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'सदन नहीं चला तो सैलरी क्यों? संसद सत्र का खर्च सांसदो से लो!' सिर्फ 37 घंटे चर्चा पर भड़के MP
Parliament Monsoon Session: संसद के मानसून सत्र में भारी हंगामे और गतिरोध के बीच दमन-दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि जब सदन नहीं चला तो सांसदों को सैलरी क्यों मिले? उन्होंने मांग की कि सत्र पर हुआ खर्च सांसदों की जेब से वसूला जाए।
Parliament Monsoon Session: संसद का मॉनसून सत्र भले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया हो, लेकिन इस सत्र में चले हंगामे और गतिरोध की गूंज अभी भी सुनाई दे रही है। गुरुवार को दमन और दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल ने एक ऐसा कदम उठाया जिसने हर किसी का ध्यान खींचा। उन्होंने संसद भवन परिसर में एक बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया, जिस पर लिखा था, 'माफी मांगो, सत्ता पक्ष और विपक्ष माफी मांगो'। उनकी मांग थी कि सदन की कार्यवाही न चलने देने के लिए सांसदों के वेतन में कटौती की जाए।
'सदन नहीं चला तो सैलरी क्यों मिले?'
उमेश पटेल का विरोध प्रदर्शन सिर्फ एक सांकेतिक कदम नहीं था, बल्कि यह एक बड़ा सवाल था जो हर आम नागरिक के मन में है। उन्होंने साफ कहा कि जब सदन चला ही नहीं, तो इस पर हुए खर्च का भुगतान जनता क्यों करे। उनकी मांग थी कि सदन न चलने पर सांसदों को वेतन समेत अन्य लाभ नहीं मिलने चाहिए और इस सत्र पर हुआ खर्च भी सांसदों की जेब से वसूला जाए। उनका यह विरोध सीधे तौर पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पर निशाना साधता है, जो लगातार सत्र को बाधित करने में लगे रहे।
गतिरोध की भेंट चढ़ा दो-तिहाई समय
मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा में चर्चा के लिए 120 घंटे का समय तय किया गया था, लेकिन हंगामा और गतिरोध इतना ज्यादा था कि सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो सकी। यानी, चर्चा के लिए आवंटित कुल समय का दो-तिहाई से भी ज्यादा हिस्सा हंगामे की भेंट चढ़ गया। इस दौरान 14 बिल पेश हुए, जिनमें से 12 बिना किसी सार्थक चर्चा के ही पारित कर दिए गए। यह लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक स्थिति है, जहां जनता के चुने हुए प्रतिनिधि उनकी समस्याओं पर बात करने के बजाय सदन को बाधित करने में लगे रहे। उमेश पटेल का यह विरोध प्रदर्शन इस बात का एक स्पष्ट उदाहरण है कि जब नेता अपने कर्तव्यों से भटकते हैं, तो जनता और उनके प्रतिनिधि इस पर सवाल उठाना शुरू कर देते हैं। अब देखना यह है कि क्या इस विरोध के बाद संसद के अगले सत्र में सांसदों के व्यवहार में कोई बदलाव आता है।
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