ट्रंप की दादागीरी पर भारी पड़े 'पांच पांडव'! भारत पर 50% टैरिफ ठोककर अमेरिका ने BRICS से ली सीधी टक्कर

Trump Tariffs on India: भारत जैसे देशों पर ट्रंप ने 50% तक का टैरिफ लगाया है लेकिन उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' वाली दादागीरी अब उन्हीं के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई है।

Harsh Srivastava
Published on: 12 Aug 2025 5:32 PM IST
ट्रंप की दादागीरी पर भारी पड़े पांच पांडव! भारत पर 50% टैरिफ ठोककर अमेरिका ने BRICS से ली सीधी टक्कर
X

Trump Tariffs on India: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को पूरी दुनिया का 'चौधरी' समझते हैं। इन दिनों वह अपने 'टैरिफ बम' से दुनिया को डराने की कोशिश में लगे हुए हैं। जो देश उनके मन की बात नहीं करता उस पर वह टैरिफ ठोक देते हैं। भारत जैसे देशों पर ट्रंप ने 50% तक का टैरिफ लगाया है लेकिन उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' वाली दादागीरी अब उन्हीं के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गई है।

ट्रंप ने सोचा था कि उनकी धमकियों से भारत चीन रूस ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे BRICS देश झुक जाएंगे लेकिन इसके बजाय उनकी नीतियों ने इन 'पांच पांडवों' को एकजुट कर दिया है। ये देश अब न सिर्फ ट्रंप के खेल को पलटने की तैयारी में हैं बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को नए सिरे से गढ़ने की दिशा में भी कदम उठा रहे हैं। यह टैरिफ युद्ध अब ट्रंप की सबसे बड़ी भूल साबित हो रहा है क्योंकि BRICS की बढ़ती ताकत अमेरिका को दुनिया से अलग-थलग कर सकती है। आइए समझते हैं कि कैसे ट्रंप का दांव उन्हीं पर उल्टा पड़ेगा।

ट्रंप का 'टैरिफ बम' और भारत पर सीधा निशाना

साल 2025 में ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति को और भी आक्रामक बना दिया जिसका सीधा निशाना BRICS देश बने। भारत और ब्राजील पर 50% का भारी-भरकम टैरिफ लगाया गया चीन पर 30% (हालांकि पहले 245% तक की धमकी दी गई थी) दक्षिण अफ्रीका पर 30% और रूस पर पहले से ही कड़े प्रतिबंधों के साथ 100% टैरिफ की मार डाली गई।

ट्रंप का दावा है कि ये कदम अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने और रूस से तेल खरीदने वाले देशों को सबक सिखाने के लिए हैं। खासकर भारत को जो रूस से तेल आयात करने की वजह से 25% अतिरिक्त टैरिफ का सामना कर रहा है जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया है। लेकिन ट्रंप की यह दादागीरी अब उन्हीं के लिए मुसीबत बन रही है। भारत ने इसे 'अनुचित अन्यायपूर्ण और तर्कहीन' बताया है और साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।

ब्रिक्स के पांच 'पांडव' हुए एक

ट्रंप की धमकियों और नीतियों से तंग आकर BRICS के पांच संस्थापक देश - भारत चीन रूस ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका - अब एक मंच पर आ रहे हैं। ये देश न केवल ट्रंप की नीतियों का जवाब देने के लिए रणनीति बना रहे हैं बल्कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की दिशा में भी कदम उठा रहे हैं।

ब्रिक्स देशों की संयुक्त जीडीपी 26.6 ट्रिलियन डॉलर है जो अमेरिका की 27.36 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लगभग बराबर है। इन देशों का वैश्विक जीडीपी में 35.6% का योगदान और विश्व व्यापार में एक चौथाई हिस्सेदारी ट्रंप के लिए खतरे की घंटी है। ब्रिक्स की एकजुटता यह दर्शाती है कि अब दुनिया सिर्फ अमेरिका के इशारों पर नहीं चलेगी बल्कि बहुध्रुवीय व्यवस्था (multipolar world order) की ओर बढ़ रही है।

ब्राजील का करारा जवाब: 'मैं ट्रंप से बात नहीं करूंगा'

ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने ट्रंप की धमकियों को सिरे से खारिज कर दिया। लूला ने साफ शब्दों में कहा "मैं ट्रंप से बात नहीं करूंगा। जब ट्रंप बात करने को तैयार होंगे मैं उनसे फोन पर बात करूंगा लेकिन मैं खुद को अपमानित नहीं होने दूंगा।" यह बयान सीधे तौर पर ट्रंप की 'दादागीरी' को चुनौती देता है।

