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1 lakh currency notes: देश जहाँ आज भी 1 लाख के नोट चलन में हैं - जानें पूरी सूची
countries with 1 lakh currency notes:१ लाख का नोट आज इंडोनेशिया, वियतनाम, उज्बेकिस्तान, ईरान, पराग्वे जैसे देशों में संचालित है।
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Countries with highest denomination currency:दुनिया के कई देशों में महंगाई (मुद्रास्फीति) इतनी बढ़ गई है कि वहाँ की करेंसी की कीमत बहुत गिर चुकी है। लोगों को रोज़मर्रा की चीज़ें खरीदने के लिए भी बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है। इसी वजह से वहाँ की सरकारें ज़रूरत के मुताबिक़ बड़े मूल्य वाले नोट जारी करती हैं जैसे 10,000, 50,000, या यहाँ तक कि 1 लाख रुपए के बराबर के नोट। भारत में जहाँ ₹2,000 का नोट भी अब बंद हो चुका है वहीं कुछ देशों में आज भी लाखों के नोट चलन में हैं। आइए जानते हैं ऐसे देशों के बारे में और समझते हैं कि वहाँ इतनी बड़ी रकम के नोट क्यों ज़रूरी हैं।
आर्मेनिया
आर्मेनिया में 1,00,000 ड्राम (Dram) का नोट आधिकारिक रूप से प्रचलन में है। यह नोट 2017 में जारी किया गया था और देश की तीसरी मुद्रा श्रृंखला का हिस्सा है। यह आर्मेनिया का सबसे बड़ा मूल्यवर्ग वाला नोट है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से बड़े या उच्च-मूल्य के लेन-देन के लिए किया जाता है। अक्टूबर 2025 तक 1,00,000 आर्मेनियाई ड्राम लगभग ₹23,000 भारतीय रुपये के बराबर है। दिलचस्प बात यह है कि यह नोट मुद्रा के अवमूल्यन या महंगाई के कारण नहीं, बल्कि देश के आर्थिक विकास और बड़े लेन-देन की आवश्यकता को ध्यान में रखकर जारी किया गया था। आर्मेनिया की अर्थव्यवस्था स्थिर मानी जाती है। हालांकि 2018 में जारी नई नोट श्रृंखला में इस मूल्यवर्ग को शामिल नहीं किया गया, फिर भी यह कानूनी रूप से मान्य (Legal Tender) है और आज भी चलन में है।
ज़िम्बाब्वे
ज़िम्बाब्वे हाइपरइन्फ्लेशन का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है। साल 2008 से 2009 के बीच वहाँ की सरकार को इतनी महंगाई का सामना करना पड़ा कि उन्हें 1 लाख, 10 लाख, 1 करोड़ यहाँ तक कि 100 ट्रिलियन डॉलर के नोट छापने पड़े। वहाँ की मुद्रा का मूल्य इतनी तेजी से गिरा कि रोज़मर्रा की चीज़ें खरीदने के लिए भी लोगों को करोड़ों डॉलर खर्च करने पड़ते थे। इस तरह की स्थिति को हाइपरइन्फ्लेशन (Hyperinflation) कहा जाता है, जब वस्तुओं की कीमतें इतनी तेजी से बढ़ती हैं कि पैसा लगभग बेकार हो जाता है। 2009 में ज़िम्बाब्वे ने अपनी स्थानीय मुद्रा को बंद कर दिया और अमेरिकी डॉलर व दक्षिण अफ्रीकी रैंड को अपनाया। आज भी वहाँ के 100 ट्रिलियन डॉलर के पुराने नोट ऐतिहासिक याद के रूप में संग्रहण की वस्तु बने हुए हैं।
वेनेज़ुएला
वेनेज़ुएला में महंगाई इतनी ज़्यादा बढ़ चुकी है कि वहाँ की मुद्रा बोलीवार (Bolívar) की कीमत लगभग गिर ही चुकी है। लोगों को रोज़मर्रा की चीज़ें खरीदने के लिए 50,000 से लेकर 1,00,000 या उससे भी अधिक बोलीवार के नोटों की ज़रूरत पड़ती है। सरकार ने कई बार पुराने नोट बंद करके नए नोट जारी किए और नोटों से शून्य हटाए लेकिन महंगाई पर काबू नहीं पाया जा सका। आज वहाँ के ज़्यादातर नागरिक बोलीवार की बजाय अमेरिकी डॉलर या क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, क्योंकि अपनी मुद्रा पर उनका भरोसा लगभग खत्म हो चुका है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार पिछले एक साल में बोलीवार लगभग 344% तक कमजोर हुआ है। और लोगों को रोज़मर्रा की खरीदारी के लिए भी बहुत बड़ी रकम चुकानी पड़ रही है।
ईरान
ईरान की मुद्रा रियाल (Rial) दुनिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में से एक मानी जाती है। आज की स्थिति यह है कि 1 अमेरिकी डॉलर के बदले कहीं 42,000 रियाल मिलते हैं, तो कहीं खुले बाजार में यह दर 10 लाख रियाल तक पहुँच जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहाँ सरकारी विनिमय दर और बाजार दर में बहुत अंतर है। ईरान में 1,00,000 रियाल तक के नोट आमतौर पर प्रचलन में हैं और इससे भी बड़े नोट पहले जारी किए जा चुके हैं। बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध, आर्थिक संकट और डॉलर की कमी के कारण रियाल का मूल्य लगातार गिरता जा रहा है। सरकार ने कई बार 'तोमान' नाम की नई मुद्रा लाने की कोशिश की, ताकि नोटों से शून्य हटाकर स्थिति सरल की जा सके। लेकिन आज भी ज़्यादातर लेन-देन रियाल में ही होते हैं जहाँ छोटी खरीदारी के लिए भी लाखों रियाल खर्च करने पड़ते हैं।
