Babur History: बाबर को हिन्दुस्तान के प्राकृतिक वैभव से प्रेम के पीछे का क्या राज था?

Babur History: बाबर को हिन्दुस्तान की मछलियाँ, घड़ियाल, और बारिश इतने भाए कि उन्होंने इनका ज़िक्र अपनी डायरी में बड़े चाव से किया।

Akshita Pidiha
Published on: 21 Aug 2025 1:50 PM IST
Baburs Love for Natural Splendor of India
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Babur's Love for Natural Splendor of India (Image Credit-Social Media)

Babur History: मुगल बादशाह ज़हिरुद्दीन मुहम्मद बाबर, जिन्हें इतिहास में बाबर के नाम से जाना जाता है, एक योद्धा, कवि, और प्रकृति प्रेमी थे। मध्य एशिया के फरगाना से हिन्दुस्तान तक का उनका सफर न केवल साम्राज्य विस्तार की कहानी है, बल्कि एक ऐसे शासक की कहानी भी है, जो इस देश की प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि से मंत्रमुग्ध हो गया। 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई जीतकर उन्होंने मुगल सल्तनत की नींव रखी, लेकिन उनकी आत्मकथा बाबरनामा बताती है कि हिन्दुस्तान का आकर्षण केवल सत्ता की चाहत तक सीमित नहीं था। बाबर को हिन्दुस्तान की मछलियाँ, घड़ियाल, और बारिश इतने भाए कि उन्होंने इनका ज़िक्र अपनी डायरी में बड़े चाव से किया।

बाबरनामा, जिसे तुजुक-ए-बाबरी भी कहते हैं, न केवल एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है, बल्कि बाबर की संवेदनशीलता और अवलोकन शक्ति का भी प्रमाण है। इसमें उन्होंने हिन्दुस्तान की जलवायु, जीव-जंतु, और प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन इस तरह किया है, जैसे कोई कवि अपने प्रिय का बखान करता हो। लेकिन बाबर का यह आकर्षण क्यों था? क्या खास था हिन्दुस्तान की मछलियों, घड़ियालों और बारिश में, जो उन्हें अपने वतन फरगाना की यादों से ऊपर ले गया? यह लेख इस सवाल का जवाब तलाशता है।

बाबर का हिन्दुस्तान से पहला परिचय

1526 में जब बाबर ने हिन्दुस्तान में कदम रखा, वह एक अनजान मुल्क में था। मध्य एशिया का शुष्क और ठंडा परिदृश्य उनके लिए परिचित था, लेकिन हिन्दुस्तान की उष्ण, आर्द्र जलवायु और जैव-विविधता उनके लिए बिल्कुल नई थी। बाबरनामा में वह लिखते हैं कि हिन्दुस्तान एक ‘अजीब मुल्क’ है, जहाँ की जलवायु, वनस्पति, और जीव-जंतु उनके वतन से बिल्कुल अलग हैं। लेकिन इस अजनबीपन में एक आकर्षण था, जो बाबर को बार-बार इस देश की तारीफ करने पर मजबूर करता था।


बाबर के साथी, जो मध्य एशियाई संस्कृति और जलवायु के आदी थे, अक्सर हिन्दुस्तान की गर्मी और उमस की शिकायत करते थे। लेकिन बाबर ने इस मुल्क की खूबियों को गले लगाया। उन्होंने न केवल यहाँ की प्राकृतिक संपदा को देखा, बल्कि इसे अपनी आत्मकथा में दर्ज किया, जो उस समय के लिए एक असाधारण कार्य था। बाबर की नज़र एक वैज्ञानिक और कवि दोनों की थी । वह न केवल जीव-जंतुओं का वर्णन करते थे, बल्कि उनकी विशेषताओं और व्यवहार को भी नोट करते थे।

हिन्दुस्तान की मछलियाँ: बाबर का आकर्षण


बाबरनामा में बाबर ने हिन्दुस्तान की नदियों और मछलियों का ज़िक्र बड़े उत्साह से किया है। मध्य एशिया में नदियाँ छोटी और कम जैव-विविध थीं, लेकिन हिन्दुस्तान की गंगा, यमुना, और अन्य नदियाँ उनके लिए आश्चर्य का विषय थीं। बाबर ने लिखा कि हिन्दुस्तान की नदियों में मछलियों की इतनी प्रजातियाँ हैं कि उनकी गिनती करना मुश्किल है। उन्होंने विशेष रूप से रोहू, कतला और अन्य स्थानीय मछलियों का ज़िक्र किया, जिनका स्वाद और आकार उन्हें अनोखा लगा।

