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हाई एल्टिट्यूड सिकनेस क्या है, जिससे जा सकती किसी की भी जान , पहाड़ों में जाने से पहले क्या सावधानी रखनी चाहिए, आइए जानते हैं
High Altitude Sickness: क्या आप जानते हैं कि हाई एल्टिट्यूड सिकनेस या माउंटेन सिकनेस क्या होती है? आइये इसे अच्छे से समझते हैं और साथ ही जानते हैं कि पहाड़ों पर जाने से पहले किन बातों का आपको ख़ास ख्याल रखना चाहिए।
High Altitude Sickness (Image Credit-Social Media)
High Altitude Sickness: हाई एल्टिट्यूड सिकनेस, जिसे हम लोग आमतौर पर एल्टिट्यूड सिकनेस या माउंटेन सिकनेस के नाम से जानते हैं, एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है जो तब होती है जब कोई व्यक्ति तेजी से ऊंची जगह जैसे पहाड़ों या हाई एल्टिट्यूड वाले इलाकों में जाता है, जहां ऑक्सीजन की कमी होती है। यह बीमारी किसी के साथ भी हो सकती है, चाहे वह कितना ही फिट क्यों न हो, अगर उसका शरीर ऊंचाई वाले माहौल के साथ तालमेल नहीं बिता पाता। आज हम इसके बारे में पूरी जानकारी लेंगे - इसके कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके।
हाई एल्टिट्यूड सिकनेस क्या है?
जब हम समुद्र तल से बहुत ऊपर, यानी 8,000 फीट (लगभग 2,400 मीटर) या उससे ज्यादा ऊंचाई पर जाते हैं, तो वहां हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। इसे लो ऑक्सीजन प्रेशर या हाइपोक्सिया कहते हैं। हमारा शरीर इस कम ऑक्सीजन वाले माहौल में ढलने की कोशिश करता है, लेकिन अगर यह ढलने में नाकाम रहता है, तो हाई एल्टिट्यूड सिकनेस हो सकती है। यह तीन मुख्य प्रकार की होती है:
एक्यूट माउंटेन सिकनेस (AMS): यह सबसे हल्का और आम प्रकार है। इसमें सिरदर्द, थकान, चक्कर आना जैसे लक्षण दिखते हैं।
हाई एल्टिट्यूड पल्मोनरी एडिमा (HAPE): यह गंभीर स्थिति है, जिसमें फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।
हाई एल्टिट्यूड सेरेब्रल एडिमा (HACE): यह सबसे खतरनाक स्थिति है, जिसमें दिमाग में सूजन आ जाती है, और यह जानलेवा हो सकता है।
हाई एल्टिट्यूड सिकनेस के कारण
इसके कई कारण हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- तेजी से ऊंचाई बढ़ना: अगर आप बहुत जल्दी ऊंची जगह पर चले जाते हैं, तो शरीर को ऑक्सीजन की कमी से तालमेल बिठाने का समय नहीं मिलता।
- ऑक्सीजन की कमी: ऊंचाई पर हवा पतली होती है, जिससे सांस लेने में कम ऑक्सीजन मिलता है।
- शारीरिक स्थिति: हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है। कोई जल्दी ढल जाता है, तो किसी को ज्यादा समय लगता है।
- ठंड और डिहाइड्रेशन: ऊंचाई पर ठंड और शुष्क हवा के कारण डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो सिकनेस को बढ़ाता है।
- शारीरिक मेहनत: ज्यादा मेहनत करने से शरीर को ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ती है, जो ऊंचाई पर पूरी नहीं हो पाती।
लक्षण
- हाई एल्टिट्यूड सिकनेस के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये दिखते हैं:
- सिरदर्द: यह सबसे आम लक्षण है, जो अक्सर माथे या सिर के पीछे होता है।
- चक्कर आना: आपको हल्का-हल्का चक्कर या घबराहट महसूस हो सकती है।
- थकान: सामान्य से ज्यादा थकान या कमजोरी लगना।
- नींद न आना: रात में नींद न आने की शिकायत हो सकती है।
- उल्टी या जी मचलना: खाना देखकर या खाने के बाद उल्टी का मन करना।
- सांस लेने में दिक्कत: हल्की मेहनत में भी सांस फूलना।
- खांसी या सीने में जकड़न: HAPE में सूखी खांसी या सांस लेने में भारीपन।
- चलने-फिरने में दिक्कत: HACE में संतुलन बिगड़ना या ठीक से चल न पाना।
गंभीर लक्षण
- अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण दिखें, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें:
- नीले होंठ या नाखून।
- तेज सांस लेना, जो आराम करने पर भी कम न हो।
- बेहोशी या भटकाव (कन्फ्यूजन)।
- सीने में तेज दर्द या खांसी में खून आना।
इलाज
हाई एल्टिट्यूड सिकनेस का इलाज समय पर करना जरूरी है। कुछ सामान्य उपाय इस प्रकार हैं:
