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Bihar Election 2025: बिहार चुनाव में सीट बंटवारे पर खींचतान, नीतीश-लालू की नींद हुई हराम
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने का समय आ गया है लेकिन एनडीए और महागठबंधन दोनों में ही अपने-अपने दलों के भीतर सीटों के लिए खींचतान मची हुई है।
Bihar Election 2025 Seat-Sharing Tension Shakes Nitish and Lalu
Bihar Election 2025: पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने का समय आ गया है लेकिन एनडीए और महागठबंधन दोनों में ही अपने-अपने दलों के भीतर सीटों के लिए खींचतान मची हुई है। मनमुताबिक सीटें न मिलने से पार्टियों में नाराजगी है और अब डैमेज कंट्रोल की कवायद की जा रही है।
आलम ये है कि पटना में मुख्यमंत्री और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार के सरकारी आवास की सुरक्षा बढ़ानी पड़ गई है। अंदेशा है कि पार्टी के असंतुष्ट नेता कहीं भीतर न घुस जाएं। नीतीश खुद भी एनडीए में सीट बंटवारे से क्षुब्ध हैं, खासकर चिराग पासवान को ज्यादा शेयर दिए जाने से।
दूसरी ओर महागठबंधन के महा शेयरहोल्डर राजद में तेजस्वी टिकट बंटवारे पर सिर धुन रहे हैं जबकि टिकट पार्टी सुप्रीमो लालू यादव ने खुद तय किये हैं।
जदयू में नाराजगी
बताया जाता है कि नीतीश कुमार सीट शेयरिंग पर खासे नाराज हैं। हुआ ये है कि ।चिराग पासवान के नेतृत्व वाले लोजपा गुट ने एनडीए से 29 सीटें झटक कर एक बड़ा उलटफेर कर दिया है, जिसका असर अब जद (यू) पर पड़ रहा है। नीतीश की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा ने लोजपा के साथ री-सेटिंग की कोशिश शुरू की है ताकि कुछ सीटों पर फिर से बातचीत की जा सके। इस काम में भाजपा नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय को लोजपा के बिहार प्रभारी और जमुई सांसद अरुण भारती के साथ बातचीत करने के लिए लगाया गया है। नीतीश भी भाजपा नेताओं से बातचीत में लगे हैं।
इस बीच एनडीए के छोटे सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने जदयू को सपोर्ट कर दिया है। मांझी ने तो चेतावनी दे दी है कि उनकी पार्टी चिराग पासवान की पार्टी के खिलाफ दो विधानसभा क्षेत्रों - बोधगया और मखदुमपुर से चुनाव लड़ेगी।
जदयू में असंतोष का आलम ये है कि पार्टी के भागलपुर से सांसद अजय मंडल ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने नीतीश को एक पत्र लिखकर शिकायत की है कि उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है और उनके लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों के टिकट बंटवारे में उन्हें शामिल नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, पार्टी के पीरपंती विधायक गोपाल मंडल तो सीएम हाउस के बाहर धरने पर बैठ गए। उनका रंज है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता उनकी बात नहीं सुन रहे हैं।
लालू खेमे में भूचाल
उधर लालू यादव के परिवार के आवास पर, राजद नेता बोगो सिंह (मटिहानी), भाई वीरेंद्र (मनेर), रेखा पासवान (मसुआरही) और संजीव सिंह (परबत्ता) सोमवार की रात में बुला लिए गए क्योंकि तेजस्वी ने उन्हें टिकट दिए जाने पर ही सवाल उठा दिया था। बताया जाता है कि तेजस्वी की अनुपस्थिति में ही लालू प्रसाद ने सात नेताओं को पार्टी का चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया। जब तेजस्वी को इस बारे में पता चला तो वे बहुत लालपीले हुए। जिनको टिकट दे दिया गया है अब उनसे वापस लेना तो मुश्किल है लेकिन अपनी गहरी नाराजगी दिखा कर तेजस्वी ने अपने परिवार और पार्टी के लिए साफ मैसेज दे दिया है कि टिकट बांटने में उनकी ही प्रमुख भूमिका रहेगी।
अपने ही खेमे में चल रही परेशानियों के अलावा राजद को अभी भी सहयोगी कांग्रेस के साथ मसले सुलझाने हैं। कांग्रेस अपनी सूची तैयार कर चुकी है लेकिन उनमें कुछ ऐसी सीटें हैं जिन्हें राजद अपने पास चाहती है।
बहरहाल, दोनों ही गठबंधनों में सीट शेयरिंग पर असंतोष बना हुआ है। वैसे ये कोई नई बात भी नहीं है। जब कई कई दल मिल कर चुनाव लड़ेंगे तो टकराव लाजिमी है। दूसरे ये कि कोई नेता अपना टिकट कटना तो चाहेगा नहीं, सो उनका विद्रोही हो जाना भी स्वाभाविक है। देखना रोचक होगा कि पार्टियां क्या रणनीति अपनाती हैं और किसे कितना गम खाना पड़ेगा।
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