मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाना इतना आसान नहीं! संविधान ने दिया है ये खास ‘कवच’

CEC India removal process: हाल ही में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ प्रस्ताव लाने की चर्चा तेज कर दी है, लेकिन संविधानिक प्रावधानों की वजह से यह कदम बेहद मुशिकल नज़र आ रहा है।

Priya Singh Bisen
Published on: 20 Aug 2025 12:31 PM IST
CEC India removal process
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CEC India removal process

CEC India removal process: भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय संविधान ने मुख्य चुनाव आयुक्त को विशेष सुरक्षा प्रदान की है। यही कारण है कि विपक्ष के लिए भी उन्हें पद से हटाना इतना आसान नहीं है। हाल ही में कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ प्रस्ताव लाने की चर्चा तेज कर दी है, लेकिन संविधानिक प्रावधानों की वजह से यह कदम बेहद मुशिकल नज़र आ रहा है।

क्या कहता है संविधान ?

मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 324(5) में निर्धारित है। इसके आधार पर, CEC को उसी अनुसार और प्रक्रिया से हटाया जा सकता है, जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाया जाता है। यानी, सिर्फ सिद्ध दुर्व्यवहार (Proved Misbehaviour) या अक्षमता (Incapacity) के आधार पर ही यह प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट जज की तरह कड़ा प्रावधान

संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत सुप्रीम कोर्ट के जज को तभी पद से हटाया जा सकता है जब संसद के दोनों सदनों में एक ही सत्र के दौरान खा बहुमत से प्रस्ताव पारित हो और उसके बाद राष्ट्रपति आदेश जारी करें। यही नियम CEC पर भी लागू होता है।

विशेष बहुमत का अर्थ है –

- सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत होना।

- साथ ही, उपस्थित और वोट देने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलना।

क्या है हटाने की प्रक्रिया

1. प्रस्ताव संसद के किसी सदन में पेश किया जाता है।

2. लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों या राज्यसभा में 50 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं।

3. लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति प्रस्ताव को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का अधिकार रखते हैं।

4. प्रस्ताव स्वीकार होने पर एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का एक न्यायाधीश, हाई कोर्ट का एक मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद शामिल होता है।

5. यह समिति आरोपों की गहनता से जांच करती है और रिपोर्ट पेश करती है।

6. अगर समिति आरोपों को सिद्ध पाती है, तभी प्रस्ताव पर संसद में बहस और मतदान की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

7. दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित होने पर प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास जाता है और राष्ट्रपति को CEC को पद से हटाने का आदेश देना पड़ता है।

इस्तीफ़ा या रिटायरमेंट के विकल्प क्या हो सकते हैं ?

CEC अपने कार्यकाल (6 साल या 65 उम्र तक) पूरा होने पर, या फिर कभी भी राष्ट्रपति को इस्तीफ़ा देकर भी पद छोड़ सकते हैं। लेकिन पद से हटाने की औपचारिक प्रक्रिया बेहद जटिल और समय लेने वाली है।

क्यों है चर्चा में ये बहस का मामला ?

विपक्ष ने हाल ही में बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राहुल गांधी ने आयोग पर 'वोट चोरी' जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके कारण विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, संवैधानिक प्रावधानों को देखते हुए इस कदम का सफल होना बहुत मुश्किल माना जा रहा है।

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