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चीन के विदेश मंत्री ने PM मोदी से की मुलाकात, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा
China foreign minister meets PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों पर अहम चर्चा हुई। गलवान तनाव के बाद पहली बार रिश्तों में पिघलती बर्फ और सहयोग के नए संकेत दिखे।
China foreign minister meets PM Modi: नई दिल्ली की फिजाओं में चीन के विदेश मंत्री वांग यी की मौजूदगी ने एक नई हलचल पैदा कर दी है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात ने उन अटकलों को और हवा दे दी है कि क्या भारत और चीन के बीच रिश्तों की बर्फ पिघल रही है। गलवान घाटी संघर्ष के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था, लेकिन अब उच्च स्तरीय वार्ताओं का दौर एक नए अध्याय का संकेत दे रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर हुई यह मुलाकात न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि यह दर्शाती है कि एशिया के दो दिग्गज देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और मजबूत करने की दिशा में गंभीर हैं।
अमेरिका से बढ़ती दूरी, चीन से नज़दीकी?
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तनाव बढ़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिसमें रूसी कच्चे तेल की खरीद पर 25% का अतिरिक्त जुर्माना भी शामिल है। ऐसे में, वांग यी की यह यात्रा रणनीतिक रूप से बेहद अहम हो जाती है। क्या भारत अमेरिका के दबाव को संतुलित करने के लिए चीन की ओर रुख कर रहा है? यह सवाल अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठने लगा है।
PM मोदी का सोशल मीडिया पोस्ट, 'स्थिर और रचनात्मक संबंध'
मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने लिखा, "विदेश मंत्री वांग यी से मिलकर खुशी हुई। पिछले साल कज़ान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मेरी मुलाक़ात के बाद से, भारत-चीन संबंधों में एक-दूसरे के हितों और संवेदनशीलता के सम्मान के साथ लगातार प्रगति हुई है।" उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर, विश्वसनीय और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। यह बयान दोनों देशों के बीच संबंधों को एक सकारात्मक दिशा देने का स्पष्ट संकेत है।
डोभाल का दावा, "एलएसी पर शांति कायम"
प्रधानमंत्री से मुलाकात से पहले, वांग यी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी उच्च स्तरीय बातचीत की। डोभाल ने इस दौरान कहा कि पिछले नौ महीनों में भारत-चीन संबंधों में 'उन्नति' हुई है, क्योंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति और सौहार्द कायम है। उन्होंने कहा, "सीमाएं शांत हैं, शांति और सौहार्द बना हुआ है और हमारे द्विपक्षीय संबंध और भी मज़बूत हुए हैं।" डोभाल ने यह भी ऐलान किया कि प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे।
चीनी विदेश मंत्री का बयान, 'स्थिरता बहाल, अब सहयोग का मौका'
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अपने बयान में कहा, "दोनों पक्षों को रणनीतिक बातचीत के जरिए आपसी यकीन बढ़ाना चाहिए और सहयोग के साथ साझा हितों का विस्तार करना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि सीमा पर स्थिरता बहाल हुई है, जिससे हमें खुशी है। सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वांग यी से मुलाकात के दौरान कहा था कि भारत-चीन संबंधों को आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हितों द्वारा निर्देशित होना चाहिए।
कुल मिलाकर, भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। उच्च स्तरीय वार्ताओं और सकारात्मक बयानों से यह साफ है कि दोनों देश मतभेदों को विवाद में बदले बिना आगे बढ़ने का इरादा रखते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह 'सौहार्द' लंबे समय तक कायम रहता है या फिर यह सिर्फ आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन की तैयारी का हिस्सा है।
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