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PM Modi and Amit Shah Meets President: 5 अगस्त को फिर बदलेगा इतिहास? राष्ट्रपति से अलग-अलग मिले मोदी और शाह, आने वाला है कोई बड़ा फैसला?
PM Modi and Amit Shah Meets President: रविवार को दो ऐसी मुलाकातें हुईं जिन्होंने सत्ता के केंद्र में कुछ बड़ा पकने की आहट दे दी। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे और कुछ ही घंटों बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह भी राष्ट्रपति से मिलने उसी रास्ते पर निकल पड़े। अब यह कोई मामूली बात नहीं है।
PM Modi and Amit Shah Meets President: दिल्ली की सियासी फिजा इन दिनों कुछ ज्यादा ही गरम है। संसद का मानसून सत्र जारी है बिहार के एसआईआर विवाद पर विपक्ष हमलावर है और इस सबके बीच अचानक से कुछ ऐसा हुआ जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल और तेज कर दी। रविवार को दो ऐसी मुलाकातें हुईं जिन्होंने सत्ता के केंद्र में कुछ बड़ा पकने की आहट दे दी। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे और कुछ ही घंटों बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह भी राष्ट्रपति से मिलने उसी रास्ते पर निकल पड़े। अब यह कोई मामूली बात नहीं है। एक ही दिन में सत्ता के दो सबसे ताकतवर चेहरे अगर अलग-अलग राष्ट्रपति से मिलते हैं वो भी ऐसे वक्त पर जब संसद में बहसें गरमा रही हों तो इसके मायने तलाशना तो बनता है।
राष्ट्रपति भवन के भीतर क्या कुछ चल रहा है?
इस मुलाकात का एजेंडा सार्वजनिक नहीं हुआ है। न प्रधानमंत्री कार्यालय और न ही राष्ट्रपति भवन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान आया लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा तभी होता है जब कुछ “बड़ा” होने वाला हो , कुछ ऐसा जो देश की राजनीति में हलचल मचाने की ताकत रखता हो। यह कोई औपचारिक मुलाकात नहीं मानी जा रही क्योंकि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री आमतौर पर राष्ट्रपति से एक साथ मुलाकात करते हैं न कि अलग-अलग। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर इतनी गोपनीयता क्यों बरती जा रही है? क्या यह किसी विशेष संवैधानिक पहल या बड़े फैसले का इशारा है?।
क्या 5 अगस्त फिर बनेगा ऐतिहासिक?
इन मुलाकातों के समय ने भी चर्चाओं को हवा दी है। ठीक उन्हीं तारीखों के आसपास ये बैठकें हुई हैं जब 5 अगस्त जैसे दिन की आहट सुनाई दे रही है। इतिहास गवाह है कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त को देश के दो सबसे बड़े और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। पहला 5 अगस्त 2019 , जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदल दिया गया। दूसरा 5 अगस्त 2020 , जब प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया। अब जब फिर से 5 अगस्त करीब है और एक ही दिन में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री राष्ट्रपति से मुलाकात कर रहे हैं तो अटकलें तेज हो गई हैं कि शायद इस बार भी कोई तीसरा ऐतिहासिक कदम उठाया जा सकता है।
क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड की बारी है?
बीजेपी के तीन कोर एजेंडे थे , राम मंदिर अनुच्छेद 370 और यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)। पहले दो सपने अब हकीकत बन चुके हैं। बचा है तो सिर्फ UCC। उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में इसे लागू किया है असम और गुजरात भी तैयारी में हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कोई अहम बिल ला सकती है। यह एक संवेदनशील और बड़ा कदम होगा जिसके लिए पहले से राजनीतिक सहमति और संवैधानिक प्रक्रियाओं की तैयारी जरूरी होगी। राष्ट्रपति से मुलाकात उसी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। क्योंकि किसी भी ऐसे बड़े कानून से पहले सरकार को राष्ट्रपति को भरोसे में लेना अनिवार्य होता है।
उपराष्ट्रपति चुनाव के मद्देनज़र भी अहम चर्चा?
एक और संभावना है जो इन बैठकों को और अहम बनाती है , नए उपराष्ट्रपति का चुनाव। जगदीप धनखड़ ने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले ही उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। अब चुनाव आयोग ने 1 अगस्त को चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। 9 सितंबर को वोटिंग होनी है ऐसे में यह संभव है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर उपराष्ट्रपति चुनाव से जुड़े उम्मीदवार प्रक्रिया और राजनीतिक समर्थन को लेकर संवाद किया हो। किसी नाम पर सहमति बनानी हो या किसी रणनीति पर विचार करना हो , यह भी इन बैठकों का मकसद हो सकता है।
क्या विदेश नीति पर भी कुछ खास चर्चा हुई?
इन बैठकों का टाइमिंग अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर भी महत्वपूर्ण है। हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी है साथ ही रूस से तेल और सैन्य खरीद को लेकर भी भारत पर प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में पीएम मोदी की राष्ट्रपति से मुलाकात भारत की रणनीतिक स्थिति को स्पष्ट करने और संवैधानिक विकल्पों पर चर्चा करने के मकसद से भी हो सकती है। गृहमंत्री की मौजूदगी से आंतरिक सुरक्षा और कूटनीतिक रणनीति की गहराई भी सामने आती है।
तो क्या अब देश तैयार रहे एक और बड़े एलान के लिए?
जिन संकेतों को राजनीति के जानकार पकड़ रहे हैं वे किसी साधारण मुलाकात की तरफ इशारा नहीं करते। पीएम मोदी और अमित शाह का अलग-अलग जाकर राष्ट्रपति से मिलना उस पर 5 अगस्त का ऐतिहासिक बैकग्राउंड संसद का सत्र UCC जैसे संवेदनशील बिल की तैयारी और उपराष्ट्रपति चुनाव , ये सब किसी बड़ी रणनीति की तरफ इशारा कर रहे हैं। सरकार की ओर से भले ही अभी कुछ स्पष्ट न कहा गया हो लेकिन ऐसा लगता है कि दिल्ली की सत्ता की गलियों में जल्द ही कोई बड़ा निर्णय दस्तक देने वाला है। क्या 5 अगस्त फिर से इतिहास रचेगा? क्या देश फिर किसी बड़ी संवैधानिक क्रांति के लिए तैयार हो रहा है?।
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