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अटारी बॉर्डर पर लौटी देशभक्ति की गरज, जानें क्या बदला इस बार रिट्रीट सेरेमनी में!
अटारी-वाघा बॉर्डर पर दोबारा शुरू हुई रिट्रीट सेरेमनी, सुरक्षा कारणों से कार्यक्रम में कई बड़े बदलाव, अब जॉइंट ड्रिल और हाथ मिलाना नहीं होगा।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा के मद्देनज़र कई कड़े कदम उठाए थे, जिनमें अटारी-वाघा बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी को अस्थायी रूप से बंद करना भी शामिल था। अब जब सीमा पर हालात सामान्य हो रहे हैं और भारत-पाक के बीच तनाव में कुछ कमी आई है, तो बीएसएफ ने एक बार फिर इस समारोह को जनता के लिए खोलने का फैसला लिया है। हालांकि, इस बार सेरेमनी के स्वरूप में कुछ जरूरी बदलाव किए गए हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से बेहद अहम हैं।
अनुशासित और जोश से अंजाम दिया जाता है
अटारी बॉर्डर पर होने वाली यह रिट्रीट सेरेमनी देश की सीमा सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है। इसमें भारत और पाकिस्तान के सुरक्षा बलों द्वारा ध्वज अवतरण की प्रक्रिया को बेहद अनुशासित और जोश से अंजाम दिया जाता है। यह समारोह न केवल देशवासियों में देशभक्ति की भावना को मजबूती देता है, बल्कि सीमा सुरक्षा बलों के प्रति सम्मान और जुड़ाव भी बढ़ाता है।
कुछ आवश्यक बदलाव किए
हालांकि, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद बीएसएफ ने सेरेमनी में कुछ आवश्यक बदलाव किए हैं। अब से कार्यक्रम के दौरान सीमा पर लगे गेट बंद रहेंगे। पहले की तरह अब जॉइंट ड्रिल नहीं होगी, और परेड में हाथ मिलाने जैसी प्रतीकात्मक गतिविधियों को समाप्त कर दिया गया है। इसके अलावा, किसी भी तरह के उपहार या मिठाई के आदान-प्रदान पर भी रोक लगा दी गई है।
फिर से दर्शकों के लिए शुरू किया
अटारी-वाघा बॉर्डर पर दोबारा शुरू हुई रिट्रीट सेरेमनी, सुरक्षा कारणों से कार्यक्रम में कई बड़े बदलाव, अब जॉइंट ड्रिल और हाथ मिलाना नहीं होगा।गौरतलब है कि इस हमले के बाद शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान रिट्रीट सेरेमनी को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। लेकिन वर्तमान समय में माहौल कुछ शांत होते देख, बीएसएफ ने इसे फिर से दर्शकों के लिए शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य न केवल जनता और सुरक्षा बलों के बीच संबंध मजबूत करना है, बल्कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के प्रति जनजागरूकता भी बढ़ाना है।
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