बाबर ने मछलियों के रंग, आकार, और व्यवहार को भी नोट किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने गंगा की मछलियों को ‘चमकदार और स्वादिष्ट’ बताया। मछलियों की प्रचुरता ने उन्हें हिन्दुस्तान की कृषि और जल संसाधनों की समृद्धि का एहसास कराया। उनके लिए यह केवल भोजन का स्रोत नहीं था, बल्कि इस देश की प्राकृतिक संपदा का प्रतीक था। बाबरनामा में वह लिखते हैं: "हिन्दुस्तान की नदियाँ इतनी समृद्ध हैं कि उनकी मछलियाँ हर तरह की हैं- कुछ इतनी बड़ी कि एक आदमी के लिए इन्हें पकड़ना मुश्किल है।"

बाबर का मछलियों के प्रति आकर्षण केवल उनकी खूबसूरती तक सीमित नहीं था। उन्होंने मछली पकड़ने की स्थानीय तकनीकों, जैसे जाल और बाँस की संरचनाओं, का भी अध्ययन किया। यह उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है जो हिन्दुस्तान की जैव-विविधता को समझने की उनकी उत्सुकता को उजागर करता है।

घड़ियाल: हिन्दुस्तान का अनोखा प्राणी


हिन्दुस्तान के घड़ियाल (Gavialis gangeticus) बाबर के लिए एक और आश्चर्य थे। मध्य एशिया में इस तरह के विशाल जल-प्राणी दुर्लभ थे। बाबरनामा में बाबर ने घड़ियाल को नदी का राक्षस कहा, जिसका लंबा थूथन और विशाल आकार उन्हें आकर्षित करता था। उन्होंने गंगा और यमुना में घड़ियालों को देखा और उनके व्यवहार का वर्णन किया, जैसे कि वे कैसे पानी में शिकार करते हैं और धूप में तट पर लेटते हैं।

बाबर ने घड़ियालों की तुलना मगरमच्छों से की, लेकिन उनकी अनोखी शारीरिक बनाव विशेष रूप से लंबा, पतला थूथन उन्हें खास लगा। उन्होंने लिखा: "यह प्राणी हिन्दुस्तान की नदियों का अनोखा गहना है। इसका थूथन ऐसा है जैसे किसी ने इसे तराशा हो।" बाबर ने यह भी नोट किया कि स्थानीय लोग घड़ियालों से डरते थे, लेकिन उनके लिए यह प्राणी प्रकृति की रचनात्मकता का प्रतीक था।

घड़ियालों का ज़िक्र बाबर की प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। वह केवल एक योद्धा नहीं थे, बल्कि एक पर्यवेक्षक भी थे, जो हिन्दुस्तान की जैव-विविधता को समझने में रुचि रखते थे। घड़ियालों ने उन्हें हिन्दुस्तान की नदियों की विशालता और इस देश की प्राकृतिक संपदा का एहसास कराया।

बारिश का जादू: हिन्दुस्तान की मानसूनी खूबसूरती


हिन्दुस्तान की मानसूनी बारिश बाबर के लिए सबसे बड़ा आकर्षण थी। मध्य एशिया की शुष्क जलवायु में बारिश एक दुर्लभ घटना थी, लेकिन हिन्दुस्तान में मानसून का मौसम उनके लिए जादुई था। बाबरनामा में बाबर ने मानसून की बारिश का वर्णन बड़े उत्साह से किया है। उन्होंने लिखा: "हिन्दुस्तान में बारिश का मौसम ऐसा है जैसे आसमान खुल गया हो। पानी की बूँदें इतनी सघन हैं कि धरती एकदम हरी हो जाती है।"

बाबर ने मानसून की तीव्रता, उससे होने वाली हरियाली, और नदियों के उफान का ज़िक्र किया। उनके लिए यह न केवल एक मौसमी घटना थी, बल्कि हिन्दुस्तान की उर्वरता का प्रतीक थी। बारिश ने खेती को समृद्ध किया, जिससे बाबर को इस देश की आर्थिक संभावनाओं का अंदाज़ा हुआ। उन्होंने लिखा: "यह मुल्क इतना मालामाल है कि बारिश के बाद हर खेत सोने की तरह चमकता है।"

