मोदी का 'ब्रिज स्ट्राइक'! चेनाब पर बना विश्व का सबसे ऊंचा पुल हुआ देश को समर्पित, कैसे बना 'Chenab Bridge' ?

World's Highest Railway 'Chenab Bridge': प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानि 6 जून 2025 को इस ऐतिहासिक पुल का उद्घाटन किया, जो भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और संकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

Priya Singh Bisen
Published on: 6 Jun 2025 2:50 PM IST (Updated on: 6 Jun 2025 6:19 PM IST)
Worlds Highest Railway Chenab Bridge
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World's Highest Railway 'Chenab Bridge' (PHOTO CREDIT: SOCIAL MEDIA)

World's Highest Railway 'Chenab Bridge': जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में स्थित चेनाब ब्रिज, जो चेनाब नदी से लगभग 359 मीटर ऊपर स्थित है, अब विश्व का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यानि 6 जून 2025 को इस ऐतिहासिक पुल का उद्घाटन किया, जो भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और संकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है परियोजना की पृष्ठभूमि ?


Indianexpress की रिपोर्ट के मुताबिक, चेनाब ब्रिज, उधमपुर-स्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना का एक बड़ा हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से रेलवे नेटवर्क के ज़रिये जोड़ना है। यह पुल कटरा और श्रीनगर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन संभव बनाएगा, जिससे यात्रा का करने वक़्त 6-7 घंटे से घटकर मात्र 3 घंटे हो जाएगा।

चेनाब ब्रिज का निर्माण की चुनौतियाँ और तकनीकी खासियत :

ऊँचाई और संरचना: चेनाब ब्रिज चेनाब नदी से लगभग 359 मीटर (1,178 फीट) ऊपर स्थित है, जो इसे एफिल टॉवर से तकरीबन 35 मीटर ऊँचा बनाता है।

ब्रिज की लंबाई और डिज़ाइन: पुल की लंबाई लगभग 1,315 मीटर है, जिसमें विशेष आर्च की लंबाई करीब 467 मीटर है। यह एक स्टील आर्च से बना ब्रिज है, जो भयंकर भूकंपीय या को भी प्राकृतिक गतिविधियों और चरम मौसम स्थितियों का सामना करने में सक्षम है।

सामग्री और संसाधन: livemint की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिज निर्माण में तकरीबन 28,660 टन स्टील, 66,000 घन मीटर कंक्रीट और करीब 10 लाख घन मीटर खुदाई कार्य किया गया है। इसके साथ 26 किलोमीटर मोटरेबल सड़कें भी निर्मित की गईं।

तकनीकी नवाचार: यह पहली बार है जब किसी पुल का निर्माण कार्य एक ट्रांजिशन कर्व पर किया गया है, जो कि रेडियस में परिवर्तन होता है। निर्माण के लिए विश्व के सबसे बड़े केबल क्रेनों (915 मीटर स्पैन) का इस्तेमाल किया गया।

स्थायित्व: Timesofindia की रिपोर्ट के मुताबिक, पुल को लगभग 120 सालों की आयु के लिए डिज़ाइन कर तैयार किया गया है और यह 266 किमी/घंटा तक की हवा की गति और -10°C से 40°C तक के तापमान में कार्य करने की क्षमता रखता है।

चेनाब ब्रिज के निर्माण में कितने लोग शामिल थे ?

शुरुआत: इस परियोजना को साल 2003 में मंजूरी मिली थी इस ब्रिज का लेकिन निर्माण कार्य साल 2008 में शुरू किया। सुरक्षा और संरेखण मुद्दों के कारण 2008 में ही निर्माण रोक दिया गया, जिसे फिर से साल 2010 में शुरू किया गया।

निर्माण का पूरा समय: पुल का आर्च अप्रैल साल 2021 में पूरा हुआ और ओवरआर्च डेक का निर्माण अगस्त साल 2022 में ख़त्म हुआ। पहली परीक्षण यात्रा जून साल 2024 में की गई थी और अब 6 जून 2025 को इसे आधिकारिक रूप से उद्घाटन किया गया।

कार्यबल: इस ब्रिज के निर्माण कार्य में हजारों की संख्या में इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों ने हिस्सा लिया। परियोजना का प्रबंधन कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) के माध्यम से किया गया और इसमें भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों का भी सहयोग मिला।

इस परिजोजना का श्रेय किसे जाता है ?


इस परियोजना का श्रेय भारतीय रेलवे, कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड और विभिन्न भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय इंजीनियरिंग संस्थानों को जाता है। परियोजना के प्रमुख इंजीनियर बी.एस. तोमर ने निर्माण की सभी जटिलताओं को संभाला। इसके अलावा, IIT दिल्ली, IIT रुड़की और DRDO जैसे संस्थानों ने संरचनात्मक विश्लेषण और सुरक्षा उपायों में मदद किया।

क्या हैं भविष्य की योजनाएँ ?

जानकारी के मुताबिक, चेनाब ब्रिज के उद्घाटन के साथ ही, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कटरा और श्रीनगर के बीच शुरू किया जाएगा जिससे क्षेत्र में पर्यटन और आर्थिक विकास में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, यह पुल भारतीय रेलवे के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा जो भविष्य में और भी जटिल परियोजनाओं के लिए रास्ता खोलेगा।

आज उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह उपस्थित रहे। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने अंजी खड्ड पुल का भी उद्घाटन किया, जो भारत का पहला केबल-स्टे रेल पुल है।

चेनाब ब्रिज: एक चमत्कार

V न सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि यह भारत की एकता, संकल्प और तकनीकी क्षमता का प्रतीक बन चुका है। इस पुल के जरिये अब जम्मू और कश्मीर को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने का सपना पूरा होगा, जो आने वाले सालों में क्षेत्र के विकास और समृद्धि में आवश्यक भूमिका निभाएगा।

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