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बिहार में वोटरबंदी की साजिश! तेजस्वी का विस्फोटक बयान—"दलितों, गरीबों के वोट मिटाने की साजिश में जुटी BJP!

Bihar Politics: तेजस्वी यादव ने मंच से जो कहा, वो किसी धमाके से कम नहीं था। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर गरीब, मजदूर, दलित और पिछड़े तबकों के वोट काटना चाहती है ताकि चुनावी समीकरण अपने पक्ष में किया जा सके।

Harsh Srivastava
Published on: 27 Jun 2025 5:54 PM IST
बिहार में वोटरबंदी की साजिश! तेजस्वी का विस्फोटक बयान—दलितों, गरीबों के वोट मिटाने की साजिश में जुटी BJP!
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Bihar Politics: क्या बिहार में लोकतंत्र की हत्या की तैयारी हो चुकी है? क्या 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले ही मतदाता सूची से करोड़ों लोगों को बाहर करने की योजना बनाई जा रही है? और सबसे बड़ा सवाल—क्या यह सब केंद्र की सत्ता में बैठी बीजेपी की 'राजनीतिक जरूरतों' के हिसाब से किया जा रहा है? शुक्रवार की दोपहर पटना में महागठबंधन की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो आरोप लगाए गए, उन्होंने न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की सियासत को हिलाकर रख दिया। पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सीधे-सीधे केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लोकतंत्र की जड़ें हिलाने का आरोप जड़ दिया। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग बिहार में 8 करोड़ मतदाताओं की मौजूदा वोटर लिस्ट को हटाकर एक नई लिस्ट तैयार करने जा रहा है—और इसके पीछे की मंशा खतरनाक है।

वोटरबंदी का खतरनाक षड्यंत्र? तेजस्वी ने खोला काला सच

तेजस्वी यादव ने मंच से जो कहा, वो किसी धमाके से कम नहीं था। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर गरीब, मजदूर, दलित और पिछड़े तबकों के वोट काटना चाहती है ताकि चुनावी समीकरण अपने पक्ष में किया जा सके। उनका कहना था—"BJP को अपनी हार सामने दिख रही है, इसलिए वो लोकतंत्र को ही कमजोर कर रही है। ये साजिश है, और इसका निशाना बना है बिहार का आम मतदाता।" तेजस्वी ने यह भी कहा कि इंडिया गठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही चुनाव आयोग के पास जाएगा और इस मुद्दे को संविधानिक स्तर पर चुनौती देगा। लेकिन सवाल ये है कि चुनाव आयोग किसके दबाव में इतना बड़ा कदम उठाने की सोच रहा है? क्या यह सच में सिर्फ ‘तकनीकी प्रक्रिया’ है या एक सोची-समझी सियासी चाल?

नीतीश-मोदी की ‘गुप्त डील’? विपक्ष का दावा—बिहार को बना दिया गया प्रयोगशाला!

तेजस्वी यादव यहीं नहीं रुके। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि "नीतीश बार-बार दिल्ली जा रहे हैं, जबकि बिहार में लोकतंत्र को चुपचाप दबाया जा रहा है।" तेजस्वी का दावा था कि प्रधानमंत्री मोदी खुद डरे हुए हैं और उन्होंने बिहार में अपनी हार को देखते हुए यह पूरी रणनीति तैयार करवाई है ताकि विपक्ष के वोट बैंक को साफ कर दिया जाए। महागठबंधन का आरोप है कि बिहार को एक 'राजनीतिक प्रयोगशाला' बना दिया गया है जहां से यदि ये साजिश सफल होती है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। यानी पहले गरीबों के वोट काटो, फिर मनमाफिक चुनाव कराओ और बाद में कहो—“जनता का फैसला है।”

"1952 से चुनाव होते आए हैं, अब हो रही है वोटरबंदी!"—दीपंकर भट्टाचार्य का तीखा हमला

सीपीआई (एमएल) नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने तो इस पूरी प्रक्रिया को "वोटरबंदी" का नाम दे डाला। उन्होंने कहा, “1952 से अब तक कभी मतदाता सूची को इस तरह से खत्म करने की बात नहीं हुई। यह सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि संविधान की हत्या है।” उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब देश में हर नागरिक को मतदान का अधिकार है, तो फिर आयोग यह ‘चयन’ कैसे कर सकता है कि कौन मतदाता रहेगा और कौन नहीं? दीपंकर ने जोर देकर कहा कि आयोग का काम सबको शामिल करना है, बाहर निकालना नहीं। "यह नोटबंदी नहीं, वोटबंदी है। लोकतंत्र की रीढ़ को तोड़ा जा रहा है। अगर ऐसा हुआ, तो आने वाले समय में सिर्फ सत्ता की मंजूरी वाले लोग ही वोट डाल सकेंगे," उन्होंने चेताया।

सड़कों पर उतरने की चेतावनी, आंदोलन की आहट!

महागठबंधन के अन्य नेताओं ने इस मौके पर चुनाव आयोग को कड़ी चेतावनी दी। उनका कहना है कि अगर मौजूदा वोटर लिस्ट को हटाकर नई लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया नहीं रोकी गई, तो जनता को लेकर सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने इसे सीधे तौर पर एक लोकतांत्रिक संकट बताया। नेताओं ने कहा कि यह कोई सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं बल्कि चुनाव से पहले वोटों की हेराफेरी की सुनियोजित साजिश है। यदि लाखों लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए, तो यह चुनाव की वैधता और निष्पक्षता पर सबसे बड़ा धब्बा होगा।

सवालों के घेरे में चुनाव आयोग! क्या बन गया है सत्ता का औजार?

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर चुनाव आयोग की भूमिका को संदेह के घेरे में ला दिया है। विपक्ष पूछ रहा है कि आयोग किसके इशारे पर मतदाता सूची बदल रहा है? क्या यह कदम वाकई पारदर्शिता के लिए है या फिर बिहार में बीजेपी को ‘जबरदस्ती’ जिताने की मशीनरी बन चुकी है? इन सारे आरोपों और सवालों के बीच चुनाव आयोग की चुप्पी और ज्यादा संदिग्ध हो जाती है। लोकतंत्र की सबसे बुनियादी प्रक्रिया—चुनाव—अगर शक के घेरे में आ जाए, तो फिर संविधान का क्या अर्थ रह जाता है?

अंत में बस एक बात

बिहार में जो कुछ हो रहा है, वह सिर्फ एक राज्य का मुद्दा नहीं है। यह पूरे देश के लोकतंत्र की परीक्षा है। अगर एक राज्य में सत्ता के इशारे पर करोड़ों वोटर गायब कर दिए जाते हैं, तो अगला नंबर किसका होगा? तेजस्वी यादव की चेतावनी गूंज रही है—"अगर इस बार वोटर लिस्ट से गरीबों को मिटा दिया गया, तो अगली बार संविधान से लोकतंत्र ही मिटा दिया जाएगा!" क्या जनता इस साजिश को समझेगी? या फिर बिहार 2025 के चुनावों में सिर्फ 'चुनिंदा मतदाताओं' का राज्य बनकर रह जाएगा? जवाब आने बाकी है, लेकिन खतरे की घंटी अब साफ-साफ सुनाई देने लगी है।

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News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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