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'मोदी और ट्रंप की दोस्ती...' टैरिफ पर जमकर गरजे 'खरगे', PM को कहा 'देश का दुश्मन'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए ट्रंप से दोस्ती को देश के लिए नुकसानदायक बताया और उन्हें 'देश का दुश्मन' कहा।
Kharge attack PM Modi on Trump Tariff: भारत की विदेश नीति पर एक तीखी बहस छिड़ गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अमेरिका के साथ बढ़ते टैरिफ तनाव को लेकर सीधा हमला बोला है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि पीएम मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की "निजी दोस्ती" ने भारत को भारी नुकसान पहुंचाया है। खरगे का यह बयान न सिर्फ सत्ता पक्ष पर सीधा प्रहार है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि विदेश नीति अब घरेलू राजनीति का एक प्रमुख मुद्दा बन चुकी है।
'ट्रंप दोस्त, तो मोदी देश के दुश्मन'
मीडिया से बात करते हुए खरगे ने कहा, "ट्रंप और मोदी दोस्त हो सकते हैं... लेकिन इससे मोदी देश के दुश्मन बन गए हैं।" यह बयान चौंकाने वाला है, क्योंकि यह एक व्यक्तिगत रिश्ते को राष्ट्रीय हित से जोड़ता है। खरगे ने आरोप लगाया कि ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगाकर भारतीय लोगों और अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है, और पीएम मोदी की दोस्ती देश के सामने कहीं नहीं ठहरती। यह बयान इस बात पर जोर देता है कि कूटनीति में व्यक्तिगत संबंधों से ज्यादा राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
गुटनिरपेक्षता से भटकी भारत की विदेश नीति?
कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित गुटनिरपेक्षता की पुरानी विदेश नीति से भटक गई है। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति दशकों से तटस्थता पर आधारित रही है, और इसी रास्ते पर उसे चलते रहना चाहिए। खरगे ने चीन सीमा विवाद पर पीएम मोदी के विरोधाभासी बयानों का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने पहले कहा था कि कोई नहीं घुसा, जबकि बाद में वह खुद चीन की सीमा में चले गए। खरगे के मुताबिक, ऐसे बयान भारत की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं और दुनिया को गलत संकेत देते हैं।
'निजी दोस्ती से नहीं चलती विदेश नीति'
खरगे ने पीएम मोदी की कूटनीतिक शैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि विदेश नीति को "व्यक्तिगत मित्रता" से नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र, व्यावहारिक और राष्ट्रीय हित पर आधारित होनी चाहिए। खरगे ने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस जैसे दीर्घकालिक साझेदारों के साथ संबंध भी किसी व्यक्तिगत स्वार्थ या चुनावी बयानबाजी से प्रभावित नहीं होने चाहिए। उनका यह बयान एक व्यापक सवाल उठाता है: क्या दुनिया के सामने एक मजबूत और विश्वसनीय राष्ट्र के रूप में भारत की छवि को निजी रिश्तों से खतरा है? यह मुद्दा अब सिर्फ विदेश नीति का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव और सुरक्षा का भी बन गया है।
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