वियतनाम
वियतनाम की मुद्रा डोंग (Dong) की कीमत बहुत कम है। सितंबर 2025 तक 1 अमेरिकी डॉलर लगभग 26,000 से 26,400 डोंग के बराबर है। वहाँ का सबसे बड़ा नोट 5,00,000 डोंग का है जिसका भारतीय मूल्य करीब ₹1,600 के आसपास आता है। हालाँकि यह '1 लाख रुपए' के बराबर नहीं है, लेकिन वियतनाम के स्थानीय स्तर पर यही सबसे बड़ा और सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला नोट है। वहाँ की कम क्रय शक्ति और महंगाई के कारण लोग रोज़मर्रा के लेन-देन में भी 5 लाख डोंग के नोट का बार-बार उपयोग करते हैं।
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया की मुद्रा रुपिया (Rupiah) का मूल्य काफी कम है। अक्टूबर 2025 तक 1 अमेरिकी डॉलर लगभग 16,600 इंडोनेशियाई रुपिया के बराबर है। इसी वजह से वहाँ की सरकार ने 1,00,000 रुपिया (100,000 IDR) का नोट जारी किया है, जो देश का सबसे बड़ा और आम तौर पर इस्तेमाल होने वाला नोट है। इस नोट का मूल्य भारतीय रुपये में लगभग ₹600 के बराबर होता है, यानी यह भारत के ₹500 के नोट के लगभग समान है।
उज्बेकिस्तान
उज्बेकिस्तान में 1,00,000 सोम (Uzbekistani Som) का नोट प्रचलन में है लेकिन यह देश का सबसे बड़ा नोट नहीं है। इसे 25 फरवरी 2019 को जारी किया गया था और बाद में 15 जुलाई 2022 को 2,00,000 सोम का नोट भी जारी किया गया, जो अब सबसे बड़ा मूल्यवर्ग है। उज्बेकिस्तान की मुद्रा सोम का मूल्य कम है । अक्टूबर 2025 के अनुसार 1 अमेरिकी डॉलर लगभग 13,500 से 14,000 सोम के बराबर है। इस वजह से बड़े मूल्यवर्ग के नोटों की जरूरत होती है ताकि रोजमर्रा के लेन-देन आसान हो सकें। 1,00,000 सोम का नोट आज भी कानूनी रूप से मान्य है और उच्च-मूल्य लेन-देन में इस्तेमाल होता है। जिसका भारतीय रुपये में मूल्य लगभग ₹550 से ₹600 के बीच है।
पराग्वे
पराग्वे में 1,00,000 गुआरानी (Paraguayan Guarani) का नोट प्रचलन में है। पराग्वे की मुद्रा गुआरानी है और यहाँ 1,000, 5,000, 10,000, 50,000 और 1,00,000 गुआरानी के नोट आमतौर पर इस्तेमाल होते हैं। अक्टूबर 2025 तक 1 अमेरिकी डॉलर लगभग 4,750 गुआरानी के बराबर है, इसलिए बड़े मूल्यवर्ग के नोटों की जरूरत होती है ताकि रोजमर्रा के लेन-देन और उच्च-मूल्य के खरीदी-बिक्री को आसानी से किया जा सके।
फिलीपींस
फिलीपींस में 1,00,000 पिसो (100,000 Piso) का नोट भी मौजूद है। इसे 1998 में जारी किया गया था और यह दुनिया के सबसे बड़े मूल्यवर्ग वाले नोटों में से एक माना जाता है। हालांकि यह नोट रोज़मर्रा के लेन-देन के लिए नहीं बल्कि स्मृति चिन्ह (commemorative) और संग्रहण के लिए बनाया गया था। इसे 'विशाल आकार का नोट' कहा जाता है क्योंकि यह सामान्य नोटों से बड़ा है और इसका डिज़ाइन खास है। यह नोट फिलीपींस के केंद्रीय बैंक ने देश की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में जारी किया था और आज भी इसे मुख्य रूप से संग्रहकर्ता और संस्थान ही रखते हैं।
उच्च मूल्य नोटों का कारण
उच्च मूल्य वाले नोटों के जारी होने के पीछे कई कारण हैं। जिन देशों में अत्यधिक मुद्रास्फीति (Hyperinflation) या मुद्रा का अवमूल्यन होता है, वहाँ बड़े नोट आवश्यक हो जाते हैं ताकि रोजमर्रा की चीज़ें खरीदने में आसानी हो जैसे ज़िम्बाब्वे, वेनेज़ुएला और ईरान में लोग लाखों या करोड़ों की रकम खर्च करते हैं। इसके अलावा आर्थिक संकट के दौरान बड़े नोट लेन-देन को आसान बनाते हैं और भारी रकम ले जाने की परेशानी कम करते हैं। एशियाई देशों में डिजिटल भुगतान बढ़ रहा है लेकिन नकदी का उपयोग अभी भी बहुत अधिक है, खासकर छोटे व्यापार, ग्रामीण क्षेत्रों और बड़े लेन-देन में। इसी कारण उज्बेकिस्तान (2 लाख सोम), इंडोनेशिया (1 लाख रुपिया), आर्मेनिया (1 लाख ड्राम) जैसे देशों ने बड़े नोट जारी किए हैं। यह नोट मुद्रा अवमूल्यन के कारण नहीं बल्कि आर्थिक जरूरत के लिए हैं। वहीं कुछ देशों ने उच्च मूल्य वाले नोट सिर्फ स्मृति चिन्ह के रूप में जारी किए हैं - जैसे फिलीपींस का 1 लाख पिसो का नोट, जो आम बाजार में उपयोग में नहीं आता।
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