मानसून की बारिश ने बाबर के मन पर गहरा प्रभाव डाला। वह इसकी तुलना अपने वतन की छोटी-मोटी बरसातों से करते थे और हिन्दुस्तान की जलवायु को ‘जीवंत’ बताते थे। बारिश के दौरान उन्होंने स्थानीय लोगों के जीवन, खेती, और उत्सवों को भी देखा, जिसने उन्हें इस देश की संस्कृति से जोड़ा।

हिन्दुस्तान की समृद्धि: चुंबक की तरह आकर्षण

बाबर के लिए हिन्दुस्तान केवल एक युद्ध का मैदान नहीं था; यह एक ऐसा देश था, जो अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदा के कारण चुंबक की तरह खींचता था। बाबरनामा में वह हिन्दुस्तान को मालामाल मुल्क कहते हैं, जहाँ की मिट्टी, पानी, और जीव-जंतु इसे अनोखा बनाते हैं। मछलियाँ, घड़ियाल, और बारिश इस समृद्धि का हिस्सा थे, लेकिन बाबर ने अन्य खूबियों का भी ज़िक्र किया:

फल और वनस्पति: बाबर को आम, केला, और अनार जैसे फल बहुत पसंद आए। उन्होंने हिन्दुस्तान के बागों की तारीफ की और अपने वतन के फलों से उनकी तुलना की।

कृषि: मानसून और उपजाऊ मिट्टी ने हिन्दुस्तान को कृषि का केंद्र बनाया, जो बाबर के लिए आर्थिक शक्ति का स्रोत था।

विविधता: हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विविधता ने बाबर को प्रभावित किया। उन्होंने स्थानीय लोगों के रीति-रिवाजों और कला को भी सराहा।

बाबर के साथी अक्सर फरगाना की ठंडी वादियों और बागों की याद करते थे, लेकिन बाबर ने हिन्दुस्तान को अपना घर बनाने का फैसला किया। बाबरनामा में वह लिखते हैं: हिन्दुस्तान में कई चीज़ें ऐसी हैं, जो इसे अनोखा बनाती हैं। यहाँ की प्रकृति और समृद्धि इसे एक खास मुल्क बनाती है।

बाबरनामा: एक प्रकृति प्रेमी की डायरी

बाबरनामा बाबर की आत्मकथा होने के साथ-साथ एक प्राकृतिक इतिहास की किताब भी है। इसमें बाबर ने हिन्दुस्तान के जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों, और जलवायु का वर्णन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया है। उनकी लेखनी में काव्यात्मकता और वैज्ञानिकता का अनोखा मिश्रण है। मछलियों, घड़ियालों, और बारिश का ज़िक्र उनकी प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है।

बाबर ने हिन्दुस्तान की कमियों का भी ज़िक्र किया, जैसे गर्मी और उमस लेकिन उनकी तारीफें इन कमियों पर भारी पड़ती हैं। उन्होंने लिखा: "हिन्दुस्तान में कई चीज़ें मेरे वतन से बेहतर हैं। यहाँ की बारिश, नदियाँ, और जीव-जंतु इसे एक अनमोल मुल्क बनाते हैं।

बाबर का हिन्दुस्तान के प्रति आकर्षण केवल साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा तक सीमित नहीं था। उनकी आत्मकथा बाबरनामा बताती है कि वह इस देश की प्राकृतिक संपदा मछलियों, घड़ियालों, और बारिश से गहराई से प्रभावित थे। मछलियों की विविधता ने उन्हें हिन्दुस्तान की नदियों की समृद्धि दिखाई, घड़ियालों ने प्रकृति की अनोखी रचनात्मकता का एहसास कराया, और मानसूनी बारिश ने इस देश की उर्वरता और जीवंतता को उजागर किया।

हिन्दुस्तान की ये खूबियाँ बाबर के लिए एक चुंबक की तरह थीं, जिन्होंने उन्हें न केवल यहाँ सल्तनत स्थापित करने के लिए प्रेरित किय बल्कि इस देश को समझने और अपनाने के लिए भी प्रेरित किया। बाबरनामा आज भी एक ऐसी किताब है, जो न केवल मुगल इतिहास को दर्शाती है बल्कि हिन्दुस्तान की प्राकृतिक सुंदरता का भी बखान करती है। बाबर का यह प्रेम हमें याद दिलाता है कि प्रकृति की खूबसूरती किसी भी यात्री, योद्धा या शासक के दिल को जीत सकती है।

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