लूला ने इसके बजाय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत को प्राथमिकता दी। लूला और मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 20 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है जो ट्रंप की नीतियों के खिलाफ BRICS की एकजुटता का साफ संदेश है।

मोदी का मास्टरस्ट्रोक: कूटनीतिक चालों से जवाब

भारत जो ट्रंप के टैरिफ युद्ध का सबसे बड़ा शिकार बना अब कूटनीतिक चालों से जवाब दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए चीन जाएंगे जहां वे जिनपिंग के साथ ट्रंप के टैरिफ का तोड़ निकालने पर चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत का रूस से तेल आयात बाजार की जरूरतों और 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा के लिए है न कि किसी की दादागीरी को मानने के लिए।

इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की पुतिन से मॉस्को में मुलाकात और पुतिन की इस साल भारत यात्रा की खबरें ट्रंप को बैकफुट पर ला रही हैं। भारत BRICS में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और अपनी कूटनीति के दम पर ट्रंप की नीतियों को चुनौती दे रहा है।

पुतिन की 'चाणक्य नीति': ब्रिक्स मुद्रा का सपना

रूस जो पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेल रहा है अब BRICS के अन्य देशों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभा रहा है। पुतिन ने 2022 में एक नई अंतरराष्ट्रीय रिजर्व मुद्रा का प्रस्ताव रखा था और अब यह चर्चा तेज हो रही है। पुतिन की भारत यात्रा और मोदी के साथ उनकी हालिया टेलीफोनिक बातचीत से साफ है कि रूस भारत के साथ अपनी दोस्ती को और मजबूत करना चाहता है। रूस की ऊर्जा आपूर्ति BRICS देशों के लिए रीढ़ की हड्डी है और ट्रंप के टैरिफ इसे रोक नहीं पा रहे हैं।

चीन का भारत को समर्थन

चीन जो ट्रंप के टैरिफ युद्ध का पुराना शिकार रहा है अब भारत के साथ खड़ा है। चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने भारत के पक्ष में बयान जारी किए हैं और शी जिनपिंग ने ट्रंप के टैरिफ को विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन बताया है। मोदी की आगामी चीन यात्रा और SCO समिट में BRICS देशों की एकजुटता से ट्रंप की नीतियों को करारा जवाब मिलने की उम्मीद है।

दक्षिण अफ्रीका का गुस्सा: ट्रंप ने किया अपमानित

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को ट्रंप ने 'श्वेत अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव' का आरोप लगाकर अपमानित किया। ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका पर 30% टैरिफ लगाया और वहां से कुछ श्वेत शरणार्थियों को अमेरिका में स्वागत किया जिसे 'व्हाइट नरसंहार' से बचने का दावा बताया गया। रामाफोसा ने इसकी कड़ी निंदा की और BRICS के अन्य नेताओं के साथ बातचीत तेज कर दी है। दक्षिण अफ्रीका की रणनीतिक धातु निर्यात क्षमता इसे BRICS का अहम हिस्सा बनाती है।

ब्रिक्स मुद्रा: डॉलर के वर्चस्व के लिए खतरे की घंटी

ट्रंप की सबसे बड़ी चिंता है ब्रिक्स देशों की अपनी मुद्रा में व्यापार करने की योजना। रूस ने 2022 में एक नई अंतरराष्ट्रीय रिजर्व मुद्रा का प्रस्ताव रखा था और अब BRICS देश रुपये युआन रूबल जैसी राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं। अगर यह योजना कामयाब होती है तो वैश्विक व्यापार में डॉलर की 80% हिस्सेदारी को गंभीर चुनौती मिल सकती है। ट्रंप ने इस खतरे को भांपते हुए क्रिप्टो करेंसी को बढ़ावा देना शुरू किया है लेकिन BRICS की एकजुटता उनके लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है।

ट्रंप की दादागीरी का अंत?

ट्रंप ने टैरिफ युद्ध शुरू करके ब्रिक्स देशों को डराने की कोशिश की लेकिन यह उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हो रही है। भारत चीन रूस ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की एकजुटता ने न केवल ट्रंप की नीतियों को चुनौती दी है बल्कि एक नई वैश्विक व्यवस्था की नींव रखी है। ब्रिक्स मुद्रा की चर्चा और इन देशों की संयुक्त आर्थिक ताकत ट्रंप के लिए खतरे की घंटी है। अगर ये पांच 'पांडव' अपनी रणनीति पर डटे रहे तो ट्रंप का टैरिफ युद्ध अमेरिका के लिए ही उल्टा पड़ सकता है। यह युद्ध अब केवल आर्थिक नहीं बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन का खेल बन चुका है।

1 / 10
Your Score0/ 10
Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

Mail ID - [email protected]

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!