पाकिस्तान में बैठे आतंकियों की उलटी गिनती शुरू? 33 नंबर सुनते ही क्यों कांप रहा Pakistan? जानें India की हिटलिस्ट में अब अगला कौन

Operation Sindoor: पाकिस्तान में आतंकियों की उलटी गिनती शुरू! 'ऑपरेशन सिंदूर' से 32 हुए ढेर, '33' नंबर से कांप रहा पाकिस्तान। जानें भारत की हिटलिस्ट में अगला कौन।

Harsh Srivastava
Published on: 22 May 2025 7:53 PM IST
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Operation Sindoor: कराची की गलियों से लेकर रावलपिंडी की बंकरों तक, लाहौर की मदरसों से लेकर इस्लामाबाद की खुफिया बैठकों तक, पाकिस्तान में एक ही नाम और एक ही नंबर बार-बार गूंज रहा है 33। यह कोई लॉटरी का टिकट नहीं, कोई धर्मग्रंथ की तिलिस्मी संख्या नहीं, बल्कि मौत की वह गिनती है जो आतंकियों की नींदें उड़ाए हुए है। इस बार खौफ किसी धमाके का नहीं, किसी बम या हमले का नहीं, बल्कि उस सन्नाटे का है जो एक-एक कर भारत के दुश्मनों को निगलता जा रहा है बिना किसी घोषणा के, बिना किसी सबूत के, बिना कोई दावा किए। पाकिस्तानी दहशतगर्दों की रगों में जो कंपकंपी दौड़ रही है, उसका कारण है ‘ऑपरेशन सिंदूर’। एक ऐसा मिशन जो न तो आधिकारिक तौर पर घोषित है, न ही किसी प्रेस कांफ्रेंस में दिखता है। फिर भी इसके कदमों की आहट इतनी भारी है कि हाफिज सईद जैसे आतंकी सरगना अंडरग्राउंड हो चुके हैं और मसूद अजहर अपने बंकर से बाहर झांकने की हिम्मत नहीं कर रहा। और अब जब 32 दुश्मन हूरों के पास भेजे जा चुके हैं, सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं 33वां कौन होगा?

ऑपरेशन सिंदूर: खामोश लेकिन खतरनाक

भारत का यह गुप्त मिशन किसी फिल्मी फिक्शन से कम नहीं लगता, लेकिन इसके परिणाम बेहद हकीकत में दर्ज हो चुके हैं। ऑपरेशन सिंदूर का नाम पहली बार सामने आया जब कुछ आतंकियों की रहस्यमयी हत्याएं हुईं—पाकिस्तानी धरती पर, सुरक्षा घेरे के बीच, ऐसे समय में जब कोई अंदेशा भी नहीं था। न गोली चलने की आवाज़, न ड्रोन की भनक, न कोई सैटेलाइट इमेजरी। फिर भी एक के बाद एक चेहरे हमेशा के लिए खामोश हो गए। माना जाता है कि यह ऑपरेशन भारत की "डीप स्टेट" द्वारा संचालित एक ऑफ-रिकॉर्ड रणनीति का हिस्सा है। "नो क्लेम, नो ब्लेम" की तर्ज पर काम कर रहे इस मिशन में न कोई क्रेडिट लेने वाला है, न ही कोई सफाई देने वाला। दुश्मन मरता है, और दुनिया सिर्फ अफवाहें सुनती है।

पाकिस्तानी सरजमीं पर हिंदुस्तानी साए

पाकिस्तानी राजनीतिक विश्लेषक कमर चीमा खुद स्वीकार कर चुके हैं कि भारत का एक गुप्त नेटवर्क पाकिस्तान के अंदर सक्रिय है, जिसे पकड़ पाना पाकिस्तान की एजेंसियों के बस की बात नहीं है। उनका कहना है कि "पाकिस्तान कनाडा या अमेरिका नहीं है, यहां भारत ने लोगों को आइडेंटिफाई कर, सर्च कर, कत्ल कर दिया है।" यह बात वहां की आम जनता भी अब मानने लगी है। वे जानते हैं कि भारत ने अब अपनी नीति बदल दी है। अब सीमा पर जवाब देने के बजाय, दुश्मन की जमीन पर जाकर खेल खत्म किया जा रहा है। और यही बात पाकिस्तान की सत्ता, सेना और स्लीपर सेल्स को सबसे ज्यादा डरा रही है।

