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India Pakistan War: भारतीय वायुसेना ने उड़ाया पाकिस्तान का 'आसमानी जासूस': जानिए क्या होता है AWACS, कैसे करता है काम और क्यों है यह जंग का सबसे घातक हथियार
India Pakistan War: जंग के मैदान में जब बंदूकें गरजती हैं और मिसाइलें गूंजती हैं, तो असली लड़ाई अक्सर आसमान में लड़ी जाती है। लेकिन इस बार कुछ और ही हुआ।
India Pakistan War
India Pakistan War: जंग के मैदान में जब बंदूकें गरजती हैं और मिसाइलें गूंजती हैं, तो असली लड़ाई अक्सर आसमान में लड़ी जाती है। लेकिन इस बार कुछ और ही हुआ। भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे ताजा सैन्य टकराव में भारत ने ऐसा वार किया है जिससे पाकिस्तान की निगरानी क्षमताओं को गहरा झटका लगा है। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान का एक हाईटेक ‘AWACS’ विमान यानि ‘Airborne Warning and Control System’ को सटीक निशाने पर लेकर आसमान से ध्वस्त कर दिया। इस घटना ने न सिर्फ युद्ध के संतुलन को झकझोर दिया है, बल्कि अब हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर ये AWACS होता क्या है, कैसे काम करता है, और क्यों इसे किसी भी देश की आंख और कान कहा जाता है?
क्या है AWACS?
दरअसल, AWACS को सामान्य भाषा में “आसमान की उड़ती आंख” कहा जा सकता है। जब जंग की स्थिति होती है तो जमीन से लेकर आसमान तक हर गतिविधि पर नजर रखना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में एक ऐसा विमान जो हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ते हुए सैकड़ों किलोमीटर दूर तक दुश्मन की हर हरकत को भांप ले, उसकी दिशा, गति और मंशा को पकड़ ले, और फिर उस जानकारी को अपने सैनिकों को भेज दे—तो समझ लीजिए कि वो किसी सेना के लिए कितना कीमती होगा। यही काम करता है AWACS।
पाकिस्तान के पास जो AWACS था, वह चीन निर्मित ‘Shaheen’ प्रोग्राम का हिस्सा बताया जा रहा है—एक ऐसा रडार-संवाहित विमान जिसे विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, हवाई क्षेत्र नियंत्रण और युद्ध की स्थिति में सामरिक निर्णय लेने के लिए डिज़ाइन किया गया है। लेकिन भारतीय वायुसेना के तेजस्वी ऑपरेशन ने इसे न सिर्फ हवा से नीचे गिराया, बल्कि पाकिस्तान की वायुसेना की रीढ़ को भी हिला दिया है। यह हमला न सिर्फ तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि रणनीतिक तौर पर भी एक बड़ा संदेश है: भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक और आक्रामक मोड में है।
AWACS का इतिहास भी कम दिलचस्प नहीं है। इसकी शुरुआत शीत युद्ध के दौर में हुई थी जब अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ही एक-दूसरे की हर गतिविधि पर निगाह रखने के लिए हाईटेक रडार सिस्टम को आसमान में तैनात करना चाहते थे। जमीन पर लगे रडार सिस्टम्स की सीमाएं होती हैं—वो पृथ्वी की गोलाई के कारण एक निश्चित दूरी से आगे देख नहीं सकते। ऐसे में एयरबोर्न रडार सिस्टम की आवश्यकता महसूस हुई, और वहीं से जन्म हुआ AWACS का।
कैसे काम करता है AWACS?
