जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर को लेंगे भारत के 53वें CJI पद की शपथ

हरियाणा से पहले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे जस्टिस सूर्यकांत, बीआर गवई होंगे रिटायर

Ramkrishna Vajpei
Published on: 27 Oct 2025 4:27 PM IST
Justice Suryakant Justice Gawai
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Justice Suryakant: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश सूर्यकांत को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति कांत 24 नवंबर को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले हैं। वह हरियाणा से आने वाले पहले मुख्य न्यायाधीश होंगे।

सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को शीर्ष न्यायिक पद पर नियुक्त करने की परंपरा के अनुरूप, यह सिफारिश केंद्रीय कानून मंत्रालय को भेज दी गई है। न्यायमूर्ति कांत, मुख्य न्यायाधीश गवई का स्थान लेंगे, जो 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर कार्यरत रहेंगे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शराब नीति से जुड़े सीबीआई मामले की सुनवाई की थी।

10 फ़रवरी, 1962 को हिसार (हरियाणा) में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्य कान्त ने 1981 में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हिसार से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

शिक्षा पूरी करने के बाद जस्टिस सूर्य कान्त ने 1984 में हिसार ज़िला न्यायालय में वकालत शुरू की। 1985 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में वकालत करने के लिए चंडीगढ़ चले गए।

संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों में विशेषज्ञता

जस्टिस सूर्य कान्त ने कई विश्वविद्यालयों, बोर्डों, निगमों, बैंकों और स्वयं उच्च न्यायालय का प्रतिनिधित्व किया। 7 जुलाई, 2000 को हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता नियुक्त होने का गौरव प्राप्त किया। मार्च, 2001 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित हुए। इसके बाद 9 जनवरी, 2004 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनकी पदोन्नति होने तक उन्होंने हरियाणा के महाधिवक्ता का पद संभाला।

23 फरवरी, 2007 को 22 फरवरी, 2011 तक लगातार दो कार्यकालों के लिए वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के शासी निकाय के सदस्य के रूप में नामित किए गए। 2011 में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र से कानून में अपनी मास्टर डिग्री में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करने का एक और गौरव प्राप्त किया। विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन और उनमें भाग भी लिया है। 05 अक्टूबर, 2018 से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय का कार्यभार ग्रहण किया।

24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए साथ ही, 12 नवंबर, 2024 से सर्वोच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष रहे।

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