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Independence Day 2025: 15 अगस्त सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि गर्व का प्रतीक, जानिए इस खास दिन से जुड़ी रोचक जानकारियां
Independence Day Inside Story: देश की आजादी से जुड़ी कुछ कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपको जरूर पता होनी चाहिए, आइए जानते हैं स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में।
Independence Day Inside Story (Image Credit-Social Media)
Independence Day 2025: हर भारत वासी के लिए 15 अगस्त का दिन सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि गर्व का प्रतीक है। इस बार 15 अगस्त के दिन भारत अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर देश के कोने-कोने में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। 15 अगस्त वो तारीख है जब सन 1947 में अंग्रेजों की 200 साल पुरानी लंबी गुलामी के बाद भारतवासियों को आजादी मिली थी। जब आजादी की उमंग में 14 अगस्त की सुबह से ही देश के शहर-शहर, गांव-गांव में जश्न शुरू हो गया था। दिल्ली से लेकर कोने-कोने से लोग जैसे थे उसी हालत में घरों से निकल पड़े। साइकिलों, कारों, बसों, रिक्शों, तांगों, बैलगाड़ियों, यहां तक हाथियों-घोड़ों पर भी सवार होकर लोग दिल्ली के केंद्र यानी इंडिया गेट की ओर चल पड़े थे। लोग नाच-गा रहे थे, एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे थे और हर तरफ राष्ट्रगान की धुन सुनाई पड़ रही थी। तब से लेकर आज तक विविधताओं से भरे इस देश के तमाम धर्मों और जातियों के लोग एक होकर पूरे जोश व हर्षोल्लास के साथ हर साल आजादी की सालगिरह का उत्सव मनाते चले आ रहें हैं। स्वतंत्रता दिवस का दिन उन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के सदियों के संघर्ष, बलिदान और दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अनगिनत बलिदान दिए। आजादी के बाद से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक 15 अगस्त के दिन प्रतिवर्ष इस खास दिन से जुड़ी गौरव गाथा की याद ताजा करते हुए लाल किले से देश को संबोधित करते चले आ रहें हैं। देश की आजादी के प्रतीक बन चुके इस ऐतिहासिक दिन से जुड़ी कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें हैं जो आपको जरूर पता होनी चाहिए। शायद बहुत कम लोग ही इस बारे में जानते भी हों। आइए जानते हैं स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में -
इस कपड़े जा होता है राष्ट्रीय ध्वज
क्या आपको पता है कि 15 अगस्त को लहराया जाने वाला राष्ट्रीय ध्वज किस कपड़े से बना होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार हमारे राष्ट्रीय ध्वज को केवल खादी से ही बनाया जाना चाहिए।
15 अगस्त नहीं इस तारीख को हुआ था लाल किले पर पहला भाषण
आप समझ रहे होंगे कि देश के आजाद होने के बाद 15 अगस्त को ही लालकिले पर पहला भाषण हुआ होगा। लेकिन ऐसा नहीं है।
लाल किले पर पहला भाषण 16 अगस्त को हुआ था। जवाहरलाल नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त को लाल किले से देश का ध्वज फहराया था। तब से लेकर आज तक हर साल प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं। लेकिन 15 अगस्त 1947 को ऐसा नहीं हुआ था।
तब राष्ट्रगान नहीं था
क्या आपको पता है कि, आजादी के समय भारत का अपना कोई राष्ट्रगान नहीं था। तब बंगभाषी कवि बंकिम चंद्र उपाध्याय द्वारा रचित राष्ट्र गीत 'वंदे मातरम' लोगों की जुबान पर स्वराज का प्रतीक बनकर बसता था। जिसके पश्चात रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया जन- गण-मन 1911 में ही लिखा गया था। जिसे 1950 में ही राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया।
रेडक्लिफ लाइन की घोषणा
आजादी के बाद 15 अगस्त को भारत आजाद जरूर हो गया था। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच तब तक सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। 17 अगस्त वो दिन था जब रेडक्लिफ की घोषणा हुईं थी।
इस मौके पर महात्मा गांधी नहीं थे मौजूद
