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मिनट में मिल रही तत्काल टिकट! IRCTC में घुसा ब्लैकिंग माफिया, Telegram-Whatsapp पर धड़ल्ले से बिक रही फर्जी ID
Fraud On Tatkal Ticket Over Telegram: दावा किया जा रहा है कि एक मिनट से भी कम समय में कन्फर्म तत्काल टिकट प्राप्त हो जाता है। लेकिन इसका तरीका पूरी तरह से अवैध और फ्रॉड से भरपूर है।
Fraud On Tatkal Ticket Over Telegram
Fraud On Tatkal Ticket Over Telegram: भारतीय रेलवे के तत्काल टिकट सिस्टम को पारदर्शी और आम यात्रियों के लिए आसान बनाने के उद्देश्य से 1 जुलाई 2025 से नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसमें आधार-वेरिफाइड ID को आवश्यक किया गया है। लेकिन इस नियम का गलत तरीके से फायदा उठाकर एक बड़ा ऑनलाइन रैकेट एक्टिव हो गया है जो Telegram और Whatsapp जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बेधड़क होकर अवैध काम में जुटा हुआ है।
Telegram पर धंधा तेज, मात्र इतने रुपये में बिक रही ID
हाल ही के एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, टेलीग्राम पर ‘आधार-वेरिफाइड’ IRCTC यूजर ID केवल 360 रुपये में बेची जा रही है। इन ID का उपयोग तत्काल टिकट बुकिंग के लिए किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि एक मिनट से भी कम समय में कन्फर्म तत्काल टिकट प्राप्त हो जाता है। लेकिन इसका तरीका पूरी तरह से अवैध और फ्रॉड से भरपूर है।
रैकेट के सदस्य फर्जी ID बनाकर बॉट्स और ऑटोमेटिक एक्सटेंशन के माध्यम IRCTC की वेबसाइट पर रफ़्तार के साथ टिकट बुक कर लेते हैं। इसके बाद ये कन्फर्म टिकट्स आम यात्रियों को महंगे दामों पर बेचते हैं, जिसकी लागत 999 रुपये से लेकर लगभग 5,000 रुपये तक होती है।
कैसे ऑपरेट कर रहा है ये सिंडिकेट?
जानकारी के मुताबिक, Telegram और Whatsapp पर तकरीबन 40 से अधिक ग्रुप्स एक्टिव हैं, जहां हजारों एजेंट और तकनीकी के बारे में जानकारी हासिल कर के दिन-रात इस अवैध धंधे में जुटे हुए हैं। एक टेलीग्राम ग्रुप ‘Fast Tatkal Software’ की 3 माह तक निगरानी करने पर खुलासा हुआ कि बॉट बनाने वाले तकनीकी एक्सपर्ट, रैकेट संचालकों को अपना सॉफ्टवेयर बेचते हैं।
इन बॉट्स को एजेंट्स को इंस्टॉल करने की ट्रेनिंग भी कराई जाती है और उन्हें बताया जाता है कि ऑटोफिल सिस्टम से कैसे टिकट को तेजी से बुक किया जाए। ये बॉट IRCTC के लॉगिन डिटेल्स, ट्रेन नंबर, यात्री जानकारी और पेमेंट गेटवे की प्रक्रिया को खुद-ब-खुद पूरा कर देते हैं।
IRCTC के AI सिस्टम को चकमा देने का Plan
रैकेट में शामिल लोग सिर्फ बॉट नहीं बना रहे, बल्कि वे IRCTC के एंटी-बॉट सिस्टम को चकमा देने के लिए एजेंट्स को टेक्निकल टिप्स भी प्रदान करते हैं। वे वर्चुअल प्राइवेट सर्वर (VPS) का प्रयोग करके अपने IP एड्रेस को छिपा लेते हैं ताकि संदिग्ध एक्टिविटी की पहचान न हो पाए। यह पूरा नेटवर्क बेहद सुनियोजित तरीके से काम करता है।
टिकट की ब्लैक मार्केटिंग
इन रैकेट्स का उद्देश्य केवल तेजी से टिकट बुक करना नहीं है, बल्कि पूरे टिकटिंग सिस्टम को ओवरलोड करके असली यूजर्स के लिए बुकिंग असंभव करना भी है। जब आम यात्रियों की बुकिंग फेल हो जाती है, तब ये रैकेट वही टिकट उन्हें मोटे मुनाफे पर बेचते हैं।
इसके लिए Dragon, JETX, Ocean, Black Turbo और Formula One जैसी वेबसाइट्स का इस्तेमाल किया जाता हैं, जो खासतौर पर ‘Tatkal Booking Bots’ बेचने का काम करती हैं। इन सॉफ्टवेयर की कीमत 999 से 5,000 रुपये के बीच होती है।
OTP और डेटा की चोरी का भी बढ़ रहा खतरा
रैकेट के कुछ बॉट्स न सिर्फ टिकट बुक करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, बल्कि वे यूजर्स से उनका पर्सनल डेटा और OTP भी चुरा सकते हैं। यह साइबर क्राइम का बड़ा रूप है, जो न सिर्फ यात्री को आर्थिक रूप से क्षति पहुंचा सकता है बल्कि उसकी पहचान से जुड़े खतरनाक नतीजे भी सामने आ सकते हैं।
अब तक 2.5 करोड़ फर्जी ID सस्पेंड
रेल मंत्रालय ने इस पूरे मामले पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कई कदम उठाए हैं। मंत्रालय के मुताबिक, अब तक 2.5 करोड़ से ज्यादा फर्जी यूजर ID को IRCTC के माध्यम से सस्पेंड किया जा चुका है। इसके अलावा अब तत्काल टिकट खुलने के पहले 30 मिनट तक एजेंट बुकिंग पर बैन लगा दिया गया है, ताकि आम यूजर्स को प्राथमिकता मिल सके।
बता दे, रेलवे टिकट बुकिंग के नाम पर चल रहा यह ऑनलाइन रैकेट न सिर्फ यात्रियों के अधिकारों का बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि साइबर अपराध को भी तेजी से बढ़ावा दे रहा है। सरकार को इस मार्ग में और सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग रोका जा सके और आम जनता को इसका नुकसान न झेलना पड़े।
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