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भारत पर टैरिफ लगाकर ट्रंप ने अपने ही पैर मारी कुल्हाड़ी, अमेरिकी पूर्व NSA ने ट्रंप को बताया गलत
Trump-India tariff: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने ट्रंप द्वारा भारत पर रूसी तेल के लिए लगाए गए 25% टैरिफ को “गलती” और “अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा” करार दिया, साथ ही अमेरिका की एकतरफा नीति को भी चुनौती दी।
Trump-India tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर 25% टैरिफ लगाने के फैसले ने न सिर्फ भारत, बल्कि खुद अमेरिका में भी विवाद खड़ा कर दिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने इस कदम को "ट्रंप की एक बड़ी गलती" और "अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा" बताया है। बोल्टन का कहना है कि यह कोई ऐसा फैसला नहीं है जिसे अमेरिकी कांग्रेस या जनता का समर्थन मिला हो। उनका मानना है कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने और नोबेल शांति पुरस्कार जीतने की ट्रंप की निजी कोशिशों का हिस्सा है।
सिर्फ भारत ही क्यों? चीन और तुर्की पर टैरिफ क्यों नहीं?
जॉन बोल्टन ने इस बात पर सवाल उठाया कि जब रूस से तेल खरीदने वाले अन्य बड़े देश, जैसे चीन और तुर्की, इस तरह के टैरिफ से बच गए हैं, तो सिर्फ भारत को ही क्यों निशाना बनाया गया है? उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंधों की एक ऐसी व्यवस्था है जो भारत को अनुचित रूप से निशाना बना रही है। बोल्टन ने कहा कि रूस पर सीधे तौर पर क्रूड ऑयल को लेकर कोई अतिरिक्त टैरिफ की धमकी नहीं दी गई है, जबकि भारत को ही इस अतिरिक्त ट्रंप टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि रूसी तेल और गैस की खरीद ऐसी चीज है जिससे भारत को दूर रहना चाहिए। उनका मानना है कि ट्रंप का यह रवैया अमेरिकी नीति में कोई दीर्घकालिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का परिणाम है।
ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने की कोशिश
बोल्टन ने कहा कि ट्रंप अंतरराष्ट्रीय पहचान और नोबेल शांति पुरस्कार जीतने के लिए इतने उत्सुक हैं कि वे किसी भी समझौते पर राजी हो सकते हैं, भले ही वह बाद में टूट जाए। उन्होंने कहा, "ट्रंप चाहते हैं कि वे सबको एक समझौते पर राजी कर लें, जिसका श्रेय वे खुद ले सकें और अगर बाद में यह समझौता टूट जाता है, तो मुझे नहीं लगता कि उन्हें इसकी इतनी चिंता है, वे फिर दूसरों पर दोष मढ़ सकते हैं।" बोल्टन का यह विश्लेषण ट्रंप की नीतियों को एक अलग दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है, जिसमें यह दिखाया गया है कि उनके फैसले अक्सर व्यक्तिगत लाभ और महत्वाकांक्षा से प्रेरित होते हैं, न कि दीर्घकालिक राष्ट्रीय रणनीति से।
अमेरिका-भारत-रूस-चीन के संबंधों की नई उलझन
जॉन बोल्टन ने अमेरिका द्वारा भारत के खिलाफ उठाए गए इस कदम को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम समस्याओं को सुलझाने के बजाय नई परेशानियां खड़ी कर सकता है। उन्होंने कहा कि चीन पूर्वी और दक्षिणी एशिया दोनों में एक बड़ा खतरा है और रूस के साथ उसकी बढ़ती नजदीकी रूस को तेजी से चीन के पक्ष में ला रही है। बोल्टन के अनुसार, ऐसे में भारत के खिलाफ अमेरिकी कदम भारत को रूस और चीन के और करीब ला सकता है, जो अमेरिका के लिए एक बड़ी रणनीतिक गलती साबित होगी। उन्होंने कहा कि भारत को इस स्थिति पर विशेष ध्यान देना चाहिए और अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखना चाहिए।
यह घटना दिखाती है कि कैसे एक तरफा और अनुचित टैरिफ ने अमेरिका और भारत के द्विपक्षीय संबंधों को कमजोर किया है, जबकि दूसरी ओर रूस और चीन जैसे देशों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाया है।
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