TRENDING TAGS :
Famous Dhongi Baba: धर्म की आड़ में अपराध, गुरमीत राम रहीम से आसाराम तक, जेल में बंद बाबाओं की कहानी
Famous Dhongi Baba Crime Story: पिछले कुछ दशकों में, कई ऐसे बाबा सामने आए हैं, जिन्होंने धर्म की आड़ में गंभीर अपराध किए और अंततः कानून के शिकंजे में फंस गए।
Famous Dhongi Baba Crime Story(Image Credit-Social Media)
Famous Dhongi Baba Crime Story: भारत में आध्यात्मिकता और धर्म का गहरा प्रभाव रहा है, और लाखों लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए संतों और बाबाओं की शरण में जाते हैं। लेकिन कई बार ये तथाकथित आध्यात्मिक गुरु अपनी शक्ति और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए समाज के लिए खतरा बन जाते हैं। पिछले कुछ दशकों में, कई ऐसे बाबा सामने आए हैं, जिन्होंने धर्म की आड़ में गंभीर अपराध किए और अंततः कानून के शिकंजे में फंस गए। गुरमीत राम रहीम, आसाराम बापू, संत रामपाल जैसे नाम आज जेल की सलाखों के पीछे हैं.
गुरमीत राम रहीम: डेरा सच्चा सौदा का विवादास्पद बाबा
गुरमीत राम रहीम सिंह, डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख, एक समय हरियाणा, पंजाब और उत्तर भारत के कई हिस्सों में लाखों अनुयायियों के बीच रॉकस्टार की तरह लोकप्रिय थे। सिरसा में स्थित डेरा सच्चा सौदा ने सामाजिक कार्यों, जैसे रक्तदान शिविर और नशा मुक्ति अभियानों के जरिए अपनी पहचान बनाई। गुरमीत राम रहीम ने खुद को एक आध्यात्मिक गुरु के साथ-साथ गायक, अभिनेता और फिल्म निर्माता के रूप में भी स्थापित किया। उनकी फिल्में, जैसे MSG: The Messenger, उनके अनुयायियों के बीच खासी लोकप्रिय थीं।
अपराध और सजा
लेकिन 2017 में उनके काले कारनामों का पर्दाफाश हुआ। गुरमीत राम रहीम को दो साध्वियों के साथ दुष्कर्म के मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई। यह मामला तब सामने आया जब एक गुमनाम पत्र के जरिए उनकी करतूतों का खुलासा हुआ। इसके अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या के लिए भी उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली। पंचकूला में उनकी सजा के ऐलान के बाद भारी हिंसा हुई, जिसमें 40 से अधिक लोग मारे गए।
बार-बार पैरोल और विवाद
गुरमीत राम रहीम की बार-बार पैरोल और फरलो मिलना भी विवादों का विषय रहा है। 2020 से अब तक, उन्हें 14 बार पैरोल या फरलो दी जा चुकी है, जिसमें 2025 में ही 91 दिन जेल से बाहर रहने का समय शामिल है। हाल ही में अगस्त 2025 में उन्हें 40 दिन की पैरोल दी गई, जिस दौरान वह अपने जन्मदिन और डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस में शामिल हुए। कई लोग इसे राजनीतिक प्रभाव का परिणाम मानते हैं, क्योंकि उनकी रिहाई अक्सर चुनावों के समय होती है। हरियाणा सरकार का कहना है कि पैरोल हर कैदी का अधिकार है, लेकिन आम जनता में इसे लेकर गुस्सा है।.
आसाराम बापू: तांगा चालक से बाबा तक का सफर
शुरुआती जीवन और प्रसिद्धि
आसाराम बापू, जिनका असली नाम आसुमाल सिरुमलानी है गुजरात के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे एक समय तांगा चलाने वाले आसाराम ने धीरे-धीरे आध्यात्मिक गुरु के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके आश्रम देशभर में फैले और उनके अनुयायी लाखों में थे। आसाराम ने अपने प्रवचनों और सत्संगों के जरिए लोगों को आकर्षित किया।
अपराध और कानूनी कार्रवाई
2013 में आसाराम का काला चेहरा सामने आया जब उन पर एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म का आरोप लगा जोधपुर की एक अदालत ने 2018 में उन्हें इस मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा, सूरत की दो सगी बहनों ने भी उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया। आसाराम पर गवाहों पर हमला और हत्या जैसे गंभीर आरोप भी हैं। उनके बेटे, नारायण साईं, भी सूरत की जेल में दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
पैरोल और स्वास्थ्य विवाद
आसाराम को भी समय-समय पर पैरोल दी गई है। अगस्त 2024 में, राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें इलाज के लिए सात दिन की पैरोल दी थी। यह पैरोल उनके स्वास्थ्य कारणों से दी गई, लेकिन इसे लेकर भी सवाल उठे कि क्या यह विशेष व्यवहार का परिणाम है।
संत रामपाल: सतलोक आश्रम का काला सच
आश्रम की स्थापना
हरियाणा के हिसार में सतलोक आश्रम चलाने वाले संत रामपाल कभी हरियाणा के सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। उन्होंने आध्यात्मिकता को अपनी कमाई का जरिया बनाया और लाखों अनुयायियों को अपने साथ जोड़ा। उनके आश्रम में सत्संग और सामाजिक कार्यों का आयोजन होता था, लेकिन धीरे-धीरे उनके काले कारनामों का खुलासा हुआ।
अपराध और सजा
रामपाल पर देशद्रोह, शारीरिक शोषण, अवैध हथियार रखने, और सरकारी काम में बाधा डालने जैसे गंभीर आरोप लगे। उनके आश्रम से गर्भपात के सबूत और आपत्तिजनक दवाएं मिलीं। 2014 में, जब पुलिस ने उनके आश्रम पर छापा मारा, तो उनके अनुयायियों ने पुलिस के साथ युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर दी। अंततः, रामपाल को गिरफ्तार किया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वह वर्तमान में हिसार जेल में बंद है.
