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ECI Slams P Chidambaram: 65 लाख वोटरों की 'कुर्बानी'? चिदंबरम के आरोप पर भड़का चुनाव आयोग, जानिए पूरा सच
ECI Slams P Chidambaram: पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को एक्स पर एक पोस्ट डाला, जिसने पूरे देश की राजनीति को हिला दिया।
ECI Slams P Chidambaram: क्या बिहार से 65 लाख वोटरों का नाम काट दिया जाएगा? क्या तमिलनाडु में गैरकानूनी तरीके से लाखों नए वोटर जोड़े जा रहे हैं? और क्या चुनाव आयोग देश की लोकतांत्रिक नींव के साथ कोई 'खतरनाक खेल' खेल रहा है? ये सवाल सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में आग की तरह फैल गए जब कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने एक ऐसा दावा कर डाला, जिसने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया। लेकिन अब चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ दी है और उसका जवाब उतना ही सख्त है जितना चिदंबरम का आरोप।
बिहार में वोटर लिस्ट से होगी 'साफ-सफाई'?
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने रविवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट डाला, जिसने पूरे देश की राजनीति को हिला दिया। उन्होंने दावा किया कि बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। चिदंबरम यहीं नहीं रुके उन्होंने ये भी कहा कि दूसरी तरफ तमिलनाडु में 6.5 लाख नए नाम जोड़ने की तैयारी हो रही है, और यह प्रक्रिया “गैरकानूनी” और “चुनावी हस्तक्षेप” की श्रेणी में आती है।
उनका आरोप था कि प्रवासी मजदूरों को 'स्थायी प्रवासी' कहना उनका अपमान है और अगर किसी बाहरी राज्य के व्यक्ति को तमिलनाडु में मतदाता के रूप में जोड़ा जा रहा है, तो यह वहां के स्थानीय मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन है। चिदंबरम के मुताबिक, यह सब एक सुनियोजित रणनीति के तहत हो रहा है, ताकि दक्षिण भारत के मतदाता स्वरूप को बदला जा सके।
ECI का पलटवार – “यह दावा भ्रामक और गलत है”
चुनाव आयोग ने चिदंबरम के इन बयानों को सीधे तौर पर झूठा और भ्रामक करार दिया है। आयोग ने कहा कि तमिलनाडु में SIR जैसी कोई प्रक्रिया अभी तक शुरू ही नहीं हुई है, ऐसे में 6.5 लाख नए मतदाताओं को जोड़ने की बात पूरी तरह फर्जी है। बिहार में जो एसआईआर चल रही है, वह रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा है, और मतदाता सूची से केवल उन्हीं नामों को हटाया जाता है जो या तो मृत घोषित हो चुके हैं, या फिर दोहरी प्रविष्टियों में दर्ज हैं, या फिर लंबे समय से मौजूद ही नहीं हैं। आयोग ने कहा कि SIR एक पारदर्शी और वैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें सभी संबंधित दस्तावेजों और प्रमाणों के आधार पर ही बदलाव होते हैं।
'हर भारतीय को कहीं भी वोट डालने का हक'
ECI ने संविधान का हवाला देते हुए चिदंबरम के दावों की हवा निकाल दी। आयोग ने साफ कहा कि भारत का संविधान हर नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का अधिकार देता है (अनुच्छेद 19(1)(e))। इसी अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति, चाहे वह तमिलनाडु का हो या बिहार का, अगर किसी अन्य राज्य में स्थायी रूप से रह रहा है, तो वह वहीं का मतदाता बन सकता है। इसलिए अगर कोई बिहारी मजदूर चेन्नई में काम करता है, और वहीं का वोटर बनना चाहता है, तो उसे इस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। ECI ने कहा कि इस प्रक्रिया को ‘अवैध’ कहना ना सिर्फ गलत है बल्कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे का अपमान है।
राजनीति या भ्रमजाल? तस्वीर अभी भी साफ नहीं
हालांकि चुनाव आयोग ने अपना पक्ष मजबूती से रखा है, लेकिन विपक्षी दल अब इस मुद्दे को और हवा देने की तैयारी में हैं। चिदंबरम का दावा था या डर? जानबूझकर किया गया हमला था या फिर ग़लतफहमी? यह सवाल अभी भी लोगों के मन में घूम रहा है। लेकिन इतना तय है कि आने वाले दिनों में बिहार की वोटर लिस्ट और तमिलनाडु की चुनावी तैयारियां देशभर की निगाहों में रहेंगी। राजनीति में संदेह जल्दी फैलता है और सच्चाई तक पहुंचने में वक्त लगता है। लेकिन इस बार, सियासी पिच पर ECI और चिदंबरम के बीच की यह टक्कर लोकतंत्र के लिए कितनी अहम है यह तो वक्त ही बताएगा।
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