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उत्तरकाशी पर मंडरा रहा काल का साया! ढलान और ढीली चट्टानें क्यों बढ़ा रहीं खतरे, जानें क्या है ग्लेशियर का रोल?
Why Uttarkashi is disaster spot: यह क्षेत्र गढ़वाल हिमालय में स्थित है, जहाँ पर्वतीय ढलान, चट्टानें और ग्लेशियर से निकलने वाली नदियों का जाल फैला हुआ है।
Why Uttarkashi is disaster spot: कल उत्तरकाशी में बादल फटने की वजह से भारी तबाही मच गई। धराली में अचानक आये फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड की वजह से अब तक कई लोगों की जान चली गई है, साथी ही बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता हैं। अचानक आई बाढ़ की वजह से हर्षिल में घर, होटल और सेना का एक कैंप भी बह गया है।
पूरा इलाका मलबे और कीचड़ से पट गया है। रेस्कयू टीम कठिन मौसम और खस्ताहाल सड़कों के बावजूद तेजी से राहत और बचाव कार्य चला रही है। माना जा रहा अभी कम से कम 100 लोग मलबे में फंसे हुये हैं।
बेहद संवेदनशील हो गया है इलाका
हर्षिल घाटी का यह पूरा इलाका गढ़वाल हिमालय में बसा हुआ है। हिमालय की पर्वत श्रृंखला का ये सबसे युवा क्षेत्र है। यहां की चट्टाने बेहद अस्थिर और लैंडस्लाइड को लेकर काफी संवेदनशील हैं। पूरा क्षेत्र जिसमें धराली, हर्षिल और गंगोत्री शामिल हैं वो लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड की दृष्टि काफी ज्यादा सेंसिटिव है।
हिमालय की इस पर्वत श्रृंखला की संकरी घाटियों से अलकनंदा, मंदाकिनी, धौलीगंगा, भागीरथी और यमुना जैसी नदियां निकलती है। जो बारिश के सीजन में उफान मारने लगती हैं जिससे उनके आसपास बने इलाकों में खतरा उत्पन्न हो जाता है और उपर से जंगलो की कटाई, अनियंत्रित विकास ने पूरे इलाके को और खतरनाकर रूप दे दिया है।
कहां से है भागीरथी नदी का उद्गम
भागीरथी नदी का उद्गम गंगोत्री ग्लेशियर से होता है जो उत्तरकाशी में 4,000 मीटर की उंचाई पर स्थित है। भागीरथी गंगोत्री,हर्षिल,उत्तरकाशी औऱ टिहरी से बहती हुये देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर जीवनदायिनी गंगा बनती है। इसके साथ ही इसमें जाध गंगा, केदार गंगा, और भीलांगना जैसी सहायक नदियां भी आकर मिलती हैं।
धराली और मुक्तबा का क्या है धार्मिक और भौगोलिक महत्व
2,680 मीटर की उंचाई पर भागीरथी नदी के किनारे धराली गांव बसा है। NH-108 पर ये गांव हर्षिल से 6 किलोमीटर और गंगोत्री से 14 किलोमीटर पहले पड़ता है।
वहीं, मुक्तबा या मुक्तिमठ की बात करें तो इसे गंगा का मायका कहा जहा जाता है। मुक्तबा दरअसल हर्षिल के पास बसा छोटा सा गांव है। सर्दियों के दौरान गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की मूर्ति इसी गांव में लाई जाती है और दीपावली से लेकर बसंत तक मुक्तबा मंदिर में गंगा जी की पूजा की जाती है।
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