आतंकियों की उलटी गिनती शुरू

18 मई को लश्कर-ए-तैयबा के टॉप कमांडर सैफुल्ला को दिनदहाड़े गोली मार दी गई। इसके अगले ही दिन लश्कर के को-फाउंडर आमिर हमजा पर हमला हुआ। किसी को नहीं पता कि गोली किसने चलाई, कब चलाई, कहां से आई। बस इतना मालूम है कि निशाना सटीक था और हमलावर ‘अज्ञात’। पाकिस्तानी मीडिया इसे ‘सीरियल एलिमिनेशन’ कह रही है और हर जनाज़े में अब ‘भारत से बदला लेने’ की गूंज सुनाई देती है। लेकिन इन घोषणाओं में जो डर छिपा है, वो साफ झलकता है। ऑपरेशन सिंदूर का खौफ आतंकियों की हड्डियों तक जा पहुंचा है।

नंबर 33 की मायावी मिस्ट्री

अब तक 32 दुश्मनों को मौत की नींद सुलाया जा चुका है। हर मारे गए आतंकी के साथ एक नंबर जुड़ा जा चुका है। पाकिस्तान में यह मान लिया गया है कि अगला नंबर 33 हाफिज सईद या मसूद अजहर में से किसी एक का है। और यही सस्पेंस, यही असमंजस उनकी रातों की नींद और दिन का चैन छीन चुका है।हाफिज सईद की सुरक्षा पहले बढ़ाई गई, फिर उसे रावलपिंडी शिफ्ट किया गया और अंततः उसे अंडरग्राउंड कर दिया गया। मसूद अजहर भी अपनी पहचान छिपाए, बंकर में बंद है। इनके हर मूवमेंट पर निगरानी रखी जा रही है—न सिर्फ भारत द्वारा, बल्कि अब पाकिस्तानी एजेंसियां भी इनकी लोकेशन लीक होने से डरने लगी हैं।

ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति: खामोश जवाब, तेज असर

इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी खासियत है चुप्पी। भारत न तो इसकी पुष्टि करता है, न इनकार। न प्रेस रिलीज़, न बयानों की भरमार। इसके पीछे की नीति वही है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही एक भाषण में जाहिर की थी “मैं तुम्हें पहचानूंगा, खोजूंगा और खत्म कर दूंगा।” अब लगता है कि यह वाक्य केवल भाषण नहीं, भारत की नई विदेश नीति का मूलमंत्र बन चुका है। यह मिशन न केवल आतंकियों को निशाना बना रहा है, बल्कि पाकिस्तान की आतंकी शील्ड को भी तोड़ रहा है। ISI और पाक सेना जो अब तक इन आतंकियों की सुरक्षा में खड़ी थी, अब खुद असहाय नजर आ रही हैं।

हूरों का टिकट कटा, अगला कौन?

33 का नंबर अब सिर्फ एक आंकड़ा नहीं रहा, यह पाकिस्तान की सड़कों, मस्जिदों और जेलों में गूंजता एक भूतिया नाम बन चुका है। कोई इसे मौत का दरवाज़ा कहता है, कोई कहता है भारत का नया ब्रह्मास्त्र। लेकिन सब इस बात पर सहमत हैं—जिस दिन 33वां आतंकी मारा जाएगा, वह दिन पाकिस्तान के आतंक के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। भारत ने जो चुपचाप और सटीक वार करने की नीति अपनाई है, वह केवल आतंकवाद से लड़ने का नया चेहरा नहीं, बल्कि एक उदाहरण है उस दुनिया के लिए, जो केवल बातें करती है पर कार्रवाई नहीं। और जब तक ऑपरेशन सिंदूर जारी है, पाकिस्तान के दुश्मनों की उलटी गिनती चलती रहेगी 34, 35, 36... और शायद आगे गिनती की जरूरत ही न पड़े।

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Harsh Srivastava

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Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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