×

यूपी में सियासी विस्फोट की उलटी गिनती शुरू! बीजेपी के ‘सीक्रेट प्लान’ से उड़ी अखिलेश यादव की नींद

UP Politics: 2024 के झटके से तिलमिलाई बीजेपी अब किसी भी कीमत पर 2027 नहीं गंवाना चाहती। लोकसभा में मिली करारी चोट के बाद पार्टी अब एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है।

Harsh Srivastava
Published on: 27 Jun 2025 3:03 PM IST
यूपी में सियासी विस्फोट की उलटी गिनती शुरू! बीजेपी के ‘सीक्रेट प्लान’ से उड़ी अखिलेश यादव की नींद
X

UP Politics: लखनऊ की गलियों में सियासत की आंधी चल पड़ी है। सुबह-सुबह चाय की दुकानों से लेकर लखनऊ के शक्ति भवन तक, हर तरफ एक ही सवाल—“कब फूटेगा बीजेपी का असली बम?” 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज़ हो चुकी है, लेकिन इस बार मामला सिर्फ सीटों का नहीं, बल्कि ‘जातीय जाल’ और ‘संगठन की सर्जरी’ का है। 2024 के झटके से तिलमिलाई बीजेपी अब किसी भी कीमत पर 2027 नहीं गंवाना चाहती। लोकसभा में मिली करारी चोट के बाद पार्टी अब एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। लेकिन इसी बीच एक रहस्य ऐसा भी है जिसने योगी सरकार से लेकर दिल्ली के दिग्गजों तक की बेचैनी बढ़ा दी है—“यूपी बीजेपी अध्यक्ष का नाम अब तक क्यों नहीं आया?”

संगठन में सर्जरी या सत्ता में बगावत?

बीजेपी के अंदरखाने से छनकर आ रही खबरों पर यकीन करें तो यूपी में जल्द ही एक बड़ा राजनीतिक विस्फोट होने वाला है। सूत्रों की मानें तो पार्टी ‘संगठन’ और ‘सरकार’ दोनों को नए सांचे में ढालने जा रही है। और ये सब कुछ होगा एक नाम के एलान के बाद—"यूपी प्रदेश अध्यक्ष"। खबर ये है कि जैसे ही नए अध्यक्ष की ताजपोशी होगी, यूपी की योगी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार भी तुरंत हो जाएगा। लेकिन इस विस्तार के पीछे का खेल बेहद खतरनाक और जातिगत संतुलन से भरा है। बीजेपी इस बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। वो हर उस जाति को सत्ता में भागीदार बनाना चाहती है, जिसने 2024 में किनारा कर लिया था।

‘जाति की राजनीति’ में बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक?

बीजेपी अब समाजवादी पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग को उन्हीं की भाषा में जवाब देने की तैयारी में है। सूत्र बता रहे हैं कि पासी, कुर्मी, सैनी, मौर्य, शाक्य, बिंद जैसी ओबीसी जातियों को सरकार में नई ताक़त दी जाएगी। खास तौर पर अवध, प्रतापगढ़, प्रयागराज, ब्रज और काशी क्षेत्रों में जातीय समीकरण को क्षेत्रवार एडजस्ट करने की प्लानिंग पूरी हो चुकी है। यहां तक कि कुछ क्षेत्रों से अखिलेश यादव को सीधी चुनौती देने के लिए बीजेपी अपने दमदार और पिछड़े समुदाय से आने वाले नेताओं को मंत्री बनाकर क्षेत्रीय ताकत बढ़ाने की जुगत में है।

अखिलेश की ‘सेफ सीटें’ अब नहीं रहेंगी सेफ?

बीजेपी को यह आभास है कि अगर सपा ने विधानसभा चुनाव में मुस्लिम-यादव को 130-140 सीटें दे दीं और बाकी पर ब्राह्मण, कुर्मी, निषाद जैसे नाम चला दिए—तो हालात बिगड़ सकते हैं। यही फॉर्मूला लोकसभा में चला और बीजेपी का वोट प्रतिशत हर सीट पर 6-7% तक गिर गया। यही वजह है कि इस बार बीजेपी ‘नॉन-यादव ओबीसी वोट’ को हर कीमत पर अपने पाले में बनाए रखने का ब्लूप्रिंट तैयार कर चुकी है।

‘ब्राह्मण कार्ड’ पर सपा की चाल उलटी पड़ेगी?

बीजेपी फिलहाल अखिलेश यादव की ‘ब्राह्मण कथा-विरोध’ रणनीति पर चुप है। लेकिन अंदर ही अंदर एक सियासी स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। पार्टी मानती है कि यदि सपा के कोर वोटर और नेता इस मसले पर ज़्यादा आक्रामक हुए, तो इससे बीजेपी को ही लाभ होगा। 2027 के रण में बीजेपी किसी भी जाति को नाराज़ नहीं करना चाहती, लेकिन हर उस वोट को अपने पाले में खींचना चाहती है जो सपा की रणनीति को तोड़ सके।

क्या योगी की कुर्सी भी खतरे में?

कई सियासी विश्लेषकों का मानना है कि प्रदेश अध्यक्ष के नाम के बाद संगठन में बड़े बदलाव के साथ योगी मंत्रिमंडल में भी कुछ बड़े चेहरों की छुट्टी हो सकती है। पार्टी हाईकमान चाहता है कि 2027 तक प्रदेश में ऐसा संतुलन बन जाए कि अखिलेश यादव कोई भी कार्ड चलें, उसका जवाब दो कदम आगे हो।अब सबकी निगाहें इस एक एलान पर टिकी हैं—बीजेपी का अगला यूपी अध्यक्ष कौन होगा? क्योंकि उसके नाम के साथ ही एक पूरी राजनीतिक पटकथा पलट सकती है—जिसका असर सिर्फ 2027 नहीं, 2032 तक दिखेगा!

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story