- नीचे उतरना: सबसे अच्छा इलाज है कि आप तुरंत कम ऊंचाई वाली जगह पर चले जाएं। 1,000-2,000 फीट नीचे आने से ही काफी राहत मिल सकती है।
- ऑक्सीजन थेरेपी: अगर उपलब्ध हो, तो ऑक्सीजन सिलेंडर या मास्क से ऑक्सीजन लेना फायदेमंद होता है।
- हाइड्रेशन: खूब पानी पिएं, क्योंकि डिहाइड्रेशन लक्षणों को बढ़ा सकता है।
- आराम: ज्यादा मेहनत न करें और शरीर को आराम दें।
बचाव के तरीके
हाई एल्टिट्यूड सिकनेस से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं:
- धीरे-धीरे ऊंचाई बढ़ाएं: एक दिन में 1,000 फीट से ज्यादा ऊंचाई न बढ़ाएं। हर 3,000 फीट की ऊंचाई पर एक दिन रुककर शरीर को ढलने दें।
- खूब पानी पिएं: डिहाइड्रेशन से बचने के लिए दिनभर पानी पीते रहें। चाय, कॉफी या शराब से बचें, क्योंकि ये डिहाइड्रेशन बढ़ाते हैं।
- हल्का खाना खाएं: कार्बोहाइड्रेट युक्त हल्का खाना खाएं, जैसे चावल, दलिया या ब्रेड। भारी खाना पचाने में दिक्कत हो सकती है।
- दवाइयां पहले से लें: अगर आपको पहले सिकनेस हुई है, तो डॉक्टर की सलाह से डायमॉक्स जैसे दवाइयां पहले से शुरू करें।
- शारीरिक मेहनत कम करें: ऊंचाई पर पहुंचने के पहले कुछ दिन हल्की गतिविधियां करें, जैसे टहलना।
- लक्षणों पर नजर रखें: अपने और अपने साथियों के लक्षणों पर ध्यान दें। अगर कोई गंभीर लक्षण दिखे, तो तुरंत नीचे उतरें।
कब जाएं ऊंचाई पर?
अगर आप पहली बार ऊंची जगह जैसे लद्दाख, हिमाचल या उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में जा रहे हैं, तो कुछ बातें ध्यान रखें:
- पहले डॉक्टर से सलाह लें: अगर आपको दिल, फेफड़े या कोई पुरानी बीमारी है, तो डॉक्टर से बात करें।
- ट्रेनिंग लें: अगर आप ट्रेकिंग जा रहे हैं, तो पहले से फिजिकल फिटनेस बढ़ाएं।
- सही कपड़े और गियर: ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े और सही जूते जरूरी हैं।
- मौसम का ध्यान रखें: खराब मौसम में ऊंचाई पर जाना खतरनाक हो सकता है।
कुछ खास बातें
- बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान: बच्चों और बुजुर्गों को सिकनेस का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए उनके लक्षणों पर खास ध्यान दें।
- मिथक: यह सोचना गलत है कि फिट लोग सिकनेस से बचे रहते हैं। यह किसी के साथ भी हो सकता है।
- लोकल लोगों से सीखें: ऊंचाई पर रहने वाले लोग अक्सर कुछ घरेलू नुस्खे या टिप्स जानते हैं, जो काम आ सकते हैं।
भारत में हाई एल्टिट्यूड डेस्टिनेशन्स
भारत में कई ऐसी जगहें हैं जहां हाई एल्टिट्यूड सिकनेस का खतरा रहता है, जैसे:
- लद्दाख: लेह, नुब्रा वैली, पेंगॉन्ग लेक (10,000-14,000 फीट)।
- हिमाचल प्रदेश: स्पीति, मनाली, रोहतांग पास।
- उत्तराखंड: केदारनाथ, बद्रीनाथ, औली।
- सिक्किम: गुरुदोंगमार लेक, नाथुला पास।
इन जगहों पर जाने से पहले अच्छी तैयारी करें और अपने साथ जरूरी दवाइयां रखें
बीते दिनों हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के दारचा में हाई एल्टिट्यूड सिकनेस ने एक और सैलानी की जान ले ली। मृतक, जो पेशे से डॉक्टर थे, पंजाब से अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने आए थे। बताया जाता है कि वे घूमकर वापस लौट रहे थे, तभी दारचा के पास उन्हें अचानक सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई। उनकी पत्नी ने तुरंत उन्हें केलांग अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन तब तक उनकी सांसें थम चुकी थीं। यह घटना पहाड़ों पर घूमने के शौकीनों के लिए एक चेतावनी है कि हाई एल्टिट्यूड सिकनेस को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी और सावधानी रखना बेहद जरूरी है।
हाई एल्टिट्यूड सिकनेस एक ऐसी स्थिति है जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही जानकारी, तैयारी और सावधानी से आप इसे रोक सकते हैं और अपने पहाड़ी सफर को सुरक्षित और मजेदार बना सकते हैं। अगर आप ऊंचाई पर जा रहे हैं, तो धीरे-धीरे जाएं, अपने शरीर की सुनें और जरूरत पड़े तो तुरंत मदद लें। पहाड़ों की खूबसूरती का मजा लें, लेकिन अपनी सेहत का ख्याल रखें।
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