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गुजरात में AAP को करारा झटका! जीत के बीच बड़े नेता ने सभी पदों से दिया इस्तीफा, जानिए नाराजगी की बड़ी वजह
Umesh Makwana Resigns: गुजरात में उपचुनाव जीत की खुशी के बीच आम आदमी पार्टी को झटका लगा है। बोटाद से विधायक उमेश मकवाना ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने पार्टी पर दलित और पिछड़े वर्ग की अनदेखी का आरोप लगाया है। जानिए क्या है इस्तीफे की असली वजह।
Umesh Makwana Resigns
Umesh Makwana Resigns: गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) को उपचुनाव में जीत मिली है, लेकिन इसी बीच पार्टी के एक बड़े नेता उमेश मकवाना ने अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। बोटाद के विधायक मकवाना ने पार्टी के सारे पद और जिम्मेदारियां छोड़ने का फैसला किया और अपना इस्तीफा अरविंद केजरीवाल को भेज दिया। यह कदम ऐसे समय में आया है जब विसावदर सीट पर गोपाल इटालिया की जीत के बाद पार्टी में खुशी का माहौल है। एक दिन पहले ही केजरीवाल ने गुजरात में 2027 में सरकार बनाने का भरोसा जताया था।
AAP नेता उमेश मकवाना ने सभी पदों से दिया इस्तीफा
मकवाना ने केजरीवाल को लिखे खत में कहा कि वह अब समाज सेवा ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी से नाराजगी भी जताई और कहा कि वह जल्द ही अपनी विधायक स्थिति पर फैसला करेंगे। मकवाना ने कहा, "मैं पिछले 2.5 साल से पार्टी में संयुक्त सचिव था और गुजरात विधानसभा में पार्टी की सेवा कर रहा था, लेकिन अब मैं अपने समाजिक काम ठीक से नहीं कर पा रहा हूँ, इसलिए इस्तीफा दे रहा हूँ।" मकवाना 2020 में भाजपा छोड़कर आप में शामिल हुए थे।
उमेश मकवाना कुछ समय से पार्टी के कामों से दूर चल रहे थे। उन्होंने गांधीनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने इस्तीफे की जानकारी दी। मकवाना ने कहा कि फिलहाल वह आप के कार्यकर्ता बने रहेंगे और विधायक पद के बारे में अपने लोगों से बात करके फैसला लेंगे।
दलित उम्मीदवारों को चुनाव में किया गया नजरअंदाज
मकवाना ने पार्टी की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गोपाल इटालिया को जिताने के लिए पूरी पार्टी लगी थी, लेकिन काडी क्षेत्र में दलित उम्मीदवार को अकेला छोड़ दिया गया क्योंकि वह दलित समुदाय से है। उन्होंने कहा, "विसावदर में बड़े नेता थे, लेकिन काडी में कोई नहीं था, जहां एक दलित उम्मीदवार ने 10 लाख का कर्ज लेकर चुनाव लड़ा। पार्टी ने उसे छोड़ दिया।"
मकवाना ने यह भी कहा कि पार्टी पिछड़ों के मुद्दे उठाने में सफल नहीं रही। दलित नेताओं का केवल चुनाव में इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि गुजरात में जातिवाद का असर काफी है और पिछड़े व कोली समुदाय की बात आने पर हर पार्टी पीछे रह जाती है। मकवाना ने कहा कि वह जल्द ही तय करेंगे कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या नई पार्टी बनाएंगे।
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