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नहीं बचेगा कतर भारत से की बड़ी गद्दारी! पाकिस्तान को सौंपे राफेल के राज? ऑपरेशन सिंदूर में इस्लामिक गठजोड़ का बड़ा खुलासा
Operation Sindoor: यह कहानी सिर्फ एक सैन्य तकनीक के चोरी होने की नहीं है यह कहानी है गुप्त समझौतों, इस्लामिक गठजोड़ और भारत विरोधी वैश्विक रणनीतियों की, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान खुलकर सामने आई।
Operation Sindoor
Operation Sindoor: जब भारत ने फ्रांस के साथ राफेल फाइटर जेट के लिए ऐतिहासिक समझौता किया था, तब यह सिर्फ एक सौदा नहीं था यह पाकिस्तान और चीन जैसे विरोधियों को यह संदेश था कि भारत अब युद्ध कौशल की नई ऊँचाई पर पहुंच चुका है। राफेल, जिसकी मारक क्षमता और तकनीकी सूझबूझ ने भारतीय वायुसेना को अजेयता के करीब पहुँचा दिया, वही राफेल अब एक ऐसे साज़िशी जाल का हिस्सा बन गया है जिसमें भारत का इस्लामिक 'दोस्त' कतर पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। यह कहानी सिर्फ एक सैन्य तकनीक के चोरी होने की नहीं है यह कहानी है गुप्त समझौतों, इस्लामिक गठजोड़ और भारत विरोधी वैश्विक रणनीतियों की, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान खुलकर सामने आई।
ऑपरेशन सिंदूर' से हड़कंप: जब पाकिस्तान ने किया राफेल और S-400 पर हमला
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर हालिया सैन्य संघर्ष, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' कहा जा रहा है, भले ही अब सीजफायर के रूप में शांत हो गया हो, लेकिन इस ऑपरेशन ने कई राज़ उधेड़ दिए। पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के दौरान भारत के दो सबसे घातक हथियारों राफेल फाइटर जेट और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को सीधे निशाना बनाने की कोशिश की। जहां राफेल को नाकाम बनाने के लिए चीन से मिली PL-15 मिसाइलें तैनात की गईं, वहीं एस-400 को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान ने तुर्की और चीन की मदद ली। लेकिन सबसे बड़ा रहस्य इस साजिश का है क्या पाकिस्तान ने राफेल की जानकारी पहले से हासिल कर ली थी? और वह भी भारत के 'मित्र' कतर के ज़रिए?
कतर की भूमिका: जब दुश्मन बन बैठा ‘दोस्त’
भारत और कतर के संबंध हमेशा से व्यापार और ऊर्जा साझेदारी के दायरे में मजबूत माने जाते रहे हैं। लेकिन इस्लामिक एकता और सैन्य गठजोड़ के नाम पर कतर ने पाकिस्तान को राफेल से जुड़े ऐसे राज़ सौंप दिए जो भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गए। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कतर ने पाकिस्तानी पायलटों को अपने देश में राफेल फाइटर जेट उड़ाने की ट्रेनिंग दी, जबकि कतर की सेना ने फ्रांस से पहले ही राफेल खरीदे थे। पाकिस्तान के पायलट कतर में वर्षों से प्रशिक्षण कार्यक्रमों का हिस्सा रहे हैं। अब खुलासा हुआ है कि यही प्रशिक्षण भारत के खिलाफ एक बड़े सैन्य साइबर युद्ध का हिस्सा था।
राफेल की ताकत और पाकिस्तानी घुसपैठ
भारतीय राफेल फाइटर जेट्स में वही तकनीकें मौजूद हैं जो कतर के राफेल्स में हैं RBE2 AESA रडार, SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, स्कैल्प और मेटेओर मिसाइलें। ये सभी प्रणालियाँ किसी भी युद्ध की दिशा पलट सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई प्रशिक्षित पायलट राफेल को उड़ाता है, तो वह इसकी ताकत के साथ-साथ कमजोरियों को भी समझ सकता है। कतर में ट्रेंड पाकिस्तानी पायलटों ने यह सब कुछ सीखा और यही जानकारी बाद में पाकिस्तान के ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय राफेल के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की गई।
क्या फ्रांस को थी इस साजिश की भनक?