तकनीकी रूप से देखा जाए तो AWACS एक विशेष विमान होता है, जिसके ऊपर एक विशाल गोल रडार डिश या डोम लगा होता है। यह डोम 360 डिग्री में लगातार घूमता रहता है और इसके भीतर लगा शक्तिशाली रडार सिस्टम 400 से 600 किलोमीटर तक के दायरे में उड़ते हुए विमानों, मिसाइलों, ड्रोन, और यहां तक कि जमीनी गतिविधियों को भी ट्रैक कर सकता है। इसके अलावा यह विमान युद्ध की स्थिति में आसमान में उड़ते हुए ‘कमांड सेंटर’ की तरह काम करता है—यानि लड़ाकू विमानों को निर्देश देना, हवाई टुकड़ियों का समन्वय करना और दुश्मन की हरकतों पर तुरंत प्रतिक्रिया देना।
भारत के पास भी इस समय कई अत्याधुनिक AWACS सिस्टम हैं—जिनमें रूस से प्राप्त इल्यूशिन-76 आधारित 'Phalcon' सबसे प्रमुख है। यह सिस्टम इज़रायल के Elta EL/M-2075 रडार से लैस होता है जो दुनिया के सबसे शक्तिशाली रडार्स में गिना जाता है। इसके अलावा भारत स्वदेशी ‘Netra’ AWACS प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम कर रहा है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया गया है और जिसे एम्ब्राएर EMB-145 विमान पर तैनात किया गया है।
AWACS की खूबी ये है कि यह खुद किसी लड़ाई में सीधे हिस्सा नहीं लेता, लेकिन इसके बिना लड़ाई अधूरी मानी जाती है। इसे ऐसे समझिए जैसे कोई सेनापति ऊंचे पहाड़ पर खड़े होकर अपने सैनिकों को निर्देश दे रहा हो, दुश्मन की चालों को पढ़ रहा हो, और हर कदम पर जवाब तय कर रहा हो। यही कारण है कि जब भारत ने पाकिस्तान का एक प्रमुख AWACS गिराया, तो उसे सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि ‘ब्रेन ऑफ द ऑपरेशन’ को खत्म करने जैसा माना जा रहा है।
कैसे तबाह हुआ AWACS?
सूत्रों की मानें तो यह ऑपरेशन बेहद सुनियोजित और गुप्त था। भारतीय वायुसेना को खुफिया जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान का AWACS एक संवेदनशील क्षेत्र में लगातार निगरानी कर रहा है। उसी समय भारतीय Su-30 MKI और Rafale विमानों ने तालमेल के साथ एक मिशन प्लान किया और हवा में ही मीड-एयर रीफ्यूलिंग के बाद इसे ट्रैक कर, बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल से निशाना बनाया। इस हमले में AWACS पूरी तरह से तबाह हो गया और पाकिस्तान को अपने सबसे महत्वपूर्ण एयरबोर्न असेट से हाथ धोना पड़ा।
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। जहां अमेरिका और रूस जैसे देश स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए हैं, वहीं चीन ने इस पर कोई खुली प्रतिक्रिया नहीं दी है, जो खुद पाकिस्तान को ऐसे विमानों की आपूर्ति करता है। लेकिन इतना तय है कि अब पाकिस्तान की हवाई ताकत को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि नए AWACS की तैनाती, परीक्षण और क्रियान्वयन में लंबा समय लगता है जो युद्धकाल में एक लग्ज़री मानी जाती है।
आसमान में भी भारत युद्ध के लिए तैयार है
भारत की इस कार्रवाई ने यह भी दिखा दिया है कि अब मुकाबला केवल जमीन पर नहीं, बल्कि आसमान की ऊंचाइयों पर भी लड़ा जा रहा है और वहां भारत पूरी तरह से तैयार है। आने वाले दिनों में इस कार्रवाई के और भी रणनीतिक मायने सामने आएंगे। लेकिन अभी के लिए इतना तय है कि पाकिस्तान का ‘आसमान का जासूस’ अब खामोश हो चुका है, और भारतीय वायुसेना की आक्रामक रणनीति ने दुश्मनों के दिलों में डर पैदा कर दिया है। क्या आने वाले वक्त में ऐसे और हमले होंगे? क्या भारत और पाकिस्तान के बीच यह टकराव किसी बड़े युद्ध में बदल सकता है? फिलहाल जवाब वक्त के पास है। लेकिन एक बात तय है आसमान में अब भारतीय बाजों की नजर और भी पैनी हो चुकी है।
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