क्या भारत का 'ऑपरेशन सिंदूर' जारी है? S-400 की नई खरीद से क्यों कांप रहे दुश्मन

Operation Sindoor: क्या भारत ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को जारी रखने वाला है? दरअसल भारत और मॉस्को के बीच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की नई यूनिट्स की खरीद पर बातचीत चल रही है, ऐसे में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।

Harsh Srivastava
Published on: 29 May 2025 1:43 PM IST (Updated on: 29 May 2025 3:04 PM IST)
Operation Sindoor
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Operation Sindoor (Image Credit-Social Media)

Operation Sindoor : कश्मीर की पहाड़ियों में गूंजती बंदूकों की आवाजें अब केवल सीमित सीमा विवाद नहीं, बल्कि एक नए युग की सैन्य रणनीति का ऐलान बनती जा रही हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने सिर्फ भारत की सैन्य ताकत को नहीं दिखाया, बल्कि यह भी जाहिर कर दिया कि अब भारत पहले से कहीं ज़्यादा निर्णायक, आक्रामक और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन रुख अपना चुका है। लेकिन इस सबके बीच एक चौंकाने वाली बात सामने आई ऑपरेशन के कुछ ही दिनों बाद रूस के राजदूत का बयान कि भारत और मॉस्को के बीच S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की नई यूनिट्स की खरीद पर बातचीत चल रही है। एक बेहद अहम सवाल अब भारत के रणनीतिक गलियारों में गूंज रहा है क्या S-400 की नई तैनाती उसी भविष्य की पटकथा का हिस्सा है?

जब गोलियों से निकला एक संदेश


‘ऑपरेशन सिंदूर’ भले ही एक जवाबी सैन्य कार्रवाई रही हो, लेकिन इसका स्वरूप, योजना और टाइमिंग इस बात की ओर इशारा करती है कि यह सिर्फ आतंकियों के सफाए का मामला नहीं था। यह एक मेसेज था पाकिस्तान के लिए, चीन के लिए और वैश्विक पटल पर उन सभी ताकतों के लिए जो भारत की सैन्य शक्ति को हल्के में लेती हैं। खास बात यह रही कि इस ऑपरेशन में पहली बार खुले तौर पर S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जैसी अति-आधुनिक हथियार प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया। S-400, जिसे अब तक केवल चीन और अमेरिका के बीच के तनावों में देखा जाता था, उसने पहली बार कश्मीर घाटी में एक रीयल-टाइम, रीयल-कॉम्बैट उपयोग देखा। यही नहीं, भारतीय सेना ने साफ कर दिया कि हम अब केवल रक्षा नहीं, बल्कि सक्रिय और रणनीतिक ‘डिटेरेंस’ की नीति पर काम कर रहे हैं।

S-400: सिर्फ डिफेंस नहीं, स्ट्रैटेजिक 'ऑफेंस' का हिस्सा?

रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने जब यह बयान दिया कि भारत और मॉस्को के बीच S-400 की अन्य यूनिट्स पर चर्चा चल रही है, तो यह महज एक सैन्य सौदे की जानकारी नहीं थी। यह उस रणनीतिक दिशा का संकेत था, जिसमें भारत अब तेजी से कदम बढ़ा रहा है। खास बात यह है कि यह बयान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रिपोर्ट्स और उसकी सफलता के जिक्र के साथ जुड़ा हुआ था।


अब यह सवाल उठ रहा है कि अगर भारत के पास पहले से ही S-400 की तीन यूनिट्स मौजूद हैं, तो अब अतिरिक्त यूनिट्स की जरूरत क्यों पड़ रही है? क्या भारत आने वाले समय में दो मोर्चों पश्चिमी (पाकिस्तान) और उत्तरी (चीन) पर एक साथ सैन्य दबाव बढ़ाने की तैयारी में है? विशेषज्ञों का मानना है कि S-400 की तैनाती का इस्तेमाल न सिर्फ मिसाइल हमलों को रोकने में होगा, बल्कि यह पाकिस्तान की वायु शक्ति को मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक रूप से पंगु करने का काम भी करेगा।

पाकिस्तान की चिंता और भारत की चाल

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है। ISPR (Inter Services Public Relations) की प्रेस कॉन्फ्रेंसों में बार-बार कहा जा रहा है कि भारत सीमा पार ‘अति सक्रियता’ दिखा रहा है। पाकिस्तान की संसद में भी विपक्ष और सत्ता पक्ष इस बात को लेकर आमने-सामने आ गए हैं कि क्या भारत जल्द ही एक और सीमापार सैन्य कार्रवाई कर सकता है। दरअसल, पाकिस्तान की चिंता वाजिब है। भारत ने अब तक जितनी भी सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक की हैं, वे सभी अचानक, निर्णायक और उच्च-तकनीकी आधारित रही हैं। अब जब भारत S-400 जैसी प्रणाली को फ्रंटलाइन ऑपरेशंस में ला रहा है, तो यह पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संकेत है हम अब सिर्फ ‘धैर्य’ की नीति पर नहीं, ‘तैयारी’ की नीति पर हैं।

ब्रह्मोस और S-400: ‘हमला भी, बचाव भी’

एक और बड़ा संकेत भारत की रणनीतिक योजना से मिलता है ब्रह्मोस मिसाइल और S-400 सिस्टम की संयुक्त तैनाती। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का उपयोग ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में किया गया और इसकी ‘Made in India’ संस्करण की रूस द्वारा खुले तौर पर तारीफ की गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अपने हमलावर और रक्षात्मक दोनों स्तंभों को एक साथ मजबूत कर रहा है। और यह दोतरफा रणनीति भारत को किसी भी संभावित युद्ध की स्थिति में दो मोर्चों पर आक्रामक विकल्प देती है एक वायु रक्षा में S-400 के रूप में और दूसरा तेज प्रहार क्षमता में ब्रह्मोस के रूप में।

