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Dil pe Chalai Churiya! 2 पत्थर, देसी स्टाइल और गाना वायरल, सोशल मीडिया पर छाया Raju Kalakar का जलवा, जाने क्या है इस प्राचीन Rock Music का इतिहास
Raju Kalakar Viral Video: राजू नाम का एक कलाकार सिर्फ 2 चपटे पत्थरों और अपनी शानजदार आवाज के दम पर सेलिब्रिटी बन गया है। जाने क्या है प्राचीन समय की पत्थरों की संगीत कला।
Raju Kalakar Viral Video
Raju Kalakar Viral Video: आपने अक्सर ट्रेनों और बसों में सफर करते हुए ऐसे लोगों को देखा होगा जो हाथ में 2 चपटे पत्थर लेकर बजाकर गाना गाते हैं और यात्रियों का मनोरंजन करते हैं। वैसे तो ये उनकी रोजी रोटी का तरीका है पर आज कल सोशल मीडिया पर ये काफी ट्रेंड में है। राजू नाम का एक कलाकार इन्हीं 2 चपटे पत्थरों और अपनी शानजदार आवाज के दम पर सेलिब्रिटी बन गया है।
सोशल मीडिया की दुनिया में हर दिन कुछ नया ट्रेंड करता है, लेकिन कभी-कभी एक सादगी भरा वीडियो इतना असर कर जाता है कि वो दिलों को छू जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ Raju Kalakar के साथ, जिनका "Dil Pe Chalai Churiya" गाना आज हर किसी की ज़ुबान पर है। सिर्फ दो चपटे पत्थरों और अपनी कला से उन्होंने जो कमाल दिखाया, उसने उन्हें सीधे लोगों के दिलों तक पहुंचा दिया। इतना ही नहीं टी-सीरीज जैसी बड़े म्यूसिक बैनर ने राजू को गाने का मौका भी दिया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि Raju कलाकार जिस कला से अपनी प्रस्तुति देते हैं वह वाद्य यंत्रों की दुनिया में काफी प्रचीन परंपरा है।
160 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है वीडियो
राजू कलाकार के नाम से सोशल मीडिया में फेमस हुए राजू भट गुजरात के सूरत शहर से ताल्लुक रखते हैं। वे टूटे हुए पत्थरों को एक वाद्य यंत्र की तरह बजाकर अपनी प्रस्तुति देते हैं। राजू की एक रील जिसमें वे 90 के दशक का मशहूर गाना 'दिल पे चलाई छुरियां' (Dil Pe Chalai Churiya) गा रहे थे, इंटरनेट पर तेजी से वायरल होगा। इस सादगी भरे अंदाज से हर कोई उनकी कला का कायल हो गया है। इस वीडियो को अब तक 160 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है। वीडियो के वायरल होते ही (Social Media Viral Video) राजू सोशल मीडिया पर छा गये।
क्या है पत्थरों से संगीत निकालने की कला
दो पत्थरों से संगीत बनाने की कला वास्तव में एक दुर्लभ और पारंपरिक लोककला का हिस्सा है, जिसे आधुनिक समय में काफी अलग तरीके से प्रस्तुत किया गया है। दो पत्थरों को हाथ क उंगली में फंसा कर बजाना एक प्रकार की ताल वाद्य कला (Percussion Art) है, जिसमें कलाकार अपने हाथों और साधारण पत्थरों को इस प्रकार बजाते हैं कि उसमें ताल, लय और संगीत उत्पन्न होता है। यह कोई आधुनिक तकनीक नहीं है बल्कि इसकी जड़ें भारत की आदिवासी और लोक परंपराओं में मिलती हैं। प्राचीन समय में लोग पत्थरों को बजाकर अलग-अलग तरह की ध्वनियां निकाला करते थे। यह संगीत शिकार, उत्सव, या धार्मिक अनुष्ठानों में बजाया जाता था। भारत के कुछ राज्यों जैसे झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, और गुजरात में आज भी कुछ समुदाय इस कला को सहेज कर रखे हुए हैं।
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