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नीतीश कुमार खो देंगे CM की कुर्सी! खतरे में पार्टी का असितत्व, लालू बनेंगे बिहार के 'राजा'
Bihar Politics: भाजपा और जेडीयू के बीच राजद बड़ा हाथ मार सकती है। कांग्रेस ने साथ दिया तो लालू यादव कमाल कर सकते हैं।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति की दशकों से धुरी रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भविष्य को लेकर अनिश्चितता गहराने लगी है। राज्य में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी के भीतर यह स्पष्ट नहीं है कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर गठबंधन का नेतृत्व करेंगे। हालांकि भाजपा ने नेतृत्व का दारोमदार उनको ही दिया है।
मुख्यमंत्री की उम्र (74) और बिगड़ती सेहत को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी में उनके उत्तराधिकारी को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। यही कारण है कि जेडीयू के भीतर और सहयोगी दलों में असमंजस और चिंता का माहौल है। पिछले चुनावों में जिस तरह से जेडीयू की सीटों में गिरावट आई है, उससे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तो खतरा है ही लेकिन अब पार्टी भी मुश्किल में दिख रही है। सियासी जानकारों की माने तो भाजपा और जेडीयू के बीच लालू यादव का बेटा तेजस्वी यादव कांग्रेस के साथ मिलकर खेल कर सकता है।
नेतृत्व का संकट और पार्टी में बढ़ती बेचैनी
पटना स्थित जेडीयू के कार्यालय में एक ओर दीवारों पर '2025 से 2030, फिर से नीतीश' जैसे नारे लगे हैं, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच भविष्य को लेकर असुरक्षा स्पष्ट दिख रही है। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हममें से बहुत से लोग नीतीश जी के व्यक्तित्व और नेतृत्व के कारण पार्टी से जुड़े थे। लेकिन अब सवाल है कि नीतीश जी के बाद पार्टी कौन संभालेगा? पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर एक खालीपन महसूस हो रहा है।
क्या निशांत कुमार उतरेंगे राजनीति में?
नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के नाम को संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर चर्चा में लाया जा रहा है। पार्टी के कुछ नेताओं, जैसे मंत्री श्रवण कुमार, ने खुले तौर पर कहा है कि निशांत का राजनीति में आना पार्टी के लिए अच्छा रहेगा। हालांकि निशांत कुमार खुद अब तक इस संभावना से इनकार करते रहे हैं।
तीन भरोसेमंद चेहरे, लेकिन सीमित प्रभाव
नीतीश के करीबी माने जाने वाले तीन वरिष्ठ नेता संजय झा, विजय कुमार चौधरी और अशोक चौधरी नेतृत्व की दूसरी पंक्ति में हैं। लेकिन इनमें से कोई भी नीतीश जैसा करिश्मा या व्यापक जनाधार नहीं रखता। संजय झा को नीतीश का सबसे करीबी माना जाता है, लेकिन उनके बीजेपी से पुराने संबंधों को लेकर भी पार्टी में सवाल उठते रहे हैं।
तेजस्वी और प्रशांत किशोर ने साधा निशाना
मुख्यमंत्री की सेहत पर सवाल उठाते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतीश अब किसी भी अहम मुद्दे पर बोलते तक नहीं हैं और “थक चुके हैं”। वहीं जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर भी समय-समय पर नीतीश कुमार की सक्रियता को लेकर आलोचना करते रहे हैं।
बीजेपी की दुविधा, आरजेडी की उम्मीदें
बीजेपी ने बिहार में अब तक कभी अकेले सरकार नहीं बनाई है और वह नीतीश कुमार पर निर्भर रही है। ऐसे में नीतीश के अस्थिर नेतृत्व और जेडीयू में उत्तराधिकारी की कमी को देखते हुए बीजेपी खुद रणनीतिक दुविधा में है। दूसरी ओर, आरजेडी को लगता है कि इस नेतृत्व संकट का फायदा उन्हें मिल सकता है। वहीं, राजद इसका पूरी फायदा उठाते हुए कांग्रेस के साथ लालू की सरकार बनने की
जेडीयू कोर वोट बैंक की दिशा क्या होगी?
नीतीश के राजनीतिक प्रभाव के कमजोर पड़ने के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि जेडीयू का कोर वोटर, खासकर अति पिछड़ा वर्ग (EBC), किस दिशा में जाएगा। क्या वह बीजेपी के साथ जाएगा या आरजेडी की ओर रुख करेगा?
बिहार की राजनीति एक बड़े संक्रमण काल से गुजर रही है। नीतीश कुमार का स्वास्थ्य, पार्टी में उत्तराधिकारी की तलाश, और सहयोगी दलों की असमंजस की स्थिति ने जेडीयू के भविष्य को एक बड़े प्रश्नचिह्न के सामने खड़ा कर दिया है। बिहार के आगामी चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी सियासी ताकत साबित कर पाएंगे या उनके बाद की राजनीति की पटकथा अब लिखनी शुरू हो चुकी है।
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