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भारत से नाराज है 'ट्रंप', टैरिफ लगाने की असली वजह आई सामने, 'पाकिस्तान' से है सीधा कनेक्शन
Trump Tariff India: ट्रंप के भारत पर टैरिफ के पीछे असली वजह और पाकिस्तान से जुड़ा कनेक्शन।
Trump Tariff India: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने की वजह सिर्फ रूसी तेल की खरीद ही नहीं है, बल्कि इसके तार एक बेहद चौंकाने वाले और व्यक्तिगत कारण से भी जुड़े हैं। एक हालिया रिपोर्ट में यह सनसनीखेज दावा किया गया है कि ट्रंप की नाराजगी का असली कारण भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ संघर्ष विराम है, जिसमें उन्हें मध्यस्थ बनने और अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने का मौका नहीं मिला। इस रिपोर्ट ने भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव को एक नया और अप्रत्याशित मोड़ दे दिया है।
'ऑपरेशन सिंदूर' से जुड़ा है मामला
वित्तीय सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी जैफरी की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टैरिफ मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति की 'व्यक्तिगत नाराजगी' का नतीजा है। ट्रंप को उम्मीद थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चल रही दुश्मनी को खत्म करने में उन्हें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिलेगा। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप कथित तौर पर इस मध्यस्थता के जरिए नोबेल पुरस्कार जैसी अंतरराष्ट्रीय मान्यता की उम्मीद लगाए बैठे थे।
यह घटनाक्रम जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ। इस हमले के जवाब में, भारतीय सेना ने 7 मई को पाकिस्तान में घुसकर 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया था, जिसमें आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। जवाब में पाकिस्तान ने भी कार्रवाई की, लेकिन दोनों देशों के बीच जल्द ही संघर्ष विराम हो गया। भारत ने हमेशा साफ किया है कि यह संघर्ष विराम पाकिस्तान के डीजीएमओ के अनुरोध पर हुआ था और इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। लेकिन, ट्रंप लगातार यह दावा करते रहे हैं कि उन्होंने व्यापार के जरिए भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संसद में यह स्पष्ट कर चुके हैं कि इस प्रक्रिया में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी।
कृषि क्षेत्र भी है एक बड़ा कारण
रिपोर्ट में ट्रंप की नाराजगी का एक और कारण बताया गया है, और वह है कृषि क्षेत्र। यह खबरें थीं कि अमेरिका भारतीय बाजार में अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए जगह चाह रहा था, लेकिन भारत सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का 40% वर्कफोर्स कृषि क्षेत्र में है, और कोई भी भारतीय सरकार आयात के लिए इस महत्वपूर्ण क्षेत्र से समझौता नहीं करेगी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी साफ कर चुके हैं कि देश के हित को पहले रखा जाएगा, और पीएम मोदी ने भी एक कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय किसानों और मछुआरों के हितों से कोई समझौता नहीं होगा।
फिलहाल, इस रिपोर्ट को लेकर न तो भारत और न ही अमेरिका की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है। लेकिन, अगर यह दावा सच है, तो यह दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में व्यापारिक फैसले सिर्फ आर्थिक कारणों से नहीं लिए जाते, बल्कि इनमें व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और राजनीतिक प्रतिष्ठा भी एक बड़ी भूमिका निभाती हैं।
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