स्वामी भीमानंद: इच्छाधारी बाबा का देह व्यापार रैकेट
स्वामी भीमानंद, जिन्हें इच्छाधारी बाबा के नाम से जाना जाता है, कभी दिल्ली में एक सिक्योरिटी गार्ड थे। बाद में उन्होंने खुद को आध्यात्मिक गुरु के रूप में पेश किया और अपने नागिन डांस के लिए चर्चित हुए। लेकिन उनकी असलियत तब सामने आई जब उन पर देह व्यापार रैकेट चलाने का आरोप लगा।
अपराध और सजा
भीमानंद पर दिल्ली में देह व्यापार का रैकेट चलाने का आरोप है। उन पर मकोका जैसे संगीन कानूनों के तहत मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा, नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करने के भी आरोप हैं। वह वर्तमान में जेल में हैं, और उनके मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी कर रहा है।
स्वामी परमानंद: तमिलनाडु का कुख्यात बाबा
आश्रम और प्रभाव
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में आश्रम चलाने वाले स्वामी परमानंद भी उन बाबाओं में शामिल हैं जो जेल की सलाखों के पीछे हैं। उनके आश्रम में सत्संग और धार्मिक गतिविधियों के नाम पर लोगों को आकर्षित किया जाता था।
अपराध और सजा
स्वामी परमानंद पर 13 महिलाओं के साथ दुष्कर्म का आरोप है। उनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, और वह वर्तमान में जेल में बंद हैं। उनके मामले ने दक्षिण भारत में आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति लोगों के विश्वास को गहरा आघात पहुंचाया।
समाज और कानून पर प्रभाव
आस्था का दुरुपयोग
इन बाबाओं के मामलों ने यह सवाल उठाया है कि आध्यात्मिकता के नाम पर लोगों की आस्था का दुरुपयोग क्यों और कैसे हो रहा है। ये बाबा अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व और सामाजिक कार्यों के जरिए लोगों को आकर्षित करते हैं, लेकिन उनके पीछे छिपा काला सच समाज के लिए खतरा बन जाता है। इनके अनुयायी अक्सर अंधभक्ति में इतने डूब जाते हैं कि सच्चाई को देखने से इनकार कर देते हैं।
कानून की निष्पक्षता पर सवाल
गुरमीत राम रहीम जैसे बाबाओं को बार-बार पैरोल और फरलो मिलना कानून की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग छह लाख कैदी जेलों में बंद हैं, लेकिन कोई भी कैदी राम रहीम की तरह इतनी बार और इतने लंबे समय के लिए रिहा नहीं हुआ। यह विशेष व्यवहार लोगों के बीच गुस्सा और अविश्वास पैदा करता है।
पैरोल और फरलो का अंतर
पैरोल और फरलो दोनों ही कैदियों को अस्थायी रिहाई प्रदान करते हैं, लेकिन इनके उद्देश्य और नियम अलग हैं। पैरोल आमतौर पर किसी विशेष कारण, जैसे परिवार में मृत्यु या चिकित्सा आपातकाल, के लिए दी जाती है। वहीं, फरलो एक निश्चित अवधि की छुट्टी होती है, जो कैदियों को सामाजिक और पारिवारिक संबंध बनाए रखने के लिए दी जाती है। गुरमीत राम रहीम को दोनों का लाभ मिला है, जिसके कारण उनकी रिहाई विवादास्पद रही है।
आंधी भक्ति से बचाव
इन मामलों से यह स्पष्ट होता है कि अंधभक्ति खतरनाक हो सकती है। लोगों को किसी भी आध्यात्मिक गुरु पर आंख मूंदकर भरोसा करने से पहले उनके कार्यों और पृष्ठभूमि की जांच करनी चाहिए। शिक्षा और जागरूकता ही समाज को इस तरह के शोषण से बचा सकती है।
कानूनी सुधार की जरूरत
कानून को सभी के लिए समान रूप से लागू करना होगा बार-बार पैरोल और फरलो देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की जरूरत है। सरकार और अदालतों को यह सुनिश्चित करना होगा कि गंभीर अपराधों के दोषियों को विशेष व्यवहार न मिले।
गुरमीत राम रहीम, आसाराम बापू, संत रामपाल, स्वामी भीमानंद, और स्वामी परमानंद जैसे बाबाओं की कहानियां समाज के लिए एक चेतावनी हैं। ये लोग धर्म और आध्यात्मिकता की आड़ में अपने कुकर्मों को छिपाते हैं, लेकिन कानून का शिकंजा देर-सबेर उन्हें पकड़ ही लेता है समाज को इन घटनाओं से सबक लेते हुए आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति सतर्क रहना होगा। साथ ही, कानूनी व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है ताकि ऐसे अपराधी बार-बार रिहाई का लाभ न उठा सकें। केवल जागरूकता और निष्पक्ष कानून ही समाज को इस तरह के शोषण से बचा सकता है
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!