाम 'सुशासन' की बहस को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है।
सबसे पहले खबर आई कि मोकामा में केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के एक चुनावी भाषण का वीडियो वायरल होने के बाद उनके खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज की गई है। वहीं, दूसरी तरफ, आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने दानापुर विधानसभा से पार्टी के बाहुबली उम्मीदवार रीतलाल यादव के समर्थन में 15 किलोमीटर लंबा रोड शो किया। सवाल यह है कि यदि रीतलाल यादव और अनंत सिंह दोनों ही आपराधिक कारणों से जेल में हैं, तो क्या ललन सिंह के कैंपेन और लालू यादव के रोड शो में कोई वैचारिक फर्क रह जाता है?
ललन सिंह पर FIR: "विरोधी को घर से बाहर न निकलने देना"
दुलारचंद यादव मर्डर केस में जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह को जेल भेजे जाने के बाद, उनके लोकसभा क्षेत्र मुंगेर के तहत आने वाली मोकामा विधानसभा सीट पर कमान केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने संभाल ली है। ललन सिंह लगातार मोकामा में जनसभाएं कर रहे हैं और कह रहे हैं कि "अब मोकामा का हर कार्यकर्ता 'अनंत सिंह' बनकर चुनाव लड़ेगा।" हालांकि, उनका जोश तब मुसीबत बन गया जब उनके एक भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। पटना जिला प्रशासन के अनुसार, वीडियो निगरानी टीम की जांच के बाद, ललन सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
क्या है आपत्तिजनक टिप्पणी?
आरजेडी की चर्चित प्रवक्ता प्रियंका भारती ने एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि ललन सिंह वीडियो में विरोधी दल के नेता को "घर से बाहर नहीं निकलने देने" की बात कह रहे हैं। हालांकि जेडीयू ने ऑडियो को एडिट करके पेश करने का दावा किया है, लेकिन वीडियो में ललन सिंह यह समझाते सुनाई देते हैं कि "एक-दो नेता" हैं जिनके बारे में समझाना है कि "उनको घर से बाहर नहीं निकलने देना है।" और अगर वे बहुत हाथ-पैर जोड़ें तो कहिएगा कि "चलिए हमारे साथ और अपना वोट डालिए।" ललन सिंह का यह अंदाज़ साफ दिखाता है कि अनंत सिंह की गैर-मौजूदगी में वह किसी भी तरह से मोकामा की जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं।
लालू यादव का 'बाहुबली' समर्थन: दानापुर का रोड शो
मोकामा में जहां ललन सिंह अनंत सिंह के लिए मैदान संभाले हुए हैं, वहीं पटना की दानापुर विधानसभा सीट पर लालू यादव ने 3 नवंबर की शाम को करीब 15 किमी लंबा रोड शो किया। यह रोड शो उन्होंने मौजूदा विधायक और आरजेडी उम्मीदवार रीतलाल यादव के समर्थन में किया, जिन्हें एक बिल्डर से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने के मामले में जेल भेजा गया है। रीतलाल यादव चुनाव प्रचार के लिए पटना हाई कोर्ट से अनुमति नहीं पा सके, इसलिए उनके परिवार ने कमान संभाली है। लालू यादव ने अपनी बड़ी बेटी और स्थानीय सांसद मीसा भारती को भी अपने साथ गाड़ी में बिठाया था।
जंगलराज की दुहाई
लालू यादव के इस रोड शो पर बीजेपी ने "जंगलराज" की दुहाई देते हुए सवाल उठाए हैं। बीजेपी नेता लालू यादव के घर पर बैडमिंटन खेलने के दावे करते हैं और पेशी के लिए व्हीलचेयर पर पहुंचने पर सवाल उठाते हुए उनके रोड शो पर भी उसी लहजे में हमला बोल रहे हैं। हालांकि, रोड शो में लालू यादव गाड़ी के अंदर ही बैठे थे, जिसकी वजह उनकी सेहत का ठीक न होना बताई गई। लालू यादव का यह रोड शो महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के लिए काफी अहमियत रखता है, क्योंकि यह बताता है कि आरजेडी अपने सबसे बड़े नेता के समर्थन से बाहुबली उम्मीदवारों को भी जीत दिलाना चाहती है।
दो बाहुबलियों पर दो पार्टियों का दांव: सियासी समानता
बीते बीस साल से बीजेपी और जेडीयू 'जंगलराज' के नाम पर लालू यादव की आरजेडी को घेरती रही हैं। लेकिन अब जब ललन सिंह (जेडीयू/एनडीए) अनंत सिंह (आपराधिक कारणों से जेल में) के लिए वोट मांग रहे हैं, और लालू यादव (आरजेडी/महागठबंधन) रीतलाल यादव (आपराधिक कारणों से जेल में) के लिए रोड शो कर रहे हैं, तो सवाल उठता है: आपराधिक वजहों से सलाखों के पीछे भेजे गए उम्मीदवारों के समर्थन में किए जा रहे इन अभियानों में किस बात का फर्क है? यह विरोधाभास साफ दिखाता है कि बिहार की राजनीति में जीत ही सबसे बड़ा धर्म है। दल और गठबंधन बदल गए हैं, लेकिन बाहुबली उम्मीदवारों को गले लगाने की प्रवृत्ति खत्म नहीं हुई है। मोकामा और दानापुर का यह चुनावी संग्राम इस बात का सबूत है कि बिहार की राजनीति अभी भी 'सत्ता के लिए बाहुबल' के इर्द-गिर्द घूम रही है, भले ही इसकी कीमत नैतिक सिद्धांतों से चुकानी पड़े।
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