क्या आपको पता है आजादी के महानायक गांधी जी जब देश 15 अगस्त 1947 को आजादी का जश्न मना रहा था तब महात्मा गांधी दिल्ली में नहीं, बल्कि बंगाल के नोआखली में मौजूद थे। गांधी जी इस मौके को छोड़कर हिंदू.मुस्लिम दंगे रोकने के लिए अनशन पर बैठे थे। इस नई चिंगारी को शांत करने की एक और लड़ाई में शामिल हो चुके थे।
ये देश भी 15 अगस्त को हुए थे आजाद
क्या आपको पता है कि भारत के साथ ही ऐसे तीन और देश भी हैं जो 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। जिनमें शामिल हैं बहरीन 15 अगस्त 1971 को ब्रिटेन से स्वतंत्र हुआ, कांगो 15 अगस्त 1960 को फ्रांस से स्वतंत्र हुआ, दक्षिण कोरिया जो 15 अगस्त 1945 को जापान से स्वतंत्र हुआ आदि देश शामिल हैं।
पोस्टल इंडेक्स नंबर की शुरुआत
आजादी के साथ वो दिन भी आया जब 15 अगस्त 1972 को भारत में अपनी पोस्टल इंडेक्स नंबर यानी पिन कोड सिस्टम की शुरुआत की गई थी। जब डाक सेवा में क्रांति आई थी।
इंदिरा गांधी के भाषण के साथ हुई थी शुरुआत
ब्लैक एंड वाइट टीवी के बाद भारत में पहली बार रंगीन टीवी ने एंट्री ली थी। इस रंगीन प्रसारण की शुरुआत 15 अगस्त 1982 को इंदिरा गांधी के भाषण के साथ ही हुई थी।
रुपया और डॉलर के बीच नहीं था कोई अंतर
आज दुनिया में असमान छू रही डॉलर की कीमत आजादी के समय भारतीय एक रूपये के बराबर ही थी। अमेरिकी डॉलर और भारतीय सिक्के में कोई अंतर नहीं था।
हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट करने के लिए रक्षाबंधन बना मुहिम
रक्षाबंधन का त्यौहार न सिर्फ भाई बहनों के बीच प्यार बढ़ाने के लिए मनाया जाता रहा हैं बल्कि कई ऐतिहासिक घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वदेशी आंदोलन के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर ने रक्षाबंधन को भाईचारे का प्रतीक बनाकर हिंदुओं और मुसलमानों को एकजुट होने का संदेश दिया था।ताकि वे एकजुट होकर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकें।
इन्होंने की थी राष्ट्रीय ध्वज की संकल्पना
आज भारत देश की पहचान बन चुका हमारे राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन आंध्र प्रदेश के एक स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक पिंगली वेंकैया ने बनाया था। जिसे गांधी जी ने बहुत पसंद किया था।
इस सन में फहराया गया था पहली बार तिरंगा
देश की आजादी की मसाल लिए 15 अगस्त 1947 से देश के क्रांतिकारियों ने पहला भारतीय राष्ट्रीय ध्वज स्वराज आंदोलन के तहत 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया था। जिसमें आठ कमल के चिह्न के साथ हरा, पीला और लाल तीन रंगों को शामिल किया गया था।
बिस्मिल्लाह खां की शहनाई बजाकर हुआ था आजादी का स्वागत
आजादी की लड़ाई के बाद हिंदू मुस्लिम की आग में सुलगने वाले भारत के आजादी की पहली सुबह का शानदार स्वागत मशहूर शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान ने अपनी शहनाई बजाकर किया था। सुजलाम सफलाम मातरम् की धुन ने सबको मंत्रमुग्ध करके रख दिया था।
इस तरह तय हुई थी यह ऐतिहासिक तारीख
भारत देश की आजादी के दिन का समय लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा निर्धारित की गई थी। 15 अगस्त को भारत की आजादी का दिन चुना गया था क्योंकि इस दिन द्वितीय विश्व युद्ध में जापान ने मित्र देशों की सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। जिसे माउंटबेटन एक भाग्यशाली दिन मानते थे।
15 अगस्त की तारीख और देश की स्वतंत्रता दिवस का दिन जिसके पीछे एक तरफ गांधी जी के सत्याग्रह और अहिंसा वाले आंदोलन थे। वहीं सुभाष चंद्र बोस जैसे कई क्रांतिकारियों ने सीधी लड़ाई में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोहा लिया। इन्हीं संघर्ष और बलिदान के बलपर 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिल सकी। स्वतंत्रता दिवस के तौर पर 15 अगस्त का दिन सिर्फ कोई आरामदायक छुट्टी मनाने का दिन नहीं है। बल्कि यह दिन हमें हमारे देश की स्वाधीनता के लिए मर मिटने वाले क्रांतिकारियों उनके बलिदान और आजाद होने की कीमत की याद दिलाता है। यह दिन इन प्रमुख घटनाओं को ध्यान में रखते हुए हमें हमारे राष्ट्र के प्रति कृतज्ञता प्रगट करने का भी एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।
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