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'मराठा आंदोलन' का होगा अंत? 'मनोज जरांगे' ने मानी सरकार की बात, लेकिन रख दी शर्त
मराठा आंदोलन पर विराम, मनोज जरांगे ने सरकार का प्रस्ताव माना लेकिन जीआर जारी होने तक रखी शर्त।
Mumbai Maratha Protest: मुंबई में कई दिनों से चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन पर अब विराम लगने के आसार दिख रहे हैं। मराठा समुदाय के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने आखिरकार महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, जिससे लाखों लोगों को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, उन्होंने एक शर्त रखी है कि सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी होने के बाद ही आजाद मैदान को खाली किया जाएगा। यह फैसला तब आया है जब मुंबई हाईकोर्ट ने भी आंदोलनकारियों द्वारा शहर की सड़कों को ठप करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
सरकार का प्रस्ताव, कुनबी प्रमाणपत्र और केस वापसी
मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसकी अगुवाई मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल कर रहे थे, ने मनोज जरांगे से मुलाकात की। इस मुलाकात में सरकार ने कई अहम प्रस्ताव रखे, जिन्हें जरांगे ने मान लिया है। इन प्रस्तावों में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए हैदराबाद गजट को लागू किया जाएगा। इसके अलावा, सरकार ने यह भी वादा किया है कि सतारा रियासत से संबंधित एक महीने के अंदर इसी तरह का फैसला लिया जाएगा। सरकार ने सितंबर के अंत तक मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सभी केसों को वापस लेने का भी आश्वासन दिया है। इसके साथ ही, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को आर्थिक मुआवजा देने की बात भी प्रस्ताव में शामिल है। ये सभी कदम मराठा समुदाय के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है।
भूख हड़ताल का अंत, 'गरीब की ताकत' की जीत
मनोज जरांगे 29 अगस्त से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। उनकी मुख्य मांग ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की थी। जरांगे का मानना है कि हैदराबाद गजट यह साबित करता है कि मराठवाड़ा क्षेत्र में रहने वाले मराठाओं को आधिकारिक तौर पर कुनबी माना गया था, और चूंकि कुनबी समुदाय को ओबीसी के तहत आरक्षण मिलता है, इसलिए मराठा भी इसके हकदार हैं। अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए जरांगे ने कहा, "हम आपकी ताकत से जीत गए हैं। आज मैंने गरीब की ताकत को समझ लिया है।" यह बयान उनकी और उनके समर्थकों की दृढ़ता को दर्शाता है, जिसने सरकार को उनकी मांगों को मानने पर मजबूर कर दिया।
भविष्य की राह, जीआर का इंतजार
अब सबकी निगाहें महाराष्ट्र सरकार पर टिकी हैं कि वह कब सरकारी प्रस्ताव (जीआर) जारी करती है। जरांगे ने साफ कर दिया है कि जब तक जीआर जारी नहीं होगा, तब तक आजाद मैदान खाली नहीं किया जाएगा। यह कदम सुनिश्चित करता है कि सरकार अपने वादे पर कायम रहे। इस घटनाक्रम ने न केवल मराठा समुदाय को राहत दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि एक दृढ़ और शांतिपूर्ण आंदोलन किस तरह से सरकार को झुकने पर मजबूर कर सकता है। हालांकि, इस पूरे मामले ने राज्य में कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए थे, जब हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। अब देखना यह है कि क्या जीआर जारी होने के बाद मुंबई की रफ्तार पूरी तरह से सामान्य हो पाती है या नहीं।
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