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K Rajanna Resign: कर्नाटक की सियासत में हड़कंप, सिद्धारमैया के भरोसेमंद मंत्री ने दिया इस्तीफा
K Rajanna Resign: कर्नाटक की राजनीति में सोमवार को ऐसा मोड़ आया, जिसने पूरे प्रदेश में सियासी हलचल तेज कर दी। सहकारिता मंत्री के. राजन्ना, जो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेहद करीबी माने जाते हैं, ने अचानक अपना इस्तीफा सौंप दिया।
K Rajanna Resign: कर्नाटक की राजनीति में सोमवार को ऐसा मोड़ आया, जिसने पूरे प्रदेश में सियासी हलचल तेज कर दी। सहकारिता मंत्री के. राजन्ना, जो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेहद करीबी माने जाते हैं, ने अचानक अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह इस्तीफा यूं ही नहीं, बल्कि कई दिनों से चल रही सियासी चर्चाओं और अफवाहों के बीच आया है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा गया था, और उन्होंने सीएम से मुलाकात के बाद यह कदम उठाया।
भाजपा ने साधा निशाना
जैसे ही यह खबर विधानसभा सत्र के दौरान सामने आई, भाजपा ने सरकार को घेर लिया। विपक्ष ने सीधा सवाल दागा – आखिरकार इतना बड़ा फैसला अचानक क्यों लिया गया? अगर कोई कारण है, तो जनता को बताया जाए। भाजपा नेताओं ने कहा कि यह केवल एक मंत्री का इस्तीफा नहीं, बल्कि सरकार के अंदरूनी हालात का सबूत है।
‘अगस्त क्रांति’ के बयान से शुरू हुई चर्चा
दरअसल, के. राजन्ना बीते दो महीनों से सुर्खियों में बने हुए थे। बार-बार वह यह कह रहे थे कि “अगस्त क्रांति होने वाली है” और सरकार में बड़े बदलाव होंगे। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में कयासों को हवा दी। बहुत से लोग मानने लगे थे कि कैबिनेट में फेरबदल तय है, लेकिन किसी को यह अंदाजा नहीं था कि इस फेरबदल की शुरुआत खुद राजन्ना से होगी।
सिद्धारमैया के लिए झटका या रणनीति?
राजन्ना का इस्तीफा केवल एक मंत्री की कुर्सी खाली होना भर नहीं है, बल्कि यह उस भरोसे को भी चुनौती देता है, जो सीएम सिद्धारमैया ने अपने करीबी नेताओं पर जताया था। अब सवाल उठ रहा है कि क्या यह मुख्यमंत्री के लिए सियासी झटका है या फिर उनकी कोई रणनीतिक चाल? क्योंकि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के भीतर असंतोष की खबरें पहले से ही आती रही हैं, और यह इस्तीफा उस असंतोष की आग को और भड़का सकता है।
अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार अगला कदम क्या उठाती है। क्या नए चेहरे को मौका मिलेगा या यह सिर्फ सत्ता के समीकरण बदलने का संकेत है? जो भी हो, के. राजन्ना का यह इस्तीफा आने वाले दिनों में कर्नाटक की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर सकता है, और शायद यही वजह है कि इसे लेकर पूरे राज्य में चर्चा चरम पर है।
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