मोदी-पुतिन की दोस्ती, चीन से नजदीकी और अमेरिका से दूरी, क्या बदल रही है भारत की विदेश नीति की दिशा?

ट्रंप के टैरिफ के कारण अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन की प्रशंसा की। मोदी और पुतिन ने यूक्रेन पर चर्चा की, जबकि भारत चीन के साथ बेहतर संबंधों की उम्मीद कर रहा है।

Shivam Srivastava
Published on: 19 Aug 2025 5:57 PM IST
मोदी-पुतिन की दोस्ती, चीन से नजदीकी और अमेरिका से दूरी, क्या बदल रही है भारत की विदेश नीति की दिशा?
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भारत की विदेश नीति इन दिनों एक दिलचस्प मोड़ पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की और उन्हें मित्र कहकर संबोधित किया। इसी बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की। ये घटनाएं बताती हैं कि भारत अब अपनी विदेश नीति को पहले से कहीं ज़्यादा संतुलित और व्यावहारिक बना रहा है।

यह सब उस वक्त हो रहा है, जब अमेरिका खासतौर पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौर में भारत पर भारी टैरिफ का दबाव बना रहा है। रूस से तेल खरीदने को लेकर ट्रंप प्रशासन ने भारतीय निर्यात पर 50% तक का शुल्क लगा दिया, जिससे व्यापार जगत में हलचल मच गई है।

पुतिन और मोदी की फोन बातचीत तब हुई जब पुतिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से अलास्का में मुलाकात कर लौटे थे। मोदी ने न सिर्फ पुतिन को अपना दोस्त कहा, बल्कि यूक्रेन युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की भारत की पुरानी नीति को दोहराया। ये संकेत हैं कि भारत, पश्चिमी देशों के दबाव से हटकर अब अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है।

चीन से रिश्तों में नई शुरुआत

गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। लेकिन अब दोनों देशों ने बात करने की पहल की है। तीन साल बाद भारत आए चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात के दौरान जयशंकर ने साफ कहा कि अब वक्त है आगे बढ़ने का। उन्होंने यह भी कहा कि मतभेदों को विवाद या टकराव का कारण नहीं बनने देना चाहिए।

वांग यी ने भी भारत को साझेदार बताया, और निजी बातचीत में चीन ने भारत को उर्वरक, दुर्लभ धातुएं और बुनियादी ढांचा से जुड़ी चीज़ों की सप्लाई का भरोसा भी दिलाया है।

अमेरिका से रिश्तों में खटास

ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में जो कड़वाहट आई, वह अब खुलकर सामने आ रही है। खासकर रूस से तेल खरीदने को लेकर ट्रंप सरकार ने जिस तरह से भारत को दंडित करने की धमकी दी, उससे भारत की रणनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।

भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा और किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा।

क्या मोदी की चीन यात्रा से बदलेगा समीकरण?

इस महीने के अंत में प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन जा सकते हैं। अगर ये यात्रा होती है, तो सात साल बाद मोदी की यह पहली चीन यात्रा होगी। माना जा रहा है कि यह दौरा भारत-चीन संबंधों में एक नई शुरुआत कर सकता है।

जयशंकर ने भी उम्मीद जताई है कि भारत और चीन मिलकर भविष्य में एक स्थिर, सहयोगी और दूरदर्शी साझेदारी बना सकते हैं।

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Shivam Srivastava is a multimedia journalist with over 4 years of experience, having worked with ANI (Asian News International) and India Today Group. He holds a strong interest in politics, sports and Indian history.

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