रूसी राष्ट्रपति पुतिन करेंगे भारत दौरा, रूसी तेल पर अमेरिका की सख्ती के बीच हुआ दौरे का ऐलान

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्ष के अंत तक भारत दौरे पर आ सकते हैं। दौरे की घोषणा ऐसे समय हुई है जब रूसी तेल खरीद को लेकर भारत-अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है।

Shivam Srivastava
Published on: 7 Aug 2025 8:51 PM IST (Updated on: 7 Aug 2025 8:51 PM IST)
रूसी राष्ट्रपति पुतिन करेंगे भारत दौरा, रूसी तेल पर अमेरिका की सख्ती के बीच हुआ दौरे का ऐलान
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रूस राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत के दौरे पर आ सकते हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने राजधानी मॉस्को में जानकारी देते हुये बताया कि भारत-रूस काफी घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंध रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन की आगामी यात्रा दोनों देशों मधुर संबंधों को और भी उंचाई देगी। हालांकि दौरे की तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि दौरा इस साल के अंत तक हो सकता है। दौरे को लेकर घोषणा उस समय हुई है जब रूस-भारत के संबंधों को लेकर वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच तनाव बढ़ गया है।

बता दें, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी ऊर्जा खरीदकर यूक्रेन के ख़िलाफ़ मास्को के युद्ध में मदद करने का आरोप लगाया है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता पटरी से उतर गई है।

बुधवार को ट्रंप ने एक नए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के कारण भारत से आयात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी धमकी दी है कि अगर मास्को शुक्रवार तक यूक्रेन में युद्ध, जो अब अपने चौथे वर्ष में है, रोकने के लिए सहमत नहीं होता है, तो वह रूसी तेल खरीदारों पर अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे।

भारत-रूस व्यापार

भारत और रूस के बीच दीर्घकालिक संबंध रहे हैं, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंध सोवियत काल से ही चले आ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों ने अपने आर्थिक सहयोग को मज़बूत किया है और द्विपक्षीय व्यापार अभूतपूर्व ऊँचाइयों पर पहुँचा है।

लगभग चार साल पहले युद्ध शुरू होने के बाद से, भारत रूसी तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक बन गया है। मई 2023 तक, भारत प्रतिदिन दो मिलियन बैरल से अधिक कच्चा तेल खरीद रहा था, जो उसके आयात का लगभग 45 प्रतिशत था।

राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा भारत की भू-राजनीतिक रणनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण साबित हो सकती है। यह समय जो ट्रम्प की टैरिफ धमकियों के साथ सुविधाजनक रूप से मेल खाता है। भारत-रूस संबंधों की मजबूती को और मज़बूत कर सकता है, जबकि नई दिल्ली वाशिंगटन के साथ अपने जटिल संबंधों को संभालने का प्रयास कर रहा है।

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