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उत्तर प्रदेश का दलित नेता बिगाड देंगे बिहार का सियासी समीकरण, अमित शाह से बातचीत के बाद 22 सीटों पर ठोका दावा
Bihar Politics: बिहार चुनाव में एक और दावेदार अपनी दावेदारी ठोंकने को तैयार है, जोकि कांग्रेस और आरजेडी के लिए मुसीबत साबित होगी।
Bihar Politics: उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी बिहार की 29 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है। बस्ती में मीडिया से बात करते हुए राजभर ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन के तहत जितनी सीटें मिलेंगी, वहां उनकी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी।
राजभर ने कहा कि हमने बिहार के राजनीतिक धरातल पर पूरी रणनीति के साथ काम किया है। पार्टी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरने जा रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि इस विषय पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनकी बातचीत हो चुकी है और सीट बंटवारे पर जल्द फैसला लिया जाएगा।
यदि राजभर बिहार में लड़ते हैं चुनाव तो...
NDA को जातीय आधार पर मजबूती मिल सकती है। राजभर पूर्वांचल (पूर्वी उत्तर प्रदेश) के राजभर समुदाय के प्रभावशाली नेता हैं। यह समुदाय बिहार के सीमावर्ती जिलों में भी मौजूद है, खासकर सारण, सिवान, गोपालगंज, चंपारण और कैमूर जिलों में। यदि वे NDA के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो ओबीसी वर्ग, खासकर पिछड़े और अति-पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी कर सकते हैं, जिससे NDA को लाभ मिल सकता है।
विपक्ष, खासकर RJD को नुकसान
बिहार में RJD का पारंपरिक वोट बैंक यादव और मुस्लिम (MY) समीकरण है, पर साथ ही वह अन्य पिछड़ी जातियों को भी साथ लाने की कोशिश करता है। राजभर जैसे नेता यदि बिहार में एक्टिव होते हैं तो ओबीसी वोटों का विभाजन हो सकता है, जो महागठबंधन (RJD+Congress+Left) के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
सीमित जातीय और क्षेत्रीय प्रभाव
हालांकि ओम प्रकाश राजभर की पहचान यूपी तक सीमित रही है, बिहार में उनकी पार्टी की कोई ठोस संगठनात्मक जड़ें नहीं हैं। ऐसे में राजभर समाज के बाहर के वोटरों को आकर्षित कर पाना उनके लिए कठिन हो सकता है। अगर NDA के सहयोग से लड़ते हैं तो सीटें मिल सकती हैं, लेकिन स्वतंत्र रूप से लड़ने पर प्रभाव सीमित रहेगा।
राजभर का जोर जातीय अधिकारों और जनगणना पर रहता है। यदि वे बिहार में चुनाव लड़ते हैं तो जातीय मुद्दे और अधिक प्रमुख होंगे। इससे जातीय ध्रुवीकरण बढ़ सकता है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में।
राजभर ने बहराइच में ऐतिहासिक रैली की घोषणा की
राजभर ने 10 जून को बहराइच में एक बड़ी रैली की घोषणा भी की है। उन्होंने कहा कि यह रैली ऐतिहासिक होगी जैसी न कभी हुई है और न आगे होगी। इस रैली में राजा सुहेलदेव का विजय दिवस मनाया जाएगा और इसे यादगार बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर मंडलीय स्तर पर बैठकें की जा रही हैं।
जातीय जनगणना को बताया सामाजिक न्याय की दिशा में कदम
जातीय जनगणना पर अपनी राय व्यक्त करते हुए मंत्री राजभर ने कहा कि यह प्रक्रिया जरूर पूरी होगी, चाहे समय लगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसला देश के उन वर्गों के लिए एक बड़ी राहत है जो अब तक सरकारी योजनाओं से वंचित रहे हैं। राजभर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों को उनके हक से जोड़ने का संकल्प लिया है, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब होती है। यह पहल उन्हें मुख्यधारा में लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
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