राजनयिक चुप्पी, सैन्य मुखरता


दिलचस्प बात यह है कि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और S-400 के इस्तेमाल को लेकर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है। लेकिन रूस की ओर से लगातार आ रहे बयान और तारीफें इस बात की पुष्टि करती हैं कि कुछ बड़ा चल रहा है। यह चुप्पी एक रणनीतिक मौन भी हो सकता है भारत नहीं चाहता कि उसकी भविष्य की योजनाएं सार्वजनिक हों। लेकिन जो संकेत अब तक मिल रहे हैं, उनसे यह तो तय है कि भारत आने वाले समय में पाकिस्तान के किसी भी उकसावे का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है और इस बार शायद पहले से कहीं अधिक आक्रामक तरीके से।

क्या फिर होगा सर्जिकल स्ट्राइक?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है क्या भारत फिर से पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक या एयरस्ट्राइक करेगा? रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अब इंतज़ार करने की नीति से हटकर, प्री-एंप्टिव एक्शन यानी ‘पहले वार करो’ की नीति पर विचार कर रहा है। और S-400 जैसी प्रणाली इसका आधार बन सकती है पहले दुश्मन की मिसाइलों को गिराओ और फिर ब्रह्मोस से करारा जवाब दो। हाल के घटनाक्रम यह बताते हैं कि भारत सिर्फ जवाब देने की स्थिति में नहीं रहना चाहता, बल्कि अब वह दुश्मन की रणनीति को पहले ही निष्फल करने की योजना पर काम कर रहा है।

क्या ‘ऑपरेशन सिंदूर’ था एक बड़ी योजना की शुरुआत?

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अब इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ की तरह देखा जा रहा है जहां भारत ने यह साबित कर दिया कि वह अब सिर्फ रक्षात्मक ताकत नहीं, बल्कि सक्रिय रणनीतिक खिलाड़ी बन चुका है। और अगर S-400 की नई खरीद को उस ऑपरेशन की सफलता से जोड़ कर देखा जाए, तो यह साफ हो जाता है कि भारत अब भविष्य के युद्धों के लिए एक नया खाका तैयार कर चुका है। तो क्या पाकिस्तान को फिर किसी सर्जिकल या एयर स्ट्राइक के लिए तैयार रहना चाहिए? क्या भारत एक बार फिर दुश्मन की सरजमीं पर अपनी ताकत का लोहा मनवाने वाला है? अगर S-400 की नई खरीद एक संकेत है, तो इसका जवाब है हां, और इस बार भारत पहले से कहीं ज़्यादा तैयार, सटीक और निर्णायक होगा।

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही तनातनी के बीच रूस ने कथित तौर पर भारत को आर-37एम मिसाइल का ऑफर दिया है. ये पेशकश सू-30एमकेआई फाइटर जेट्स के बेड़े को इस मिसाइल से लैस करने के लिए है. आर- 37एम एक हाइपरसोनिक लंबी दूसरी की एयर टू एयर मार करने वाली मिसाइल है.

AA-13 एक्सहेड के नाम से जानी जाने वाली R-37M की रेंज 300 से 400 किलोमीटर है और इसकी अधिकतम स्पीड मैक 6 है, जो इसे दुनिया की सबसे खतरनाक बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) मिसाइलों में से एक बनाती है. मतलब कि ये हवा में दुश्मन के टारगेट को ट्रैक किए बिना उस पर हमला करने की क्षमता रखती है. यह ऑफर तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब भारत अपने दुश्मनों पाकिस्तान और चीन के साथ क्षेत्रीय तनाव के बीच अपनी हवाई शक्ति को और बढ़ाना चाहता है।

क्या है आर-37एम मिसाइल की खासियत?

1. इस मिसाइल को रूस के विम्पेल डिजायन ब्यूरो ने विकसित किया है, जिसके एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS), टैंकर विमान और दुश्मन के लड़ाकू विमानों जैसे हाई वैल्यू वाले हवाई टारगेटों को बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया है.

2. इसका जेटिसनबल रॉकेट बूस्टर मिसाइल को 300-400 किमी (160-220 समुद्री मील) की विस्तारित रेंज हासिल करने में सक्षम बनाता है, जो भारत की वर्तमान आर-77 मिसाइलों से काफी आगे है. इनकी रेंज लगभग 100 किमी है.

3. मिसाइल की मैक 6 (लगभग 7,400 किमी/घंटा) तक की हाइपरसोनिक स्पीड तेज गति से चलने वाले टारगेटों पर तेजी से हमला करती है, जिससे दुश्मनों के लिए बच पाना मुश्किल हो जाता है.

4. इस मिसाइल का वजन लगभग 510 किलोग्राम है और सोफिस्टिकेडेटड गाइडेंस सिस्टम से लैस है, जो इसे मिड-कोर्ट अपडेट्स, एक्टिव रडार होमिंग और टर्मिनल फेस के लिए नेविगेशन से जोड़ती है.

5. आर-37एम कई फाइटर जेट्स में लगाई जा सकती है, जिसमें Su-30, Su-35, Su-57, MiG-31BM और MiG-35 शामिल हैं. रूस ने इसे भारत के Su-30MKI लड़ाकू विमानों के लिए प्रस्ताव दिया है, जिन्हें अपग्रेड किया जाना है.

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

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मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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