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Chirag Paswan Profile: एक नई पीढ़ी का दलित चेहरा और बिहार राजनीति का नया समीकरण
Chirag Paswan Profile in Hindi: बिहार की राजनीति में चिराग कुमार पासवान उस पीढ़ी का चेहरा हैं जो परंपरा और आधुनिकता के बीच पुल बनना चाहती है...
Chirag Paswan Profile Political Career Achievements LJP Power in Bihar Assembly Election 2025 Update
Chirag Paswan Profile in Hindi: बिहार की राजनीति में चिराग कुमार पासवान उस पीढ़ी का चेहरा हैं जो परंपरा और आधुनिकता के बीच पुल बनना चाहती है। वे केवल रामविलास पासवान के बेटे नहीं, बल्कि बिहार की बदलती राजनीति में ‘कास्ट-बेस से कैडर-बेस’ की ओर बढ़ती दलित राजनीति के नए प्रतीक हैं।
प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
चिराग पासवान का जन्म 31 अक्तूबर, 1982 को खगड़िया (बिहार) में हुआ।
पिता रामविलास पासवान, लंबे समय तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। माता रीना शर्मा पंजाबी परिवार से हैं।उन्होंने दिल्ली में प्रारंभिक शिक्षा ली। कुछ समय के लिए इंजीनियरिंग में नामांकन कराया।
पर बाद में पढ़ाई अधूरी छोड़ दी। राजनीति में आने से पहले उन्होंने 2011 में फ़िल्म ‘मिले ना मिले हम’ में अभिनय किया।
लेकिन असली पहचान उन्हें पिता की राजनीतिक विरासत सँभालने से मिली।
राजनीतिक सफ़र की शुरुआत
चिराग ने 2011 में आधिकारिक रूप से लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) जॉइन की।
2014 के लोकसभा चुनाव में वे जमुई आरक्षित सीट से NDA के उम्मीदवार बने और पहली बार संसद पहुँचे।उन्होंने लगभग 86,000 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
2019 में दोबारा जमुई से जीतकर वे लगातार दूसरी बार सांसद बने और LJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 2020 में पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद LJP में दो फाड़ हो गई ।
एक तरफ चाचा पशुपति कुमार पारस का गुट, दूसरी तरफ चिराग का।चिराग ने अपनी पार्टी को नया नाम दिया—लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP (RV)] और खुद को पार्टी का असली वारिस घोषित किया।
2020 विधानसभा चुनाव: ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग ने JD(U) से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ा।
उन्होंने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ अभियान चलाया।हालांकि LJP(RV) केवल 1 सीट जीत सकी। लेकिन लगभग 9 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही।
विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम ने नीतीश कुमार को नुकसान पहुँचाया।
RJD को अप्रत्यक्ष रूप से मदद मिली।
यह चुनाव भले हार का सबब बना, लेकिन चिराग को ‘राजनीतिक गेम-चेंजर’ के रूप में स्थापित कर गया।
2024 लोकसभा में शानदार वापसी
2024 में LJP (रामविलास) ने NDA के साथ गठबंधन में उतरकर 5 सीटों पर चुनाव लड़ा—हाजीपुर, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई।परिणाम ऐतिहासिक रहे—पांचों सीटों पर जीत मिली। जिनमें से चिराग ने हाजीपुर से बड़ी जीत दर्ज की।
वही सीट जो कभी उनके पिता की राजनीतिक पहचान थी।इसके बाद उन्हें केंद्र सरकार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री बनाया गया।
2025 विधानसभा समीकरण और NDA में बढ़ा कद
2025 के विधानसभा चुनावों के लिए NDA में सीट-बंटवारे में BJP और JD(U) को 101–101 सीटें दी गईं,जबकि LJP (रामविलास) को 29 सीटें मिलीं।
जो उनके राजनीतिक कद और NDA में bargaining power का स्पष्ट संकेत है।
चिराग ने 14 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की, जिनमें राजू तिवारी (गोविंदगंज), हुलास पांडे (ब्रह्मपुर) और सीमांत मृणाल (गढ़खा) जैसे नाम शामिल हैं।
जातीय प्रभाव और भौगोलिक पकड़
चिराग पासवान दुसाध समुदाय से आते हैं, जो बिहार की कुल आबादी का लगभग 5.3 फ़ीसदी है। जबकि कुल अनुसूचित जाति की आबादी ~19.5 फ़ीसदी बैठती है। इनका प्रभाव हाजीपुर, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई पट्टी में सबसे अधिक है।
यह बेल्ट गंगा के उत्तर और मध्य बिहार में फैला वह इलाका है। जहाँ दलित वोट निर्णायक भूमिका निभाता है।
हाल के वर्षों में चिराग ने अपने प्रभाव को
शहरी युवा, अगड़ी जातियों और ओबीसी मतदाताओं तक फैलाने की कोशिश की है।
उनका ‘विकास–केंद्रित’ विमर्श, दलित राजनीति से ऊपर उठकर ‘युवा–आकांक्षी बिहार ‘ की भाषा बोलने की दिशा में कदम माना जाता है।
गठबंधन और राजनीतिक यात्रा का संक्षिप्त सार
2014: NDA के साथ, पहली बार जमुई से सांसद (जमुई)
2019: दूसरी बार फिर जमुई सांसद NDA के साथ
2020: JD(U) से अलग होकर अकेले 135 सीटों पर लड़े। केवल 1 जीती।
2021: LJP का विभाजन; नई पार्टी LJP (रामविलास) बनी।
2024: NDA के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव 5 सीटों पर लड़े, 5/5 जीते।
2025 (विधानसभा): NDA के साथ 29 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं
कोई आपराधिक मामला नहीं
2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान दाखिल एफ़िडेविट (ADR रिपोर्ट) के अनुसारचिराग पासवान पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है।
उनकी छवि एक क्लीन, सॉफ्ट–स्पोकन और मीडिया–फ्रेंडली नेता की रही है।
ताक़तें:
पासवान/दुसाध समाज में निर्विवाद नेतृत्व।बिहार की पारंपरिक राजनीति में नई पीढ़ी की आवाज़।NDA में अपनी छोटी पार्टी के बावजूद सम्मानजनक सीट शेयर।स्मार्ट, सुसंस्कृत और संवादशील नेता की पहचान।
कमज़ोरियाँ:
राज्यव्यापी स्तर पर LJP(RV) का नेटवर्क कमजोर।अपनी जाति के परे स्थायी वोट-बैंक बनाना चुनौती।राजनीतिक अस्तित्व NDA की एकता पर टिका।
राजनीतिक विश्लेषण
2024 की सफलता ने चिराग को रामविलास के उत्तराधिकारी से आगे दलित राजनीति के नए ब्रांड एंबेसडर में बदल दिया है।वे अब ‘पॉलिटिक्स ऑफ़ एस्पिरेशन’ यानी आकांक्षी राजनीति की भाषा बोलते हैं।उनका चेहरा दलित समाज के साथ-साथ उस शहरी वर्ग का भी प्रतिनिधित्व करने लगा है जो राजनीति में ताजगी और सादगी दोनों देखना चाहता है।
2025 के चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा किक्या वे अपनी पार्टी को पासवान–बेल्ट से बाहर निकालकर राज्यव्यापी ताक़त बना पाते हैं या नहीं।अगर वे इसमें सफल होते हैं, तो बिहार की अगली पीढ़ी की राजनीति का नक्शा उनके हाथों में हो सकता है।
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