जब 2019 में पहली बार यह खबर लीक हुई थी कि पाकिस्तानी पायलट कतर में राफेल उड़ाकर भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं, तब फ्रांस के तत्कालीन राजदूत अलेक्जेंडर जिगलर ने इसे "फेक न्यूज़" करार दिया। लेकिन अब जब पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान राफेल को टारगेट करने की कोशिश की, तब यह शक यकीन में बदलता दिख रहा है। कई रक्षा विशेषज्ञ अब यह सवाल उठा रहे हैं क्या फ्रांस ने जानबूझकर इस जानकारी को नजरअंदाज किया? या फिर कतर ने फ्रांस से छिपाकर पाकिस्तान के साथ गुप्त सैन्य सहयोग किया?
तुर्की की भूमिका: किलर ड्रोन और S-400 की जानकारी
इस पूरी साजिश में तुर्की की भूमिका भी बेहद संदिग्ध है। पाकिस्तान को तुर्की ने न सिर्फ सैकड़ों किलर ड्रोन दिए बल्कि यह भी दावा किया जा रहा है कि तुर्की ने भारत के S-400 डिफेंस सिस्टम की जानकारी भी साझा की, जो उसने खुद रूस से खरीदा था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के जवाबी हमले में कई तुर्की ड्रोन पायलट मारे गए यह तुर्की की प्रत्यक्ष संलिप्तता का सबसे बड़ा प्रमाण है। तुर्की, कतर और पाकिस्तान का यह त्रिकोण अब एक नया 'इस्लामिक मिलिट्री नेक्सस' बनता दिखाई दे रहा है, जो भारत के लिए एक दीर्घकालिक खतरा बन सकता है।
चीन की साझेदारी: तकनीक और मिसाइलें
चीन तो हमेशा से पाकिस्तान का रणनीतिक सहयोगी रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने चीनी J-10C फाइटर जेट और PL-15 मिसाइलों का इस्तेमाल राफेल के खिलाफ किया। साथ ही चीन की बनाई हाइपरसोनिक मिसाइलों से भारत के S-400 को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश भी की गई। पाकिस्तान अब दावा कर रहा है कि भारत की रक्षात्मक प्रणाली की कमजोरी वह समझ चुका है लेकिन भारत ने यह साफ कर दिया कि S-400 और राफेल दोनों ही सुरक्षित और सक्रिय हैं।
भारत की प्रतिक्रिया: क्या अब बदलेगा रक्षा नीति का रुख?
भारत सरकार ने इस पूरे प्रकरण पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसियाँ कतर और तुर्की की भूमिका की विस्तृत जांच में जुटी हैं। रक्षा मामलों के जानकार यह मानते हैं कि अब भारत को न केवल अपने दुश्मनों से, बल्कि अपने 'मित्रों' से भी सतर्क रहने की जरूरत है। इसके साथ ही यह संभावना भी जताई जा रही है कि भारत फ्रांस के साथ इस मुद्दे पर उच्चस्तरीय बातचीत कर सकता है ताकि भविष्य में ऐसी तकनीकी लीकेज न हो।
एक खामोश युद्ध जो सीमाओं से परे लड़ा जा रहा है
'ऑपरेशन सिंदूर' ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आधुनिक युद्ध केवल सीमा पर बंदूकों और मिसाइलों से नहीं लड़े जाते यह युद्ध अब खुफिया सूचनाओं, साइबर रणनीतियों और कूटनीतिक धोखों के माध्यम से भी लड़े जा रहे हैं। कतर, तुर्की और पाकिस्तान का यह छुपा हुआ गठजोड़ भारत की रक्षा नीति के लिए एक बड़ा अलार्म है। अब सवाल सिर्फ यह नहीं है कि दुश्मन कौन है, बल्कि यह भी है कि मित्र किस हद तक वफादार हैं।
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