श्रीकृष्ण जन्म भूमि-शाही ईदगाह मामले में हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को दिया बड़ा झटका, विवादित ढांचा घोषित करने की अर्जी खारिज

Krishna Janmabhoomi-Shahi Eidgah dispute उच्च न्यायालय ने कहा मौजूदा सबूतों और याचिका को देखते हुये शाही ईदगाह को विवादित ढांचा नहीं घोषित किया जा सकता। लेकिन, हिंदू पक्ष का कहना है कि ईदगाह को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर मौजूद बहुत ही प्राचीन मंदिर को ढहाकर बनाया गया था। वहां पर हमेशा से मस्जिद होने का सबूत मुस्लिम पक्ष आजतक नहीं पेश कर पाया है।

Shivam Srivastava
Published on: 4 July 2025 3:47 PM IST (Updated on: 4 July 2025 3:54 PM IST)
श्रीकृष्ण जन्म भूमि-शाही ईदगाह मामले में हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को दिया बड़ा झटका, विवादित ढांचा घोषित करने की अर्जी खारिज
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Krishna Janmabhoomi-Shahi Eidgah dispute: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद क्षेत्र को विवादित स्थल मानने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुये ये आदेश पारित किया मामले की अगली सुनवाई अब अगले महीने की 2 तारीख को होगी।

मस्जिद स्थल को विवादित घोषित करने की याचिका मामले के पक्षकार और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने की थी। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुये फैसला 23 मई को ही सुरक्षित कर लिया गया था। फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा मौजूदा सबूतों और याचिका को देखते हुये शाही ईदगाह को विवादित ढांचा नहीं घोषित किया जा सकता। लेकिन, हिंदू पक्ष का कहना है कि ईदगाह को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर मौजूद बहुत ही प्राचीन मंदिर को ढहाकर बनाया गया था। वहां पर हमेशा से मस्जिद होने का सबूत मुस्लिम पक्ष आजतक नहीं पेश कर पाया है।

इसी वजह से इसे विवादित ढांचा घोषित किया जाये। उन्होंने अपील करते हुये कहा जैसे अयोध्या मामले में फैसला देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया गया था। उसी तर्ज पर पर इसे भी विवादित ढांचा घोषित करना चाहिये।

क्या है पूरा मामला?

पूरा विवाद मुगल शहंशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान से जुड़ा है। मुगल शहंशाह पर आरोप है कि उसने श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई। 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के बीच एक समझौता हुआ था। जिसके तहत दोनों धार्मिक स्थलों का संयुक्त रूप से संचालन किया जाने लगा। वर्तमान में इस समझौते को धोखाधड़ीपूर्ण और अवैध बताते हुए विभिन्न वादों के माध्यम से इसे चुनौती दी जा रही है।

मई 2023 में हाईकोर्ट ने मथुरा कोर्ट में लंबित सभी संबंधित वादों को अपने पास स्थानांतरित कर लिया था। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। दिसंबर 2023 में हाईकोर्ट ने मस्जिद का स्थल निरीक्षण कराने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने की मांग को स्वीकार कर लिया था। लेकिन जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी जिसे बाद में बढ़ा दिया गया।

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