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चीन-पाकिस्तान की नई दोस्ती से भारत को सतर्क रहने की ज़रूरत, J-35 की डील के बहाने India के AMCA प्रोजेक्ट का जवाब देने की तैयारी
India Needs to be ALERT: पाकिस्तान और चीन के बीच J-35 स्टील्थ फाइटर जेट की डील लगभग फाइनल हो चुकी है ऐसे में ये कहा जा रहा है कि इससे वो भारत के महत्वाकांक्षी AMCA प्रोजेक्ट को कमजोर करने की फ़िराक़ में है।
India Needs to be ALERT(Image Credit-Social Media)
India Needs to be ALERT: एक वक्त था जब जंग सिर्फ टैंकों, बंदूकों और सैनिकों से लड़ी जाती थी। लेकिन 21वीं सदी की जंग रडार से परे, डिजिटल जासूसी, साइबर हमलों और आसमान में अदृश्य उड़ते स्टील्थ जेट्स से लड़ी जा रही हैं। और इस नए युद्ध क्षेत्र में जो राष्ट्र सबसे पहले ‘न दिखने वाले’ बनते हैं, वही आगे रहते हैं। भारत इस दौड़ में अपनी आत्मनिर्भर परियोजना AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) के जरिए बड़ी छलांग लगाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब इस कोशिश पर चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत ने काले बादल ला दिए हैं। ताज़ा खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन के बीच J-35 स्टील्थ फाइटर जेट की डील लगभग फाइनल हो चुकी है। ये वही जेट हैं जो अमेरिका के F-35 की टक्कर में माने जा रहे हैं। और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस डील के पीछे चीन की रणनीति सिर्फ पाकिस्तान को मजबूत करने की नहीं, बल्कि भारत के महत्वाकांक्षी AMCA प्रोजेक्ट को कमजोर करने की भी है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन-पाक रिश्तों में अचानक गर्माहट क्यों?
हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर किए गए गुप्त ऑपरेशन "सिंदूर" के बाद इस्लामाबाद में खलबली मच गई थी। इस हमले ने पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों की पोल खोल दी थी। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार बीजिंग पहुंचते हैं, और वहां J-35 की डील को अंतिम रूप दिया जाता है। संयोगवश? शायद नहीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन ने जानबूझकर ऑपरेशन सिंदूर की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान को J-35 देने का प्रस्ताव तेज किया, ताकि भारत को मनोवैज्ञानिक और सामरिक दोनों मोर्चों पर दबाव में लाया जा सके।
J-35: पाकिस्तान का 'स्टील्थ जवाब' भारत के राफेल और Su-30 को?
J-35 फाइटर जेट चीन की नई पीढ़ी का स्टील्थ विमान है जिसमें AESA रडार, नेटवर्क-केंद्रित वारफेयर तकनीक और रडार-चोरी तकनीक शामिल है। इसका मतलब है कि ये विमान भारत की पारंपरिक वायु रक्षा प्रणाली को चकमा दे सकता है। पाकिस्तान इसे Su-30MKI और राफेल जैसे विमानों के मुकाबले में खड़ा कर सकता है। अब चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान इस डील को लगभग 50% छूट पर कर रहा है — यानि आर्थिक रूप से तबाह देश को चीन हथियार मुफ्त में दे रहा है या फिर 'सामरिक निवेश' कर रहा है। इस सौदे ने सिर्फ सामरिक असंतुलन ही नहीं पैदा किया, बल्कि भारत के आत्मनिर्भर रक्षा दृष्टिकोण पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
AMCA प्रोजेक्ट को 'ब्लॉक' करने की चाल?
भारत का AMCA प्रोजेक्ट एक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर है, जिसे पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया जा रहा है। 2035 तक इसके पूरी तरह तैनात होने की उम्मीद है और इसके प्रोटोटाइप की पहली उड़ान 2027 तक होनी है। भारत ने इस पर करीब 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है और यह 'आत्मनिर्भर भारत' के सबसे महत्वपूर्ण रक्षा प्रोजेक्ट्स में से एक है। लेकिन अब सवाल ये उठता है — क्या चीन जानबूझकर पाकिस्तान को J-35 दे रहा है ताकि भारत पर दबाव बढ़े, और वो जल्दबाज़ी में अमेरिका के F-35 या रूस के Su-57 जैसे विदेशी विकल्पों की तरफ देखे? अगर ऐसा होता है, तो AMCA प्रोजेक्ट पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। इसका बजट, प्राथमिकता और तकनीकी स्वायत्तता खतरे में पड़ सकती है। कुछ विश्लेषक इसे चीन की "Defence Disruption Strategy" मानते हैं — मतलब ऐसे कदम उठाना जो प्रतिद्वंदी देश की स्वदेशी परियोजनाओं को धीमा करें, विवादों में डालें या जनसमर्थन कमजोर करें।
भारत की अगली चाल क्या होगी?
भारत के पास अब दो ही रास्ते हैं — या तो AMCA को तेज़ी से पूरा करे, चाहे जितना खर्च हो, या फिर विदेशी विकल्पों की तरफ देखे। लेकिन दूसरा विकल्प भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है। साथ ही, चीन-पाक गठजोड़ के कारण भविष्य में भारत को दो मोर्चों पर युद्ध की आशंका को लेकर भी तैयार रहना होगा। भारत को अब अपनी A2/AD (Anti-Access/Area Denial) रणनीति को और मजबूत करना होगा, जिसमें उन्नत रडार, लंबी दूरी की मिसाइलें, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली शामिल हो। साथ ही, भारत को आसियान और पश्चिमी देशों के साथ मिलकर एक कूटनीतिक मोर्चा भी बनाना होगा, जिससे चीन की सैन्य आक्रामकता पर लगाम लगाई जा सके।
क्या आने वाले वर्षों में "स्टेल्थ वॉर" की शुरुआत होगी?
यह पूरी स्थिति केवल तकनीक की दौड़ नहीं, बल्कि रणनीति, कूटनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा की बड़ी लड़ाई है। चीन जानता है कि अगर भारत AMCA सफलतापूर्वक विकसित कर लेता है, तो दक्षिण एशिया में उसकी सैन्य श्रेष्ठता को सीधी चुनौती मिलेगी। इसलिए, वह पाकिस्तान को अपने मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है, ताकि भारत को समय से पहले घेर लिया जाए। अगर भारत जल्द निर्णय नहीं लेता, तो वह 'स्टेल्थ जेट्स की लड़ाई' में पिछड़ सकता है। और ये सिर्फ तकनीकी पिछड़ापन नहीं होगा, बल्कि एक ऐसी सामरिक कमजोरी होगी जो आने वाले दशकों तक भारत की सुरक्षा नीति को प्रभावित करेगी।
क्या AMCA को बचाने के लिए अब भारत को 'अदृश्य कूटनीति' की जरूरत है?
J-35 की डील पाकिस्तान और चीन के बीच कोई साधारण रक्षा सौदा नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ एक रणनीतिक चाल है। भारत को इसे सिर्फ एक फाइटर जेट की डील नहीं, बल्कि एक "फोर्स मल्टीप्लायर प्रॉक्सी" के रूप में देखना चाहिए। और उसी के अनुरूप, भारत को अब अपने 'अदृश्य हथियारों' — यानि कूटनीति, साइबर क्षमता, रक्षा सहयोग और जनसमर्थन — को तेज करना होगा। AMCA सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं, भारत के भविष्य की उड़ान है — और इसे ज़मीन पर लाने के लिए हमें ड्रैगन की चाल को आकाश में ही मात देनी होगी।
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