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भारत को बड़ा झटका! अमेरिका की 'इस चाल' से टेंशन में भारतीय... रूस से तेल खरीदने पर लगाई अस्थायी रोक
US sanctions on Russia Oil India Impact: अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे भारत के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
US sanctions on Russia Oil India Impact: अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए और कड़े प्रतिबंध लगाकर वैश्विक तेल व्यापार को झकझोर दिया है। इस फैसले के बाद भारत की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से तेल आयात अस्थायी रूप से रोकने की तैयारी शुरू कर दी है।
भारत के लिए बड़ा झटका
भारत पिछले दो सालों से रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया था। सस्ते दामों पर मिलने वाला रूसी तेल भारतीय रिफाइनरियों के लिए “गोल्डन डील” साबित हो रहा था। लेकिन अब इस अमेरिकी कदम ने पूरा समीकरण उलट दिया है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो भारत में रूसी तेल की सबसे बड़ी खरीदार है, सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। जामनगर में कंपनी का विशाल 3.5 करोड़ टन क्षमता वाला रिफाइनिंग कॉम्प्लेक्स है, जहां लगभग आधी फीडस्टॉक रूसी तेल से आती है।
कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “रूसी तेल आयात की समीक्षा जारी है और हम सरकार के दिशा-निर्देशों के साथ पूरी तरह तालमेल में रहेंगे।”
नयारा एनर्जी पर भी संकट के बादल
केवल रिलायंस ही नहीं, बल्कि नयारा एनर्जी भी अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेलने को तैयार है। गुजरात के वडिनार में उसकी 2 करोड़ टन क्षमता वाली रिफाइनरी पहले ही यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से जूझ रही थी। अब अमेरिकी रोक ने कंपनी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं, क्योंकि उसकी पैरेंट कंपनी रोसनेफ्ट पर सीधे निशाना साधा गया है।
कटऑफ डेट के बाद ‘दागदार तेल’
सूत्रों के अनुसार, भारतीय कंपनियां 21 नवंबर तक रूसी तेल की खेप ले सकेंगी। लेकिन इस बार का प्रतिबंध पहले से कहीं ज्यादा सख्त है। अब यह सिर्फ प्राइस कैप तक सीमित नहीं है बल्कि सीधे कंपनियों पर लागू है। इसका मतलब यह हुआ कि इस तारीख के बाद रूस से आने वाला हर बैरल “दागदार तेल” माना जाएगा, जिससे वैश्विक बैंकिंग और बीमा लेनदेन पर भी असर पड़ेगा।
भारत पर संभावित असर
इस साल अब तक भारत के कुल कच्चे तेल आयात का करीब 36% हिस्सा रूस से आया है, जिसमें से 60% तेल रोसनेफ्ट और लुकोइल से मिला है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम वैकल्पिक आपूर्ति पश्चिम एशिया, अफ्रीका या अमेरिका से कर सकते हैं, लेकिन इससे कीमतें और प्रीमियम बढ़ेंगे, जो रिफाइनिंग मार्जिन्स पर असर डालेगा।” प्रतिबंधों की घोषणा के तुरंत बाद ही ब्रेंट क्रूड की कीमत 5% बढ़कर 65.50 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई।
अमेरिका-रूस टकराव और वैश्विक चिंता
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत और चीन जैसे देशों को रूसी तेल पर निर्भरता कम करनी होगी ताकि रूस पर यूक्रेन युद्ध के लिए आर्थिक दबाव बनाया जा सके। वहीं, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पलटवार करते हुए कहा, “यह रूस पर दबाव डालने का प्रयास है, लेकिन ऊर्जा बाजार का संतुलन बिगाड़ना सभी देशों के लिए महंगा साबित होगा।”
भारत का ‘तेल बिल’ बढ़ेगा
अगर रियायती रूसी तेल की आपूर्ति रुकती है, तो भारत का वार्षिक तेल आयात बिल 4-5 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है। रेटिंग एजेंसी ICRA का अनुमान है कि बाजार दरों पर वैकल्पिक तेल खरीदने से आयात बिल में करीब 2% की वृद्धि होगी। इसका असर न केवल पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर, बल्कि देश की आर्थिक सेहत पर भी पड़ेगा।
बढ़ते तनाव के बीच भारत की ‘तेल परीक्षा’
अमेरिका और रूस की खींचतान के बीच भारत एक मुश्किल मोड़ पर खड़ा है, जहां ऊर्जा सुरक्षा, वैश्विक दबाव और आर्थिक संतुलन तीनों की कसौटी पर सरकार और कंपनियों की रणनीति का असली परीक्षण होगा।
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