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Motivation Poem in Hindi: जीवन को आधार देतीं हैं ये कविताएँ
Motivation Poem in Hindi: आज हम आपके लिए कुछ ऐसी कविताओं का संग्रह लेकर आये हैं जो आपके जीवन जीने के ढंग को बदल देंगीं।
Kavitayein (Image Credit-Social Media)
वक़्त बदलता है
तुम्हारे हेयर पिन से
पार्क के यूकिलिप्टस के
पेड़ों पर मैंने लिखी थी
जो कविता,
वह अब गायब है
नहीं दिखती।
पर
उस दिन के
दूधिया प्रकाश में नहाई हुई तुम्हारी याद,
उस सांझ का सिंदूरी सूरज,
वह टेसू के खिलने का वक्त,
सेमल के संवरने के समय का
बैगनी आसमान।
फागुनी बयार में झूमा मन
अभी भी हरा-भरा है मन-तन।
उस रोज़
अपने हाथ थे अनगिनत रंग
जिसने इंद्रधनुष का मान किया भंग।
पानी के भीतर बहना
याद की पैरहना
आरजू का लिबास
सब आज भी याद है जस का तस।
चुप-चुप, मंद-मंद
कीमती बटुए की तरह
कसी तुम्हारी मुस्कान
मन्नतों के धागे में बांधना।
हर समय के लिए साधना।
यादों के चेहरे पर तैरती खुशबू
आंखों में समाई तुम्हारी महक
जैसे उतर आया हो
देह का मौसम।
आस-पास गमकती
तुम्हारी दे…
प्रेम हठ
तुम तराश रही हो
मेरे उस प्रेम को,
जो बंटा हुआ है।
जो तुम्हें नहीं मिल सकता है- पूरा।
सब कुछ रहेगा हमेशा- अधूरा।
क्योंकि
तुम नहीं हो मेरा पहला प्यार।
तुम्हारे सामने मैंने कई बार किया है यह इज़हार।
फिर भी तुम नहीं मानी।
प्रेम हठ ठानी।
बांधती रही स्नेह की रसभरी डोर
करती रही मन की सुकोमल बातें।
कराती रही मर्म भरे समय का स्मरण।
करती रही अबूझ बातें।
कुबूल करती रही हाशिए की अस्मिता।
बताती रहीं-
मैंने तुम्हारा कुछ ऐसा है छीना।
जो भीतर तक कर रहा तुम्हें झीना।
कहती रही-
तुम जानती हो
अपनी जाति के अकेलेपन का रहस्य।
जिसका काफी कुछ है मर्द के बस।
तुम्हारे मुताबिक-
मेरा होना तुम्हारे भीतर के
हलचली हालात को संभालता है।
कुबूल करती हो-
कि मेरा तुम्हारा होना
उतना सच नहीं,
जितना कि तुम्हारा मेरा होना।
तुम्हें आसमान की चमक में
दिखता है हमारा चेहरा।
बताती हो-
मेरे बारे में सोचते ही
सितारे भर लेते हैं तुम्हें अपनी बाहों में।
हवाएं बिखेरने लगती हैं खुशबू,
जिसमें आंख बंद करने का होता है नशा।
जिसमें मुझ तक पहुँचने को
होता है पंख लगा।
तुम चाहती हो-
उन जगहों को देखना
जहां पल-चल कर हुआ अपना प्रेम जवां।
तुम हाथों पर
लिख लेती हो प्रेम पाती।
अपनी ड्रेस पर उकेर लेती हो शब्द
तुम्हारा चेहरा करने लगता है संवाद
ताकि तुम्हारे जीवन की किताब का
कुछ भी न रह जाए अनपढ़ा।
मेरे साथ उम्र बिता कर
बूढ़ी होने की ख्वाहिश जीना,
तुमने इस घातक अंत को क्यों नहीं चिन्हां।
यह सब तुम्हारा सपना
मुझे कभी तो बनाना होगा अपना।
क्योंकि जानता हूं
प्रेम में रणनीतियां औरत बनाती हैं
क्योंकि उसे यह जंग जीतनी आती है।
पर्व
जिसे हम प्रेम कहते हैं
वह प्रेम नहीं
भोगना है।
प्रेम छकना नहीं
चखना है।
इसीलिए कबीर ने प्रेम में
नहीं पूरे किए अक्षर
उसे छोड़ा अधूरा
ढाई आख़र में ही उनका प्रेम हुआ पूरा।
हम चाहते हैं- संसार बनाना।
अपनों से अलगाना
एक-दूजे का हो जाना।
पर नहीं जानती
मैं प्रेम में नहीं छोड़ सकता वह दुनिया
जो मेरे संग-संग चलती।
हवा की तरह मेरे साथ-साथ बहती।
जिसने मुझे इस लायक बनाया।
तुम तक पहुँचाया ।
क्यों मैं उन सब को छोड़ करूं प्रेम!
क्या यह नहीं होगा महज एक गेम!
लेकिन किसी को तजकर
किसी को पाना
अपनाना।
क्या यही है प्रेम कहलाना।
प्रेम काटता नहीं, बांटता नहीं।
फिर हम क्यों चाहते हैं
पुरानी दुनिया से अलग
होकर प्रेम रस छकना!
वह भी तब
जब पुरानी-नई
दोनों दुनिया ही बताएंगी
हमारे प्रेम पथ पर चढ़ने की सब कथा।
पुरानी दुनिया तज
प्रेम की नई दुनिया देगी केवल व्यथा।
प्रेम पहाड़ न बन जाए।
इसलिए खुद की दुनिया बनाएं।
क्योंकि गर
कल प्रेम का पर्व मनाना होगा
तो कौन
नाचे-गाएगा
कौन प्रेम कथा में रंग भर जाएगा।
कौन यह बताएगा
कि हमने किया है प्रेम।
हमने जिया है प्रेम।
यह कहते रहने के लिए
चाहिए दुनिया का संग।
इसलिए हर प्रेमी मिलकर भरें
नई और पुरानी
दोनों दुनिया में एक साथ रंग।
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